1.मेक इन इंडिया (400 शब्दों में)
25 सितंबर 2014 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा नयी दिल्ली में मेक इन इंडिया
कार्यक्रम की शुरुआत की गयी थी। भारत में निवेश करने के लिये (राष्ट्रीय और
अंतरराष्ट्रीय) पूरे विश्व से मुख्य व्यापारिक निवेशकों को बुलाने के लिये ये एक
पहल थी। देश में किसी भी क्षेत्र में (उत्पादन, टेक्सटाईल्स,
ऑटोमोबाईल्स, निर्माण, खुदरा,
रसायन, आईटी, बंदरगाह,
दवा के क्षेत्र में, अतिथि सत्कार, पर्यटन, स्वास्थ्य, रेलवे,
चमड़ा आदि) अपने व्यापार को स्थापित करने के लिये सभी निवेशकों के
लिये ये एक बड़ा अवसर है। भारत में विनिर्माण पावरहाऊस की स्थापना के लिये विदेशी
कंपनियों के लिये इस आकर्षक योजना के पास साधन-संपन्न प्रस्ताव है।
व्यापार (उपग्रह से
पनडुब्बी तक, कार से सॉफ्टवेयर, औषधीय
से बंदरगाह तक, कागज़ से ऊर्जा तक आदि) के लिये इसे एक
वैश्विक केन्द्र बनाने के लिये देश में डिजिटल नेटवर्क के बाजार के सुधार के साथ
ही असरदार भौतिक संरचना के निर्माण पर केन्द्रित भारतीय सरकार द्वारा मेक इन
इंडिया अभियान की शुरुआत की गयी। इसका प्रतीक (भारत के राष्ट्रीय प्रतीक से लिया
हुआ) एक विशाल शेर है जिसके पास ढ़ेर सारे पहिये (शांतिपूर्णं प्रगति और चमकीले
भविष्य के रास्ते को इंगित करता है) है। कई पहियों के साथ चलता हुआ शेर हिम्मत,
मजबूती, दृढ़ता और बुद्धिमत्ता को इंगित करता
है। फेसबुक पर मेक इन इंडिया पेज़ को 1,20,00 लाईक्स मिलें
हैं और आरंभ करने के तारीख से कुछ महीनों के अंदर 1,30,000 से
ज्यादा फालोअर्स इसके ट्वीटर पर हो चुके हैं।
एक वैश्विक व्यापारिक
केन्द्र में देश को बदलने के लिये इस राष्ट्रीय कार्यक्रम को डिज़ाईन किया गया है
क्योंकि इसके पास स्थानीय और विदेशी कंपनियों के लिये आकर्षक प्रस्ताव है। देश के
युवाओं की स्थिति को सुधारने के लिये लगभग 25 क्षेत्रकों
में कौशल को बढ़ाने के साथ ही इस अभियान का ध्यान बड़ी संख्या में मूल्यवान और
सम्मानित नौकरी उत्पन्न करना है। इसमें ऑटोमोबाईल, रसायन,
आईटी तथा बीपीएम, विमानन उद्योग, औषधीय, निर्माण, बिजली से
संबंधित मशीन, खाद्य प्रसंस्करण, रक्षा,
विनिर्माण, अंतरिक्ष, टेक्सटाईल्स,
कपड़ा उद्योग, बंदरगाह, चमड़ा,
मीडिया और मनोरंजन, स्वास्थ्य, खनन, पर्यटन और मेहमानदारी, रेलवे,
ऑटोमोबाईल घटक, नवीकरणीय ऊर्जा, बायोटेक्नोलॉजी, सड़क और हाईवे, इलेक्ट्रानिक निकाय और थर्मल ऊर्जा शामिल हैं।
इस योजना के सफलतापूर्वक
लागू होने से भारत में 100 स्मार्ट शहर
प्रोजेक्ट और वहन करने योग्य घर बनाने में मदद मिलेगी। प्रमुख निवेशकों के मदद के
साथ देश में ठोस वृद्धि और मूल्यवान रोजगार उत्पन्न करना इसका मुख्य लक्ष्य है। ये
दोनों तरफ के लोगों को फायदा पहुँचायेगा, निवेशक और हमारे
देश दोनों को। निवेशकों के असरदार और आसान संचार के लिये एक ऑनलाईन पोर्टल (makeinindia.com)
और एक समर्पित सहायक टीम भारतीय सरकार ने बनायी है। किसी भी समय
व्यापारिक कंपनियों के सभी प्रश्नों का उत्तर देने के लिये एक वफादार शेल भी
समर्पित है।
मेरे विचार से “ मेक इन इंडिया
“ कार्यक्रम भारत और भारतीयों के नवनिर्माण
के लिए बड़ा ही लाभदायक सिद्ध होगा। यह हम सभी जानते हैं कि केवल मात्र योजनाएँ
बना लेने से कुछ नहीं होता हमें उसे कार्यांवित करने के लिए कर्म भी करने होते
हैं। भारतीय तो आदि काल से ही संघर्षशील रहे हैं, अतः मुझे यकीन ही नहीं अपितु
पूर्ण विश्वास है कि भारत एक नये भारत के रूप में संपूर्ण विश्व के सम्मुख शीघ्र
आने वाला है। किसी कवि के शब्दों में _
“ तू ज़िन्दा है, तू ज़िन्दगी
की बात पर यकीन कर,
अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर ।
[ छात्रों से अनुरोध है कि
वे अपने विचारों को इस निबंध में जगह दें। उपर्युक्त निबंध उनके लिए दिशा-निर्देश
का कार्य करेंगी ]
2. स्कूल के प्रधानाध्यापक का पद बहुत ही आदरणीय तथा जिम्मेदारी पूर्ण है। यदि यह पद आपको प्राप्त हो जाए तो आप उस पद की जिम्मेदारियों को किस प्रकार पूरा करेंगे ? विस्तार से लिखें।
भूमिका
संपूर्ण शिक्षा का रीढ़ होता है प्रधानाध्यापक। ऐसे में प्रधानाचार्य की भूमिका महत्त्वपूर्ण हो जाती है। प्रधानाध्यापक का पद वास्तव में एक ऐसा पद है जो देश के भविष्य का निर्माण करने में अहम् भूमिका निभाती है। वैसे देखा जाए तो हर पद का अपना विशेष महत्त्व होता है। परंतु प्रधानाध्यापक का पद लेने वाले के कंधे पर एक बहुत बड़ा उत्तरदायित्व होता है। यह एक ऐसा पद है जिसकी आवश्यकता उस काल से मानी गई थी जब समाज के गठन की आवश्यकता हुई।
चिन्तनात्मक विकास:
सभी मनुष्य जीवन में बहुत कुछ हासिल करना चाहते हैं । उनकी आकांक्षाएँ ही परिणत होकर उन्हें डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक व व्यवसायी आदि बनाती हैं ।
यह बात अत्यंत महत्वपूर्ण है कि मनुष्य के अंतर्मन में दृढ़ इच्छा का समावेश हो क्योंकि दृढ़ इच्छा ही सफलता हेतु प्रथम सोपान है । हर मनुष्य की भाँति मेरे मन में यह तीव्र इच्छा है कि मैं भी शिक्षा के क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान दूँ । मेरी सदैव से यही अभिलाषा रही है कि मैं विद्यालय का प्रधानाचार्य बनूँ ।
प्रधानाचार्य के रूप में मेरे कुछ दायित्व हैं जो अत्यंत महत्वपूर्ण हैं । आधुनिक परिवेश को देखते हुए मेरा मानना है कि विद्यालय में अनुशासन का होना सर्वाधिक महत्वपूर्ण है । मैं विद्यालय में अनुशासन बनाए रखने हेतु हर संभव प्रयास करूँगा क्योंकि अनुशासन के बिना कुछ भी महत्वपूर्ण प्राप्त नहीं किया जा सकता है ।
लेकिन अनुशासन नियम के बल छात्रों पर लागू नहीं होता, अत: आवश्यक है कि सभी शिक्षक, छात्र तथा विद्यालय कर्मचारी आत्मानुशासन का पाठ सीखें । विद्यालय की विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से यह कार्य थोड़े से प्रयासों से संभव है ।
राष्ट्रपिता गाँधी जी के अनुसार, ”हम समाज में तब तक अनुशासन स्थापित नहीं कर सकते जब तक हम स्वयं आत्म-अनुशासन में रहना न सीख लें ।” यह निश्चित रूप से यथार्थ है । अत: मैं स्वयं अनुशासन में रहूँगा । इसके अतिरिक्त मैं यह प्रयास करूँगा कि विद्यालय के समस्त अध्यापकगण व कार्यकर्ता विद्यालय में समय से आएँ तथा विद्यालय के नियमों का भली-भाँति अनुसरण करें ।
सभी छात्र एवं शिक्षक पठन-पाठन के साथ-साथ अनुशासन व अन्य नैतिक गुणों से युक्त होकर विद्यालय प्रांगण में उपस्थित रहेंगे क्योंकि जब हम स्वयं नैतिक गुणों व अनुशासन से परिपूरित नहीं होंगे तब हमारा कार्य और भी अधिक दुष्कर हो जाएगा। अत: प्रधानाचार्य के रूप में मेरा सर्वाधिक कार्य यह होगा कि मैं विद्यालय में ऐसी व्यवस्था कायम करूँ ताकि सभी छात्र व अध्यापकगण विद्यालय में समय पर आएँ और सभी अध्यापक समय पर अपनी कक्षाओं में जाकर अध्यापन कार्य संपन्न करें ।
विद्यालय में अनुशासन के पश्चात् मेरी दूसरी प्रमुख प्राथमिकता रहेगी कि छात्रों में नैतिक मूल्यों को बढ़ावा दिया जाए, जो उनके उत्तम चरित्र व व्यक्तित्व के निर्माण में अत्यत सहायक होता है । देश में आज चारों ओर नैतिक मूल्यों का हास होने के कारण चारों ओर व्याभिचार, असंतोष, लूटमार आदि की घटनाएँ बढ़ती ही जा रही हैं।
इसके लिए आवश्यक है कि छात्रों में नैतिक मूल्यों को बढ़ावा दिया जा सके । इस संदर्भ में मैं विद्यालय पाठ्यक्रम में नैतिक शिक्षा को पूर्ण अनिवार्यता प्रदान करूँगा । इतना ही नहीं, इसमें उत्तीर्ण होना भी सभी छात्रों के लिए अनिवार्य होगा ।
विद्यालय में अनुशासन एवं नैतिक शिक्षा के अतिरिक्त मैं पाठ्यक्रम की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दूँगा । मैं उन पुस्तकों को पाठ्यक्रम में शामिल करूँगा जो छात्रों में मौखिक ज्ञान तो दे ही दें, साथ ही साथ उन्हें व्यवहारिक ज्ञान भी प्राप्त हो । विह्ययलय में तकनीकी शिक्षा पर विशेष ध्यान देना मेरी प्राथमिकता रहेगी ।
आज का युग कंप्यूटर का युग है । धीरे-धीरे इसकी महला हमारे देश में भी बढ़ती जा रही है । समय के साथ यह विज्ञान वर्ग के ही छात्रों के लिए नहीं अपितु अन्य वर्गों के लिए भी आवश्यक होगा । अत: मैं विद्यालय प्रबंधक कमेटी के सहयोग से अपने विद्यालय में प्राथमिक कक्षाओं से ही कंप्यूटर अनिवार्य रूप से दिलाने की व्यवस्था कराऊंगा ताकि हमारे छात्र भविष्य में प्रगति की दौड़ में पीछे न रह जाएँ ।
खेलकूद एवं व्यायाम किसी भी मनुष्य के सर्वांगीण विकास के लिए अति आवश्यक है । स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है, यह सभी जानते हैं । अत: मैं चाहूँगा कि हमारे विद्यालय में पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद तथा व्यायाम आदि को भी समान रूप से महत्व प्रदान किया जाए।बच्चे अपनी पढ़ाई के साथ ही साथ खेलकूद तथा अन्य सांस्कृतिक कार्यकलापों में भाग लें तथा सुदृढ़ व सुगठित व्यक्तित्व का निर्माण कर सकें।
आज हुमारे देश में सभी ओर लूटमार, जातिवाद, सांप्रदायिकता, कालाबाजारी आदि बुराइयों की जड़ें गहराती जा रही हैं । भाई-भाई को ही मारने पर तुला हुआ है । जातिवाद तथा क्षेत्रीयवाद के नाम पर जगह-जगह दंगे-फसाद बढ़ रहे हैं, इन सबका प्रमुख कारण है देश में नागरिकों में राष्ट्रीय भावना का अभाव । लोगों में राष्ट्र, संविधान तथा तिरंगे के प्रति सम्मान घट रहा है ।
देश में बनी वस्तुओं व इसकी संस्कृति को हमारी नई पीढ़ी तुच्छ दृष्टि से देख रही है जो किसी भी राष्ट्र के लिए अति दुर्भाग्यपूर्ण है । इन परिस्थितियों में विद्यालय में कार्यरत सभी अध्यापकों का दायित्व और भी अधिक बढ़ जाता है क्योंकि मनुष्य जो कुछ भी छात्र जीवन में सीखता व ग्रहण करता है वही उसके चरित्र पर स्थाई प्रभाव डालते हैं ।
मैं प्रधानाचार्य के पद पर रहते हुए पूर्ण निष्ठा से अपने दायित्व का निर्वाह करूँगा । अपने विद्यालय में इस प्रकार की शिक्षा व्यवस्था रखूँगा ताकि हमारे समस्त छात्रगण अपनी पढ़ाई के साथ ही समस्त नैतिक मूल्यों को भी ग्रहण कर सकें एवं उनमें राष्ट्र तथा अपनी गौरवशाली संस्कृति व सभ्यता के प्रति प्रेम व गर्व की भावना जागृत हो सके ।
भूमिका
सेवा में,
शिक्षा निदेशक महोदय,
द् हेरिटेज स्कूल,
९९४ मदुरदाहा, चाओबागा रोड्
ईस्ट कोलकाता टाउनशिप्
कोलकाता - ७००१०७
दिनांक - १७/०६/१७
विषय : विद्यालयों में योग शिक्षा की अनिवार्यता के संबंध में पत्र।
मान्यवर
सविनय निवेदन यह है कि मैं संजय जैन द् हेरिटेज स्कूल के कक्षा १० का छात्र हूँ। अपने इस पत्र द्वारा मैं विद्यालय में योग शिक्षा की अनिवार्यता पर अपने कुछ सुझाव आपके सामने प्रेषित करने का साहस कर रहा हूँ। आशा है आप इस पर गंभीरता से विचार करेंगे।
हम सब जानते हैं कि एक स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है। स्वास्थ्य ही जीवन के आनंद का स्रोत होने के कारण विद्यार्थी काल में योग शिक्षा दिये जाने की नितांत आवश्यकता है क्योंकि यही समय भविष्य की आधारशिला है। योगासन शरीर को चुस्त, फुर्तीला तथा निरोग बनाए रखने में मदद करते हैं। आमतौर पर विद्यार्थी इस समय में लापरवाही या आलस्य के कारण व्यायाम नहीं करते, जिसका दुष्प्रभाव उनकी पढ़ाई पर भी देखने को मिलता है। वे थोड़ा सा परिश्रम करने पर ही थकावट का अनुभव करने लगते हैं। यदि योग शिक्षा को स्कूलों में एक विशेष के रूप में पढ़ाया जाए, तो वे अपनी मानसिक एकाग्रता को भी बढ़ा सकेंगे, जिसका सकारात्मक प्रभाव उनकी कार्यक्षमाता पर भी पड़ेगा।
आपसे अनुरोध है कि इस समस्या को अत्यंत गंभीरता से लें और इसकी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए तत्काल कोई ठोस कदम उठाएँ।
धन्यवाद
भवदीय
संजय जैन
दिनांक : 09/08/18
उचित मुहावरों से वाक्य पूरा करें ---
1.दिन भर काम करने के कारण आज मेरा अंग टूट रहा है।
2. वह बातें क्या कर रहा था, मानो अंगारे उगल रहा था।
3.मेरे गलत रास्ते पर जाने पर मित्र ने कहा भाई, तुम्हारी मर्जी है, तुम जान-बूझकर अंधे बन रहे हो।
4.अभिज्ञान शकुंतला के रचयिता कालीदास जी को लोग अक्ल का
अंधा समझते थे।
5. मगरूर लड़की! तेरी अक्ल चरने तो नहीं गई, जो इतने बड़े नेता
पर कीचड़ उछाल रही है ।
6. अनुशासनप्रिय सास अपनी आधुनिक बहुओं की अक्ल ठिकाने
लगाने में माहिर होती हैं।
7. स्वार्थी लोग किसी के साथ मिलकर काम करना नहीं जानते,
अपनी खिचड़ी अलग पकाते हैं।
[ अक्ल ठिकाने लगना : अक्ल का अँधा : अँगारे उगलना : अंग
टूटना : अँधा बनना अपनी खिचड़ी अलग पकाना : अक्ल चरने
जाना : आँख लगना : आग बबूला :आना-कानी करना]
2. स्कूल के प्रधानाध्यापक का पद बहुत ही आदरणीय तथा जिम्मेदारी पूर्ण है। यदि यह पद आपको प्राप्त हो जाए तो आप उस पद की जिम्मेदारियों को किस प्रकार पूरा करेंगे ? विस्तार से लिखें।
भूमिका
संपूर्ण शिक्षा का रीढ़ होता है प्रधानाध्यापक। ऐसे में प्रधानाचार्य की भूमिका महत्त्वपूर्ण हो जाती है। प्रधानाध्यापक का पद वास्तव में एक ऐसा पद है जो देश के भविष्य का निर्माण करने में अहम् भूमिका निभाती है। वैसे देखा जाए तो हर पद का अपना विशेष महत्त्व होता है। परंतु प्रधानाध्यापक का पद लेने वाले के कंधे पर एक बहुत बड़ा उत्तरदायित्व होता है। यह एक ऐसा पद है जिसकी आवश्यकता उस काल से मानी गई थी जब समाज के गठन की आवश्यकता हुई।
चिन्तनात्मक विकास:
सभी मनुष्य जीवन में बहुत कुछ हासिल करना चाहते हैं । उनकी आकांक्षाएँ ही परिणत होकर उन्हें डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक व व्यवसायी आदि बनाती हैं ।
यह बात अत्यंत महत्वपूर्ण है कि मनुष्य के अंतर्मन में दृढ़ इच्छा का समावेश हो क्योंकि दृढ़ इच्छा ही सफलता हेतु प्रथम सोपान है । हर मनुष्य की भाँति मेरे मन में यह तीव्र इच्छा है कि मैं भी शिक्षा के क्षेत्र में अपना महत्वपूर्ण योगदान दूँ । मेरी सदैव से यही अभिलाषा रही है कि मैं विद्यालय का प्रधानाचार्य बनूँ ।
प्रधानाचार्य के रूप में मेरे कुछ दायित्व हैं जो अत्यंत महत्वपूर्ण हैं । आधुनिक परिवेश को देखते हुए मेरा मानना है कि विद्यालय में अनुशासन का होना सर्वाधिक महत्वपूर्ण है । मैं विद्यालय में अनुशासन बनाए रखने हेतु हर संभव प्रयास करूँगा क्योंकि अनुशासन के बिना कुछ भी महत्वपूर्ण प्राप्त नहीं किया जा सकता है ।
लेकिन अनुशासन नियम के बल छात्रों पर लागू नहीं होता, अत: आवश्यक है कि सभी शिक्षक, छात्र तथा विद्यालय कर्मचारी आत्मानुशासन का पाठ सीखें । विद्यालय की विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से यह कार्य थोड़े से प्रयासों से संभव है ।
राष्ट्रपिता गाँधी जी के अनुसार, ”हम समाज में तब तक अनुशासन स्थापित नहीं कर सकते जब तक हम स्वयं आत्म-अनुशासन में रहना न सीख लें ।” यह निश्चित रूप से यथार्थ है । अत: मैं स्वयं अनुशासन में रहूँगा । इसके अतिरिक्त मैं यह प्रयास करूँगा कि विद्यालय के समस्त अध्यापकगण व कार्यकर्ता विद्यालय में समय से आएँ तथा विद्यालय के नियमों का भली-भाँति अनुसरण करें ।
सभी छात्र एवं शिक्षक पठन-पाठन के साथ-साथ अनुशासन व अन्य नैतिक गुणों से युक्त होकर विद्यालय प्रांगण में उपस्थित रहेंगे क्योंकि जब हम स्वयं नैतिक गुणों व अनुशासन से परिपूरित नहीं होंगे तब हमारा कार्य और भी अधिक दुष्कर हो जाएगा। अत: प्रधानाचार्य के रूप में मेरा सर्वाधिक कार्य यह होगा कि मैं विद्यालय में ऐसी व्यवस्था कायम करूँ ताकि सभी छात्र व अध्यापकगण विद्यालय में समय पर आएँ और सभी अध्यापक समय पर अपनी कक्षाओं में जाकर अध्यापन कार्य संपन्न करें ।
विद्यालय में अनुशासन के पश्चात् मेरी दूसरी प्रमुख प्राथमिकता रहेगी कि छात्रों में नैतिक मूल्यों को बढ़ावा दिया जाए, जो उनके उत्तम चरित्र व व्यक्तित्व के निर्माण में अत्यत सहायक होता है । देश में आज चारों ओर नैतिक मूल्यों का हास होने के कारण चारों ओर व्याभिचार, असंतोष, लूटमार आदि की घटनाएँ बढ़ती ही जा रही हैं।
इसके लिए आवश्यक है कि छात्रों में नैतिक मूल्यों को बढ़ावा दिया जा सके । इस संदर्भ में मैं विद्यालय पाठ्यक्रम में नैतिक शिक्षा को पूर्ण अनिवार्यता प्रदान करूँगा । इतना ही नहीं, इसमें उत्तीर्ण होना भी सभी छात्रों के लिए अनिवार्य होगा ।
विद्यालय में अनुशासन एवं नैतिक शिक्षा के अतिरिक्त मैं पाठ्यक्रम की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दूँगा । मैं उन पुस्तकों को पाठ्यक्रम में शामिल करूँगा जो छात्रों में मौखिक ज्ञान तो दे ही दें, साथ ही साथ उन्हें व्यवहारिक ज्ञान भी प्राप्त हो । विह्ययलय में तकनीकी शिक्षा पर विशेष ध्यान देना मेरी प्राथमिकता रहेगी ।
आज का युग कंप्यूटर का युग है । धीरे-धीरे इसकी महला हमारे देश में भी बढ़ती जा रही है । समय के साथ यह विज्ञान वर्ग के ही छात्रों के लिए नहीं अपितु अन्य वर्गों के लिए भी आवश्यक होगा । अत: मैं विद्यालय प्रबंधक कमेटी के सहयोग से अपने विद्यालय में प्राथमिक कक्षाओं से ही कंप्यूटर अनिवार्य रूप से दिलाने की व्यवस्था कराऊंगा ताकि हमारे छात्र भविष्य में प्रगति की दौड़ में पीछे न रह जाएँ ।
खेलकूद एवं व्यायाम किसी भी मनुष्य के सर्वांगीण विकास के लिए अति आवश्यक है । स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है, यह सभी जानते हैं । अत: मैं चाहूँगा कि हमारे विद्यालय में पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद तथा व्यायाम आदि को भी समान रूप से महत्व प्रदान किया जाए।बच्चे अपनी पढ़ाई के साथ ही साथ खेलकूद तथा अन्य सांस्कृतिक कार्यकलापों में भाग लें तथा सुदृढ़ व सुगठित व्यक्तित्व का निर्माण कर सकें।
आज हुमारे देश में सभी ओर लूटमार, जातिवाद, सांप्रदायिकता, कालाबाजारी आदि बुराइयों की जड़ें गहराती जा रही हैं । भाई-भाई को ही मारने पर तुला हुआ है । जातिवाद तथा क्षेत्रीयवाद के नाम पर जगह-जगह दंगे-फसाद बढ़ रहे हैं, इन सबका प्रमुख कारण है देश में नागरिकों में राष्ट्रीय भावना का अभाव । लोगों में राष्ट्र, संविधान तथा तिरंगे के प्रति सम्मान घट रहा है ।
देश में बनी वस्तुओं व इसकी संस्कृति को हमारी नई पीढ़ी तुच्छ दृष्टि से देख रही है जो किसी भी राष्ट्र के लिए अति दुर्भाग्यपूर्ण है । इन परिस्थितियों में विद्यालय में कार्यरत सभी अध्यापकों का दायित्व और भी अधिक बढ़ जाता है क्योंकि मनुष्य जो कुछ भी छात्र जीवन में सीखता व ग्रहण करता है वही उसके चरित्र पर स्थाई प्रभाव डालते हैं ।
उपसंहार:
मैं प्रधानाचार्य के पद पर रहते हुए पूर्ण निष्ठा से अपने दायित्व का निर्वाह करूँगा । अपने विद्यालय में इस प्रकार की शिक्षा व्यवस्था रखूँगा ताकि हमारे समस्त छात्रगण अपनी पढ़ाई के साथ ही समस्त नैतिक मूल्यों को भी ग्रहण कर सकें एवं उनमें राष्ट्र तथा अपनी गौरवशाली संस्कृति व सभ्यता के प्रति प्रेम व गर्व की भावना जागृत हो सके ।
3. अपने जीवन में
घटी उस घटना का वर्णन कीजिए जिसे याद
करके, आप आज भी हँसे बिना नहीं रहते तथा इससे आपको
क्या लाभ मिलता है ?
हम सब की चाहत होती है कि हमारा
जीवन सफ़ल एवं समृद्ध हो। ख़ुशियों से इन्सान को अपने जीवन में संतोष
प्राप्त होता है। जीवन में ख़ुशियों की प्राप्ति एक ऐसा विषय है जिसमें
अधिकांश लोगों को दिलचस्पी होती है। ख़ुश रहने का एक तरीक़ा
हंसना है, जिससे ख़ुशी को प्रकट किया जाता है। शोध से पता चलता है कि हंसना
न केवल लोगों की ख़ुशी का कारण है बल्कि उन्हें स्वस्थ भी रखता है।हँसना मनुष्य का प्राकृतिक स्वाभाव है। जब हम छोटे थे तो पूरा दिन ही
हंसी-मजाक में गुजर जाता था | फिर हम बड़े हुए, हमे अच्छी नौकरी पानी थी। और इसी चक्कर में हमने अपने चेहरे की मुस्कान कहीं न
कहीं खो दी।
मुस्कुराहट एक ऐसी वस्तु है जिसे हम सबको दे सकते है। यदि आपने प्रसन्नचित रहने का स्वभाव बना लिया है, हंसने-मुस्कुराने को जीवन का अंग बना लिया है तो निश्चित ही आप आगे बढ़ते रहेंगे। आपके आत्मविश्वास में वृद्धि होगी और आप जहाँ कहीं होंगे, वहीँ अपनी मुस्कान से लोगों को अपनी ओर खीच लेंगे। आप लोगों से जुड़ेंगे और लोग आपसे।
कक्षा ६ में हम सभी मित्र अभी नए-नए आए थे। हमें पढ़ाने वाले सभी शिक्षक भी हमारे लिए नए थे क्योंकि कक्षा ६ से १२ तक के शिक्षक कक्षा ५ को प्रायः नहीं पढ़ाया करते थे। वे बड़े प्यार से हमें समझने और हमें नए नियम समझाने में लगे थे और मैं और मेरे दोस्त उन्हीं नियमों से बचने का उपाय ढूँढ़ने में लगे रहते थे।
एक बार जब हम अपने दोपहर का भोजन खाकर अपनी कक्षा में आए तो अगली कक्षा की घंटी बज गई। विषय थी हिन्दी। हमें हमारे शिक्षक ने पहले ही बता दिया था कि वे आज निबंध लिखाएँगे। हम बचने का कोई उपाय सोचते, इससे पहले ही हमारे हिन्दी के अध्यापक कक्षा में बड़ी मुस्तैदी से प्रवेश करते हैं और सभी बच्चों को व्याकरण की कॉपी निकालने का निर्देश देते हैं। हम भी हताश होकर अपनी जगह बैठ जाते हैं और अपनी कॉपी और कलम निकाल लेते हैं। हमारे अध्यापक जी ने श्यामपट पर निबंध का विषय भी लिख दिया था - " विद्यार्थी जीवन और अनुशासन "।
मैं विषय के बारे में गंभीरता से सोचने लगा। अचानक मैंने अपने अध्यापक के मुख से अपने दोस्त का नाम सुना, वे उससे पूछ रहे थे कि वह क्यों रो रहा है ? मैं आश्चर्य में पड़ गया क्योंकि अभी कुछ देर पहले ही वो एक दम ठीक था। वह रो रहा था। पूछने पर उसने बताया कि उसके पेट में बहुत दर्द है। मुझे भी उसकी चिन्ता होने लगी। तब हमारे शिक्षक ने उसे शांत किया और जाकर दवाई लेने को कहा। परंतु वह लगातार अपना पेट पकड़े रोए जा रहा था। चूँकि मैं उसकी बगल में बैठा था इसलिए मुझे उसे विद्यालय के औषधालय तक ले जाने का उत्तरदायित्व दिया गया। मैं उसे पकड़ कर कक्षा के बाहर ले गया । अभी हम थोड़ी दूर ही पहुँचे थे कि वह एकदम सीधे खड़ा हो गया और बोला चल थोड़ा फ़ुटबॉल खेलते हैं। मैंने हैरानी से उसे देखा , वह मेरी तरफ़ देखकर हँस रहा था। मुझे सारी बात समझ आ गई। उसके बाद हम दोनों ही अपना पेट पकड़ कर मैदान में लोट-पोट हो थे। बाद में हमें इसका दंड भी भुगतना पड़ा था , परंतु उस क्षण हमने जो हँसी के पल जीए थे उसकी गुदगुदाहट आज भी महसूस होती है।
हँसने से आपके स्किन का बेहत अच्छी तरह से व्यायाम होता है| ख़ूबसूरत चेहरा पाने के लिए यह एक बेहतरीन नुस्का है। हँसी आपको जीवन में कभी निराश नहीं होने देती। हँसी से आत्मविश्वास भी बढ़ता है।हँसी से टेंशन और डिप्रेशन कम होता है। हंसने से हद्रय की एक्सरसाइज हो जाती है। रक्त का संचार अच्छीतरह होता है। हँसने पर शरीर से एंडोर्फिन रसायन निकलता है, ये द्रव्य ह्रदय को मजबूत बनाता है। हँसने से हार्ट-अटैक की संभावना कम हो जाती है। एक रिसर्च के अनुसार ऑक्सीजन की उपस्थिती में कैंसर कोशिका और कई प्रकार के हानिकारक बैक्टीरिया एवं वायरस नष्ट हो जाते हैं। ऑक्सीजन हमें हँसने से अधिक मात्रा में मिलती है और शरीर का प्रतिरक्षातंत्र भी मजबूत हो जाता है। यह नेचुरल पेनकिलर का काम करता है। हँसी से आप एक तीर से दो निशाने लगा सकते है। हँसी में सच और शिक़ायत दोनों बातें साथ कहने की क्षमता बढ़ती है। यदि सुबह के समय हास्य ध्यान योग किया जाए तो दिन भर प्रसन्नता रहती है। यदि रात में ये योग किया जाये तो नींद अच्छी आती है। हास्य योग से हमारे शरीर में कई प्रकार के हारमोंस का स्राव होता है, जिससे मधुमेह, पीठ-दर्द एवं तनाव से पीङित व्यक्तियों को लाभ होता है। हँसने से सकारत्मक ऊर्जा भी बढ़ती है, खुशहाल सुबह से ऑफिस का माहौल भी खुशनुमा होता है। तो दोस्तों, क्यों न हम सब दो चार चुटकुले पढ़ कर या सुनकर अपने दिन की शुरुवात जोरदार हँसी के साथ करें। रोज एक घंटा हँसने से 400 कैलोरी ऊर्जा की खपत होती है, जिससे मोटापा भी काबू में रहता है। आज कल कई हास्य क्लब भी तनाव भरी जिंदगी को हँसी के माध्यम से दूर करने का कार्य कर रहे हैं।
मुस्कुराहट एक ऐसी वस्तु है जिसे हम सबको दे सकते है। यदि आपने प्रसन्नचित रहने का स्वभाव बना लिया है, हंसने-मुस्कुराने को जीवन का अंग बना लिया है तो निश्चित ही आप आगे बढ़ते रहेंगे। आपके आत्मविश्वास में वृद्धि होगी और आप जहाँ कहीं होंगे, वहीँ अपनी मुस्कान से लोगों को अपनी ओर खीच लेंगे। आप लोगों से जुड़ेंगे और लोग आपसे।
हंसी
जीवन का अद्भूत वरदान है। इसके बहुआयामी फायदे हैं। हंसने और ठहाके लगाने
से शरीर में एर्डोफिन हार्मोन का उत्सर्जन होता है जो मानव तन में सक्रियता
स्फूर्ति एवं प्रसन्नता को जगाता है। सिर दर्द, उच्च रक्तचाप, मधुमेह में
भी इसके लाभ हैं। - See more at:
http://www.jagran.com/bihar/jamui-9225359.html#sthash.zg1PfmVt.dpuf
किसी भी मनुष्य के जीवन में हँसी अधिकतर उसके विद्यार्थी जीवन में ही आती हैं। मेरे जीवन में भी ऐसी कई घटनाएँ घटी हैं जिन्हें याद कर के आज भी अपने एकाकीपन को दूर कर लेता हूँ। बात उस समय की है जब मैं कक्षा ६ में पढ़ता था। वो दिन सच में जीवन के सबसे बेहतरीन दिन थे, दुनिया को मुठ्ठी में कर लेने का जज़्बा था और दोस्तों के लिए मर मिटने की धुन सवार रहता था। उन दिनों केवल दोस्त ही अपने लगते थे, उनकी बातें ही सच्ची लगती थीं । उनके मुख से निकला एक वाक्य मेरे लिए ब्रह्मवाक्य होता था। जब कभी हमें अपनी दोस्ती दिखाने का मौका मिलता हम पीछे नही हटते थे। उन्ही दिनों की यह एक घटना है जिसे मैं आज भी जब याद करता हूँ तो, अनायास ही मुस्कुराहट मेरे होंठों पर तैर जाती है।कक्षा ६ में हम सभी मित्र अभी नए-नए आए थे। हमें पढ़ाने वाले सभी शिक्षक भी हमारे लिए नए थे क्योंकि कक्षा ६ से १२ तक के शिक्षक कक्षा ५ को प्रायः नहीं पढ़ाया करते थे। वे बड़े प्यार से हमें समझने और हमें नए नियम समझाने में लगे थे और मैं और मेरे दोस्त उन्हीं नियमों से बचने का उपाय ढूँढ़ने में लगे रहते थे।
एक बार जब हम अपने दोपहर का भोजन खाकर अपनी कक्षा में आए तो अगली कक्षा की घंटी बज गई। विषय थी हिन्दी। हमें हमारे शिक्षक ने पहले ही बता दिया था कि वे आज निबंध लिखाएँगे। हम बचने का कोई उपाय सोचते, इससे पहले ही हमारे हिन्दी के अध्यापक कक्षा में बड़ी मुस्तैदी से प्रवेश करते हैं और सभी बच्चों को व्याकरण की कॉपी निकालने का निर्देश देते हैं। हम भी हताश होकर अपनी जगह बैठ जाते हैं और अपनी कॉपी और कलम निकाल लेते हैं। हमारे अध्यापक जी ने श्यामपट पर निबंध का विषय भी लिख दिया था - " विद्यार्थी जीवन और अनुशासन "।
मैं विषय के बारे में गंभीरता से सोचने लगा। अचानक मैंने अपने अध्यापक के मुख से अपने दोस्त का नाम सुना, वे उससे पूछ रहे थे कि वह क्यों रो रहा है ? मैं आश्चर्य में पड़ गया क्योंकि अभी कुछ देर पहले ही वो एक दम ठीक था। वह रो रहा था। पूछने पर उसने बताया कि उसके पेट में बहुत दर्द है। मुझे भी उसकी चिन्ता होने लगी। तब हमारे शिक्षक ने उसे शांत किया और जाकर दवाई लेने को कहा। परंतु वह लगातार अपना पेट पकड़े रोए जा रहा था। चूँकि मैं उसकी बगल में बैठा था इसलिए मुझे उसे विद्यालय के औषधालय तक ले जाने का उत्तरदायित्व दिया गया। मैं उसे पकड़ कर कक्षा के बाहर ले गया । अभी हम थोड़ी दूर ही पहुँचे थे कि वह एकदम सीधे खड़ा हो गया और बोला चल थोड़ा फ़ुटबॉल खेलते हैं। मैंने हैरानी से उसे देखा , वह मेरी तरफ़ देखकर हँस रहा था। मुझे सारी बात समझ आ गई। उसके बाद हम दोनों ही अपना पेट पकड़ कर मैदान में लोट-पोट हो थे। बाद में हमें इसका दंड भी भुगतना पड़ा था , परंतु उस क्षण हमने जो हँसी के पल जीए थे उसकी गुदगुदाहट आज भी महसूस होती है।
हंसी
जीवन का अद्भूत वरदान है। इसके बहुआयामी फायदे हैं। हंसने और ठहाके लगाने
से शरीर में एर्डोफिन हार्मोन का उत्सर्जन होता है जो मानव तन में सक्रियता
स्फूर्ति एवं प्रसन्नता को जगाता है। सिर दर्द, उच्च रक्तचाप, मधुमेह में
भी इसके लाभ हैं। - See more at:
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अतः दुनिया में सबसे अच्छी भावनाओं में से एक है हँसी| खुल के हँसो, ज़ोरदार
हँसो क्योंकि हँसने से सकारात्मक सोच बढ़ती है। हँसी को हम उस असरदार दवा की
तरह मानते हैं, जो दुखों और घावों को ठीक करने में सबसे ज़्यादा असरकारक
है। हँसने के कारण आपकी सोच सकारात्मक हो जाती है। हँसी वो चमत्कारिक योग
है जिससे तमाम समस्याओं का समाधान अपने आप ही हो जाता है। हँसने से आपके स्किन का बेहत अच्छी तरह से व्यायाम होता है| ख़ूबसूरत चेहरा पाने के लिए यह एक बेहतरीन नुस्का है। हँसी आपको जीवन में कभी निराश नहीं होने देती। हँसी से आत्मविश्वास भी बढ़ता है।हँसी से टेंशन और डिप्रेशन कम होता है। हंसने से हद्रय की एक्सरसाइज हो जाती है। रक्त का संचार अच्छीतरह होता है। हँसने पर शरीर से एंडोर्फिन रसायन निकलता है, ये द्रव्य ह्रदय को मजबूत बनाता है। हँसने से हार्ट-अटैक की संभावना कम हो जाती है। एक रिसर्च के अनुसार ऑक्सीजन की उपस्थिती में कैंसर कोशिका और कई प्रकार के हानिकारक बैक्टीरिया एवं वायरस नष्ट हो जाते हैं। ऑक्सीजन हमें हँसने से अधिक मात्रा में मिलती है और शरीर का प्रतिरक्षातंत्र भी मजबूत हो जाता है। यह नेचुरल पेनकिलर का काम करता है। हँसी से आप एक तीर से दो निशाने लगा सकते है। हँसी में सच और शिक़ायत दोनों बातें साथ कहने की क्षमता बढ़ती है। यदि सुबह के समय हास्य ध्यान योग किया जाए तो दिन भर प्रसन्नता रहती है। यदि रात में ये योग किया जाये तो नींद अच्छी आती है। हास्य योग से हमारे शरीर में कई प्रकार के हारमोंस का स्राव होता है, जिससे मधुमेह, पीठ-दर्द एवं तनाव से पीङित व्यक्तियों को लाभ होता है। हँसने से सकारत्मक ऊर्जा भी बढ़ती है, खुशहाल सुबह से ऑफिस का माहौल भी खुशनुमा होता है। तो दोस्तों, क्यों न हम सब दो चार चुटकुले पढ़ कर या सुनकर अपने दिन की शुरुवात जोरदार हँसी के साथ करें। रोज एक घंटा हँसने से 400 कैलोरी ऊर्जा की खपत होती है, जिससे मोटापा भी काबू में रहता है। आज कल कई हास्य क्लब भी तनाव भरी जिंदगी को हँसी के माध्यम से दूर करने का कार्य कर रहे हैं।
निम्नलिखित वाक्यों
में विशेषण और भाववाचक संज्ञा को अलग-अलग रंगों से रेखांकित करें :-
१. यह आवश्यक है कि हमें अपनी
आवश्यकता को भली-भाँति
पहचानना होगा।
२. एक आलसी व्यक्ति, अपने जीवन
की हर खुशी को अपने
आलस्य में खो देता है।
३. दुर्योधन के बचपन की दुष्टता
ने ही भविष्य में उसे दुष्ट
व्यक्तियों की श्रेणी में लाकर खड़ा कर दिया।
४. कुछ कायर शासकों की कायरता
के कारण ही देश को ग़ुलाम
होना पड़ा था।
५. निर्बल लोगों पर अत्याचार
करने वाले का बल नहीं वरन् उसकी
निर्बलता ही प्रमाणित होती है।
७. ऊँचे हिमालय की ऊँचाई को
मापने का हठ केवल कर्मवीर ही
कर सकते हैं।
८. कृपण लोगों की कृपणता पर कई
किस्से मशहूर हैं।
९. प्यासा यात्री अपनी प्यास
बुझाने के लिए रेगिस्तान में भटक
रहा था।
१०. विज्ञान एक गंभीर विषय है,
विद्यार्थी को इसकी गंभीरता को
समझना चाहिए।
११. मीठा बोलने वाले के स्वभाव
में भी मिठास होती है।
१२. सूरज की लाल किरणों की लालिमा ने पूरे वातावरण को बदल
डाला था।
१३. वीर की वीरता ही हारे हुए
युद्ध को जीत में बदल देती है।
१४. मूर्ख मित्र की मूर्खता के
कारण कभी-कभी मुसीबत में पड़ना
पड़ता है।
१५. स्वास्थ्य का पूरा ध्यान
रखकर ही स्वस्थ रहा जा सकता है।
१६. मेरे दादा जी के सफ़ेद बालों
की सफ़ेदी वास्तव में उनके
अनुभव को बताती है।
१७. कोई भी एक व्यक्ति देश में
एकता नहीं ला सकता है।
१८. भावुक व्यक्ति अक्सर
भावुकता में पड़कर गलत कदम उठा
लेते हैं।
१९.किसी भी परिस्थिति में
इंसान को अपनी इंसानियत नहीं छोड़नी
चाहिए।
२०. अपना-अपना छोड़कर अपनेपन की
भावना अपनाने से ही मैत्री
बढ़ती है।
२१. गहरे सागर की गहराई को
नापना कठिन है।
२२. दुष्ट के निकट रहने पर आपको
उनकी निकटता का भारी
मोल चुकाना पड़ सकता है।
२३. हरे- भरे बगीचे की हरियाली
सबका मन मोह लेती है।
२४. ईश्वर कभी भी अपने भक्त की
भक्ति पर शंका नहीं करता है।
२५. शांत रहकर हम आसानी से
शांति को पा सकते हैं ।
२६. मस्त बच्चे की मस्ती को
शब्दों में बताना नामुमकिन है।
२७. भूख से व्याकुल एक भूखा
व्यक्ति कुछ भी करने को तैयार हो
जाता है।
२८. अधिक धन रखने वाला व्यक्ति
इसकी अधिकता के कारण इसका मूल्य
भूल जाते हैं।
२९. दुखी व्यक्ति का मज़ाक उड़ाकर आप उसके दुख को और
बढ़ाते हैं।
३०. उसके जैसा बेईमान मैंने नहीं देखा, उसकी
बेईमानी की बात मत करो।
३१. राजीव की आय कम है, पर उसने
परिवार को कोई कमी नहीं होने दी।
३२. किसी विवश व्यक्ति की
विवशता का लाभ हमें नहीं उठाना चाहिए।
३३. यह स्केल लंबा तो है, पर
इससे तुम पलंग की लंबाई नहीं नाप सकते।
३४. तुम जैसे पागल के पागलपन से
बचा तो मैं सकुशल रहूँगा।
१. विद्यालय के पाठ्यक्रम में योग के महत्त्व पर विचार
व्यक्त करते हुए शिक्षा-मंत्री को पत्र लिखिए। [ औपचारिक ]
सेवा में,
शिक्षा निदेशक महोदय,
द् हेरिटेज स्कूल,
९९४ मदुरदाहा, चाओबागा रोड्
ईस्ट कोलकाता टाउनशिप्
कोलकाता - ७००१०७
दिनांक - १७/०६/१७
विषय : विद्यालयों में योग शिक्षा की अनिवार्यता के संबंध में पत्र।
मान्यवर
सविनय निवेदन यह है कि मैं संजय जैन द् हेरिटेज स्कूल के कक्षा १० का छात्र हूँ। अपने इस पत्र द्वारा मैं विद्यालय में योग शिक्षा की अनिवार्यता पर अपने कुछ सुझाव आपके सामने प्रेषित करने का साहस कर रहा हूँ। आशा है आप इस पर गंभीरता से विचार करेंगे।
हम सब जानते हैं कि एक स्वस्थ मस्तिष्क निवास करता है। स्वास्थ्य ही जीवन के आनंद का स्रोत होने के कारण विद्यार्थी काल में योग शिक्षा दिये जाने की नितांत आवश्यकता है क्योंकि यही समय भविष्य की आधारशिला है। योगासन शरीर को चुस्त, फुर्तीला तथा निरोग बनाए रखने में मदद करते हैं। आमतौर पर विद्यार्थी इस समय में लापरवाही या आलस्य के कारण व्यायाम नहीं करते, जिसका दुष्प्रभाव उनकी पढ़ाई पर भी देखने को मिलता है। वे थोड़ा सा परिश्रम करने पर ही थकावट का अनुभव करने लगते हैं। यदि योग शिक्षा को स्कूलों में एक विशेष के रूप में पढ़ाया जाए, तो वे अपनी मानसिक एकाग्रता को भी बढ़ा सकेंगे, जिसका सकारात्मक प्रभाव उनकी कार्यक्षमाता पर भी पड़ेगा।
आपसे अनुरोध है कि इस समस्या को अत्यंत गंभीरता से लें और इसकी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए तत्काल कोई ठोस कदम उठाएँ।
धन्यवाद
भवदीय
संजय जैन
१.निम्नलिखित शब्दों में
से उपसर्ग अलग करें :-
अधिकार,उद्गम,अत्यधिक,अधिनायक,अनुचर,अत्यंत, अतिरिक्त, अधिपति,अतिशय,अनुकरण,अभिनय,अवगुण,अनुसार,आजीवन, अनुशासन,अपयश,अवनति,अपमान,आगमन,अपकार,उत्कर्ष,अभियान, अवनति,अभिषेक,अवतार,उत्तम,अभिमुख,उत्पत्ति
२.निम्नलिखित शब्दों में उपयुक्त उपसर्ग लगाएँ :- [अ, दुस्, उप, प्रति, दुर्, निर्,
सु, ]
देश, आकार, साहस, अपराध, थाह, शिक्षित, क्षण, वन, आचार,गम,मंत्री, कूल, हार, दशा, यक्ष, जन, चरित्र, एक, कर, जन, गुण, जन, टल,
गम, पात्र, छूता,
३.निम्नलिखित शब्दों में
से प्रत्तय अलग करें :-
लेखक, व्यथित, पालन, लड़ाई, उड़ान, पठित, डटैया, पाठक, सहन, सिलाई, गवैया, कारक, नयन, पढ़ाई, मिलान, फलित, खवैया, गायक, चरण,
चढ़ाई, दौड़ान, पुष्पित, बचैया,
४.निम्नलिखित शब्दों में उपयुक्त प्रत्तय लगाएँ :-
[हार, आइन, आई, आनी, आर, आहट, एरा, कर ]
साँप,चिकना, लोह, चतुर, होन, पण्डित, बहुत, घबरा, सुन, राखन, सेठ, ठाकुर, मामा, चिल्ला, खेवन, पण्डित, ठाकुर, लड़, लुट, चौड़ा, नौकर, गँवा, कड़वा, अंध, ख़ास
निम्नलिखित शब्दों के विशेषण बनाइए : -
पढ़ना , अलंकार , पत्थर , ग्राम , अहिंसा , दिन , नीति ,
प्रातःकाल , आयु , ओज , कर्त्तव्य ,
खेल , गति , गाँव , ग्राम , देहात , घर , ज्योति , तप ,
भाग्य , गुरू , फल , हानि , नियम ,
सोना , हत्या , संदेह , पुरुष , पूजा , भय ।
निम्नलिखित शब्दों को शुद्ध करें : -
क्रिपया , आशिर्वाद , अत्याधिक , अनाधिकार , आधीन
, अतिथी , अंतर्राष्ट्रीय , आध्यात्म , अंजान , अंतरीक्ष , अनिश्च्त , आवाम , आसाम
, अवश्यकता , आँटा , अहार , अस्तीन
आईए , आईना , अगामी, अधारित , अवारा , आंतकवादी , आँसूओं
, अध्यात्मिक , आर्दता
निम्नलिखित शब्दों को तत्सम रूप लिखिए : -
आँख , हाथ , दूध , घर , कोयल , मोर , पत्थर , पाँव , घोड़ा ,
बादल , पत्ता , खेल , चाँद , फूल
अचरज , आठ , आग , जीभ , दही , धूआँ , कछुवा , कान , बूँद ,
अमीय , आम , ओठ , गेहूँ ,
घी , ईख , काज , काम , कुम्हार , बहू , भगत , मुँह , मीठा ,
नेह , नींद , सोना , शाम , नाक
निम्नलिखित शब्दों को विपरितार्थक शब्द लिखिए : -
उदार , स्तुति , स्थूल , चंचल , गौरव , आदन , आयात , उपकार
, क्रय , विधि , उदय , अभिशाप
विरोध , अलस्य , उचित , पाप , अधम , अतिवृष्टि , अनुरक्त ,
अपमानित , अमृत , अल्पायु , अगम , अमर , अनुग्रह , अपना , अग्रज , अनुकूल ,
अपव्ययी , अनाथ , अंतर्मुखी , अरुचि , अर्थ
निम्नलिखित शब्दों को भाववाचक संज्ञा शब्द
लिखिए : -
अतिथि , सज्जनता , अमर , मित्र , ईश्वर , शिशु , कुमार ,
बाल , चोर , भाई , मनुष्य , राष्ट्र ,
दासता , प्रभु , आदमी , इंसान , बच्चा , कृषक , ब्राह्मण ,
वीर , कारीगर , लड़का , मानव ,
चिकित्सक , देव , स्वामी , साधु , भ्राता , शत्रु , वकील ,
रंग , बूढ़ा , नृप , प्रतिनिधि , सर्व
दिए गए वाक्यों में रेखांकित शब्दों के लिंग बदल कर वाक्यों
को दोबारा लिखें-
क) सम्राट पंडित जी को दान दे रहे हैं।
ख) सेठानी ने ग्वाले से दूध लिया ।
ग) सिंह ने हाथिनी को डरा दिया ।
घ) अध्यापक छात्राओं को पढ़ा रहा है ।
ड.) लेखक बहुत विद्वान हैं ।
च) आज्ञाकारी छात्र को सभी बहुत पसंद करते हैं ।
छ) फ़िल्म की नायिका अच्छी नर्तकी भी थी ।
ज) सर्प ने उसके देवर को डस लिया ।
झ) माता जी नौकर से काम करवा रही है ।
ञ ) कवि ने वधू
को उपहार दिया ।
निम्नलिखित वाक्यों के वाच्य बदलिए :-
i) स्वामी जी ने बच्चों को आशीर्वाद दिया।
ii) सैनिकों द्वारा
उग्रवादी मार गिराए गए ।
iii) हम रोज़ दौड़ते हैं ।
iv) आओ ऊपर चलें ।
v) सचिन ने सौ रन बनाए ।
vi) पक्षियों से आकाश में उड़ा जाता
है।
vii) गरमियों में छत पर सोते हैं ।
viii) मुझसे लेटा नहीं जा रहा है ।
ix) बच्चा दूध पी रहा है ।
x) वह सो नहीं सका ।
दिनांक : 09/08/18
छोड़े गए रिक्त स्थान में उचित पर्यायवाची लिखें :-
१.अग्नि – आग, अनल, पावक।
२. घर – आलय , निकेतन, आवास।
३. अश्व – घोड़ा, घोटक, तुरंग ।
४. घड़ा – मटका,
कलश, सुराही।
५. अतिथि – मेहमान, पाहुना आगन्तुक।
६. चँद्रमा – चाँद, शशि , चन्द्र।
७. अमृत - सोम, पीयुष, सुधा।
८. जल – पानी, तोय, नीर।
९. असुर - दानव, राक्षस, दैत्य।
१०. जंगल – कानन, विपिन, वन।
११. अहंकार – घमंड , दंभ , अभिमान।
१२. झंडा –
ध्वज, केतु , पताका।
१३. अंधकार – अँधेरा, अँधियारा, तम।
९४. तलवार – खड्ग, शमशीर, करवाल।
१५. आँख -
नयन, चक्षु , नेत्र।
१६. तालाब - पोखर, जलाशय, ताल।
९७. आभूषण – गहने, ज़ेवर , अलंकार।
१८. दिन – दिवस, वासर, वार।
१९. आनंद - हर्ष, प्रसन्नता, उल्लास।
२०. दरिद्र - दीन, गरीब, निर्धन।
२१. आदेश - आज्ञा, हुक्म , निदेश।
२२. दुख – वेदना, पीड़ा, कष्ट।
२३. आकांक्षा - अभिलाषा, कामना , इच्छा।
२४. धन – संपत्ति, दौलत, अर्थ।
२५. इंद्र -
देवेंद्र, सुरपति, सुरेंद्र।
२६. धरा – धरती, पृथ्वी, वसुंधरा।
२७. ईश्वर - भगवान, परमात्मा , प्रभु।
२८. नदी – सरिता, दरिया, तटिनि।
२९. उन्नति – प्रगति, विकास , उत्थान।
३०. नौकर – सेवक , चाकर, दास।
३१. कपड़ा - चीर , वस्त्र, वसन।
३२. नौका – नाव, पोत, डोंगी।
३३. कमल - जलज, नीरज, पंकज।
३४. पक्षी – खग, विहग, चिड़िया।
३५. किनारा - तट, कूल , तीर।
३६. पहाड़ – पर्वत, गिरी, नग।
३७. कोयल - पिक, कोकिला, श्यामा।
३८. पवन – वायु, समीर, हवा।
३९. कृष्ण – केशव, माधव, कान्हा।
४०. पुत्र – बेटा,
सुत, तनय।
४१. गणेश – गणपति, लंबोदर,
गजानन।
४२. पुत्री – बेटी, सुता, तनया।
४३. गंगा - भागीरथी , मन्दाकिनी , सुरसरि।
४४. पुष्प – फूल, कुसुम, सुमन।
२.निम्नलिखित रिक्त स्थान
की पूर्ति रेखांकित शब्दों के विलोम शब्द से भरें:-
१. समुद्र मंथन से प्राप्त अमृत
देवों को दिया गया जबकि विष
दैत्यों को।
दैत्यों को।
२. बाजीराव पेशवा ने अपनी अल्पायु में ही दीर्घायु के कार्य कर
लिए थे।
लिए थे।
३. नाटक का आरंभ रोचक था
परंतु उसका अंत उतना प्रभावी न
था।
था।
४. स्वास्थ्य की दृष्टि से आमिष
लोगों को निरामिष होने का
सुझाव दिया जा रहा है।
सुझाव दिया जा रहा है।
५. अधिकतर लोगों की क्रिकेट में
रूचि है जबकि अन्य राष्ट्रीय
खेलों के प्रति अरुचि।
खेलों के प्रति अरुचि।
६. सूर्य का उदय होना
और उसका अस्त होना पृथ्वी की अपनी धूरी
पर घूमना होता है।
पर घूमना होता है।
७. हर बातें हमेशा हमारे अनुकूल
नहीं होती हैं, कभी-कभी प्रतिकूल
भी होती हैं।
भी होती हैं।
८. व्यायाम हमारे आलस्य को निकालकर स्फूर्ति लाता है।
९. मनुष्य को कड़वा नहीं मीठा बोलना चाहिए।
१०. हमारे वैज्ञानिकों ने आकाश
के ही नहीं पाताल के भी
रहस्य खोज निकाले हैं।
रहस्य खोज निकाले हैं।
११. गुप्ता जी की दो संतान
हैं ज्येष्ठ है बेटा और कनिष्ठ है
बेटी।
बेटी।
१२. कर्मवीर देश का उत्थान करते हैं जबकि अकर्मण्य लोग देश
का पतन।
का पतन।
१३. भारत की विशेषता है कि यहाँ
अनेकता में भी एकता पाई
जाती है।
जाती है।
१४. श्री राम भाइयों में अग्रज थे जबकि भरत अनुज।
१५. ऊसर भूमि को ऊर्वर बनाने के लिए किसानों को नई तकनीकी
को अपनाना होगा।
को अपनाना होगा।
१६. स्वाधीन देश में
रहने वालों को पराधीन देश की पीड़ा शायद
समझ न आए।
समझ न आए।
१७. परीक्षा नज़दीक आने पर रात की नींद और दिन का चैन सब
खो जाता है।
खो जाता है।
१८. मनुष्य को अपनी आय
के अनुसार व्यय करना चाहिए।
१९. इस जगत में ऊपर वाला दाता है और हम सब याचक हैं।
२०. हमें केवल सुख का ही
नहीं वरन् दुख का भी स्वागत करना
होगा।
होगा।
२१. आपको समाज में केवल उत्तम पुरुष ही नहीं वरन् अधम भी
मिलेंगे।
मिलेंगे।
२२. राजस्थान में जहाँ अनावॄष्टि होती है, वहीं असम में अतिवृष्टि
होती है।
होती है।
उचित मुहावरों से वाक्य पूरा करें ---
1.दिन भर काम करने के कारण आज मेरा अंग टूट रहा है।
2. वह बातें क्या कर रहा था, मानो अंगारे उगल रहा था।
3.मेरे गलत रास्ते पर जाने पर मित्र ने कहा भाई, तुम्हारी मर्जी है, तुम जान-बूझकर अंधे बन रहे हो।
4.अभिज्ञान शकुंतला के रचयिता कालीदास जी को लोग अक्ल का
अंधा समझते थे।
5. मगरूर लड़की! तेरी अक्ल चरने तो नहीं गई, जो इतने बड़े नेता
पर कीचड़ उछाल रही है ।
6. अनुशासनप्रिय सास अपनी आधुनिक बहुओं की अक्ल ठिकाने
लगाने में माहिर होती हैं।
7. स्वार्थी लोग किसी के साथ मिलकर काम करना नहीं जानते,
अपनी खिचड़ी अलग पकाते हैं।
8. लड़के को नकल करते देखकर गुरुजी आग बबूला
हो गए।
9. मैं उससे जब पुस्तक माँगने लगा तो वह आना-कानी करने
लगा।
लगा।
10. मैं रात को पुस्तक लेकर बैठा था कि आँख लग गई।
टूटना : अँधा बनना अपनी खिचड़ी अलग पकाना : अक्ल चरने
जाना : आँख लगना : आग बबूला :आना-कानी करना]
उचित मुहावरों / लोकोक्ति से रिक्त स्थान भरें :- [ यह नहीं
करना है ]
करना है ]
अंग-अंग ठीले
होना :बहुत थक जाना, उँगली उठना : निन्दा होना, बदनामी होना। आग-बबूला होना : गुस्सा होना, आना - कानी करना : न करने के
लिए बहाना करना, ईंट का जवाब पत्थर से देना : दुष्ट के साथ
दुष्टता का कठोर के साथ कठोरता का व्यवहार करना।कान पर
जूँ न रेंगना :
बार-बार कहने पर भी बात को ध्यान में न ।ईद का चाँद होना : बहुत कम दिखाई देना, बहुत अरसे बाद दिखाई देना। अंटी
में रखना : छिपाकर रखना। अंगारे उगलना : कठोर बात
कहना। अंग - अंग मुस्काना : रोम रोम से प्रसन्नता छलकना। आँखों का तारा होना: बहुत प्रिय
होना। उलटे पाँव लौटना : तुरन्त बिना ठहरे हुए लौट जाना। उलटी-सीधी सुनाना : खरी खोटी
सुनाना, डांटना-फटकारना। ऊँट के मुँह में जीरा : अधिक
आवश्यकता वाले के लिए थोड़ा सामान। एक आँख न भाना : तनिक भी
अच्छा न लगना। एक तीर से दो शिकार करना : एक युक्ति या साधन से दो काम
करना।
एक मुट्ठी अन्न को तरसना : गरीब होना। एक लाठी से हाँकना : सबके साथ समान व्यवहार करना। कंचन बरसना : बहुत अधिक लाभ होना। कठपुतली की तरह नचाना : दूसरों से अपनी इच्छा के अनुसार काम कराना। कलेजा बैठना : घोर दु:ख या ग्लानि होना, उत्साह मंद पड़ना।
१. लड़के को नकल करते देखकर गुरुजी -------------------------हो गए।
एक मुट्ठी अन्न को तरसना : गरीब होना। एक लाठी से हाँकना : सबके साथ समान व्यवहार करना। कंचन बरसना : बहुत अधिक लाभ होना। कठपुतली की तरह नचाना : दूसरों से अपनी इच्छा के अनुसार काम कराना। कलेजा बैठना : घोर दु:ख या ग्लानि होना, उत्साह मंद पड़ना।
१. लड़के को नकल करते देखकर गुरुजी -------------------------हो गए।
२. मैं उससे जब पुस्तक माँगने लगा तो
---------------------- ----------------- लगा।
३. सोहन अपनी माँ की
--------------------------------------------- है|
४. शाम को घर पहुंचते पहुंचते
---------------------------------------- चुके होते हैं।
५. लक्ष्य प्राप्ति पर उसके
----------------------------- लगे।
६. वह बातें क्या कर रहा था, मानो ------------------------------------- रहा था।
७. सत्य कभी
------------------------------------------------------------- रहता।
८. ---------------------------------------------------------------- अहिंसा
के सिद्धान्त के विरुद्ध हैं।
९. रश्मि को सफल क्या मिली वह तो ---------------------------
हो
गई।
१०. परीक्षा के खराब अंक सुनकर उसका मन हुआ था कि वह -----
जाए।
११. आपको कोई ऐसा आचरण नहीं करना चाहिए जिससे असहाय अबला की ओर ----------------------------------------।
१२. लो, तुमने अब अकारण मुझे
----------------------------------------- आरम्भ कर दिया है।
१३.एक लड्डू का तो मुझे कुछ पता ही नहीं चला। अच्छा लगने की वजह से वह बिल्कुलवैसे ही लगा जैसे -----------------------------------------------------------------------।
१४. भाभी को अपनी देवरानी का यों रानी बने बैठे रहना
-----
---------------था।
१५. इस बार उसने ऐसी बुद्धिमानी से काम किया कि उसके
शत्रु पराजित हो गए और उसके मित्रों तथा संबंधियों को
अच्छे-अच्छे पद प्राप्त हो गए। इस प्रकार उसे -----------------------------------------।
१६. बंगाल के अकाल में लोग
------------------------------------- गए।
१७. सबको --------------------------------------------------------------
अनुचित है।
१८. किसानों की खेती में कई सालों से
-----------------------------बंद हो गया है।
१९. अँग्रेज़ गुलाम भारतीयों को ------------------------------------- रहे हैं।
२०. यह याद करके मेरा ------------------------------------------------ कि अब मैं आप लोगों के लिए कुछ भी न कर सकूँगा।
१९. अँग्रेज़ गुलाम भारतीयों को ------------------------------------- रहे हैं।
२०. यह याद करके मेरा ------------------------------------------------ कि अब मैं आप लोगों के लिए कुछ भी न कर सकूँगा।
२१. बच्चे लाख चीखें, रोएँ-चिल्लाएँ, उस सहिष्णु
----------------------।
निबंध :-.योग के माध्यम से हम शरीर तथा मन दोनों को स्वस्थ कर सकते हैं
जीवन में योग की अनिवार्यता तथा उससे मिलने वाले लाभों का
वर्णन करते हुए अपने विचार लिखिए ।(ICSE 2016)
प्रस्तावना :
व्यक्ति का शरीर जब से बना है उस शरीर को स्वस्थ रखने के
लिए हमें प्रकृति के कुछ नियमों का पालन करना पड़ता है। योग
प्रकृति से जुडी हुई वो सुंदरतम् विधा है जिससे व्यक्ति स्वस्थ रह
सकता है। अत: योग एक जीवन जीने की कला, योग एक जीवन
जीने की विधा, योग एक वो परिकल्प जिससे हम अपने अस्तित्व,
अपनी चेतना से जुडते हैं।
विषय वस्तु :
आज के परिपेक्ष्य में भी उतनी ही आवश्यकता है योग की जितनी सदियों पहले थी। व्यक्ति का शरीर, व्यक्ति का मन, व्यक्ति का चित, व्यक्ति की चेतना का स्वरूप तो एक ही जैसा बना रहता है बाहर की परिस्थितियाँ बदलती रहती हैं। और बदलती हुई परिस्थितियों के परिवेश में यदि देखा जाए योग को, तो वो अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है। आज जो चारों तरफ प्रदूषण है, जो आज की प्रतियोगिताएं हैं, प्रतिस्पर्धाएं हैं, उन प्रतियोगिताओं और प्रतिस्पर्धाओं में जो व्यक्ति आगे बढ़ना चाहता है तो उसके लिए भी योग एक बहुत सशक्त माध्यम है जो कि आंतरिक उर्जा प्रदान करता है।
योगा हमारे शरीर और मन को स्वस्थ रखने में एक मह्त्त्वपूर्ण योगदान अदा करता है। बहुत सारे लोगों को लगता है कि योगा करने से बहुत ज़्यादा फ़ायदा नहीं होता है लेकिन ऐसा नहीं है। कई सारे रिसर्च से यह साबित हो चुका है कि योगा हमारे शरीर और मन को स्वस्थ करने के लिए काफी असरदार हैं।
सभी लोगों को कम से कम कुछ समय के लिए योगा ज़रूर करनी चाहिए। योगा करना काफी आसान होता है। हालाँकि कुछ योगासन कठिनाइयों वाला होता है, लेकिन ऐसे आसनों को छोड़ा भी जा सकता है। लोगों को यह नहीं सोचना चाहिए कि योगा करने से समय बर्बाद होता है क्योंकि योगा करने में जितना समय जाता है, उतनी समय की पूर्ति आपकी पूरे दिन की कार्य क्षमता में बढ़ोतरी से हो जाती है।
योग का अभ्यास किसी के भी द्वारा किया जा सकता है, क्योंकि आयु, धर्म या स्वस्थ परिस्थितियों परे है। यह अनुशासन और शक्ति की भावना में सुधार के साथ ही जीवन को बिना किसी शारीरिक और मानसिक समस्याओं के स्वस्थ जीवन का अवसर प्रदान करता है। पूरे संसार में इसके बारे में जागरुकता को बढ़ावा देने के लिए, भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने, संयुक्त संघ की सामान्य बैठक में 21 जून को अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस के रुप में मनाने की घोषणा करने का सुझाव दिया था, ताकि सभी योग के बारे में जाने और इसके प्रयोग से लाभ लें। योग भारत की प्राचीन परम्परा है, जिसकी उत्पत्ति भारत में हुई थी और योगियों के द्वारा तंदरुस्त रहने और ध्यान करने के लिए इसका निरन्तर अभ्यास किया जाता है। निक जीवन में योग के प्रयोग के लाभों को देखते हुए संयुक्त संघ की सभा ने 21 जून को अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस या विश्व योग दिवस के रुप में मनाने की घोषणा कर दी है।
हम योग से होने वाले लाभों की गणना नहीं कर सकते हैं, हम इसे केवल एक चमत्कार की तरह समझ सकते हैं, जिसे मानव प्रजाति को भगवान ने उपहार के रुप में प्रदान किया है। यह शारीरिक तंदरुस्ती को बनाए रखता है, तनाव को कम करता है, भावनाओं को नियंत्रित करता है, नकारात्मक विचारों को नियंत्रित करता है और भलाई की भावना, मानसिक शुद्धता, आत्म समझ को विकसित करता है साथ ही प्रकृति से जोड़ता है।
पर्यायवाची शब्द : [ ३०/१०/१७ कक्षा कार्य ]
दिनांक : 09/08/18
निम्नलिखित
शब्दों की शुद्ध वर्तनी लिखें :
१.
अलोचना - आलोचना २.
अगामी - आगामी
३.
अघात - आघात ४.
बारात - बरात
५.
परिक्षा - परीक्षा
६. समाधी - समाधि
७.
क्योंकी - क्योंकि ८. अग्नी - अग्नि
९.
साधू - साधु १०. कवित्री- कवयित्री
११.
उपर - ऊपर १२. शुरू - शुरु
१३.
रामायन - रामायण १४. आदरनिय - आदरणीय
१५.
ऋशि - ऋषि १६. प्रंतु- परंतु
१७.
अतिथी - अतिथि १८. कृतग्य - कृतज्ञ
१९.
वायू - वायु २०. गुरू - गुरु
२१.
हुयी - हुई २२. कश्ट -कष्ट
उचित लोकोक्तियों
से रिक्त स्थान भरें :-
१. तुम्हें साथ में काम पर
लगाकर मैंने तो खुद ही वह कहावत
सिद्ध कर दी आ बैल मुझे मार।
सिद्ध कर दी आ बैल मुझे मार।
२. सोहन ने मेरी किताब फाड़
दी, पूछने पर मुझे ही डाँटने लागा।
यह तो वही बात हुई उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे।
यह तो वही बात हुई उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे।
३. सुधा की सारी कक्षा नालायक
है। केवल सुधा ही कुछ पढ़ने में
अच्छी है, तो अपना रौब जमाती है। किसी ने सच ही कहा है कि
अच्छी है, तो अपना रौब जमाती है। किसी ने सच ही कहा है कि
अँधे में काना राजा।
४. भगत सिंह ने युवाओं का आह्वान
करते हुए कहा कि अकेला
चना भाड़ नहीं फोड़ सकता।
चना भाड़ नहीं फोड़ सकता।
५. पहले मेहनत नहीं की अब फ़ेल
होकर पछताते हो।अब पछताए
होत क्या जब चिड़ियाँ चुग गई खेत।
होत क्या जब चिड़ियाँ चुग गई खेत।
६. यदि घर पर रहूँ, तो माता
जी क्रुद्ध होती हैं और दुकान पर
जाऊँ, तो पिता जी बोलते रहते हैं। मेरे लिए तो आगे कुआँ पीछे
खाई है।
जाऊँ, तो पिता जी बोलते रहते हैं। मेरे लिए तो आगे कुआँ पीछे
खाई है।
७. मेरे भाई ने संगीत का
कॉलिज खोला है, इससे उसका अपना
अभ्यास हो जाता है, साथ ही कुछ कमाई भी हो जाती है।
इसको कहते हैं एक पंथ दो काज।
अभ्यास हो जाता है, साथ ही कुछ कमाई भी हो जाती है।
इसको कहते हैं एक पंथ दो काज।
८. कई स्त्रियाँ पहले
वस्त्रों को खूब पहनती हैं और बाद में कपड़े
इकट्ठे करके बदले में बर्तन आदि ले लेती हैं। यह तो आम के
आम गुठलियों के दाम वाली बात हुई।
इकट्ठे करके बदले में बर्तन आदि ले लेती हैं। यह तो आम के
आम गुठलियों के दाम वाली बात हुई।
९. लड़की
की शादी में सजावट तो बहुत की परंतु भोजन किसी
काम का नहीं था। यह तो ऊँची दुकान फीका पकवान वाली
बात हुई।
काम का नहीं था। यह तो ऊँची दुकान फीका पकवान वाली
बात हुई।
१०. क्या इसके कपड़ों को देखकर ही उसे पढ़ा-लिखा
समझ लिया ?
इसके लिए तो काला अक्षर भैंस बराबर है।
इसके लिए तो काला अक्षर भैंस बराबर है।
[ [एक
पंथ दो काज , अब पछताए होत क्या जब चिड़ियाँ चुग गईं
खेत, आम के आम गुठलियों के दाम, अंधों में काना राजा, अकेला
चना भाड़ नहीं फोड़ सकता, काला अक्षर भैंस बराबर, आ बैल
मुझे मार, ऊँची दुकान फीका पकवान, आगे कुआँ पीछे खाई,
उलटा चोर कोतवाल को डाँटे।]
खेत, आम के आम गुठलियों के दाम, अंधों में काना राजा, अकेला
चना भाड़ नहीं फोड़ सकता, काला अक्षर भैंस बराबर, आ बैल
मुझे मार, ऊँची दुकान फीका पकवान, आगे कुआँ पीछे खाई,
उलटा चोर कोतवाल को डाँटे।]
निबंध :-.योग के माध्यम से हम शरीर तथा मन दोनों को स्वस्थ कर सकते हैं
जीवन में योग की अनिवार्यता तथा उससे मिलने वाले लाभों का
वर्णन करते हुए अपने विचार लिखिए ।(ICSE 2016)
प्रस्तावना :
व्यक्ति का शरीर जब से बना है उस शरीर को स्वस्थ रखने के
लिए हमें प्रकृति के कुछ नियमों का पालन करना पड़ता है। योग
प्रकृति से जुडी हुई वो सुंदरतम् विधा है जिससे व्यक्ति स्वस्थ रह
सकता है। अत: योग एक जीवन जीने की कला, योग एक जीवन
जीने की विधा, योग एक वो परिकल्प जिससे हम अपने अस्तित्व,
अपनी चेतना से जुडते हैं।
विषय वस्तु :
आज के परिपेक्ष्य में भी उतनी ही आवश्यकता है योग की जितनी सदियों पहले थी। व्यक्ति का शरीर, व्यक्ति का मन, व्यक्ति का चित, व्यक्ति की चेतना का स्वरूप तो एक ही जैसा बना रहता है बाहर की परिस्थितियाँ बदलती रहती हैं। और बदलती हुई परिस्थितियों के परिवेश में यदि देखा जाए योग को, तो वो अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है। आज जो चारों तरफ प्रदूषण है, जो आज की प्रतियोगिताएं हैं, प्रतिस्पर्धाएं हैं, उन प्रतियोगिताओं और प्रतिस्पर्धाओं में जो व्यक्ति आगे बढ़ना चाहता है तो उसके लिए भी योग एक बहुत सशक्त माध्यम है जो कि आंतरिक उर्जा प्रदान करता है।
योगा हमारे शरीर और मन को स्वस्थ रखने में एक मह्त्त्वपूर्ण योगदान अदा करता है। बहुत सारे लोगों को लगता है कि योगा करने से बहुत ज़्यादा फ़ायदा नहीं होता है लेकिन ऐसा नहीं है। कई सारे रिसर्च से यह साबित हो चुका है कि योगा हमारे शरीर और मन को स्वस्थ करने के लिए काफी असरदार हैं।
सभी लोगों को कम से कम कुछ समय के लिए योगा ज़रूर करनी चाहिए। योगा करना काफी आसान होता है। हालाँकि कुछ योगासन कठिनाइयों वाला होता है, लेकिन ऐसे आसनों को छोड़ा भी जा सकता है। लोगों को यह नहीं सोचना चाहिए कि योगा करने से समय बर्बाद होता है क्योंकि योगा करने में जितना समय जाता है, उतनी समय की पूर्ति आपकी पूरे दिन की कार्य क्षमता में बढ़ोतरी से हो जाती है।
योग का अभ्यास किसी के भी द्वारा किया जा सकता है, क्योंकि आयु, धर्म या स्वस्थ परिस्थितियों परे है। यह अनुशासन और शक्ति की भावना में सुधार के साथ ही जीवन को बिना किसी शारीरिक और मानसिक समस्याओं के स्वस्थ जीवन का अवसर प्रदान करता है। पूरे संसार में इसके बारे में जागरुकता को बढ़ावा देने के लिए, भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने, संयुक्त संघ की सामान्य बैठक में 21 जून को अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस के रुप में मनाने की घोषणा करने का सुझाव दिया था, ताकि सभी योग के बारे में जाने और इसके प्रयोग से लाभ लें। योग भारत की प्राचीन परम्परा है, जिसकी उत्पत्ति भारत में हुई थी और योगियों के द्वारा तंदरुस्त रहने और ध्यान करने के लिए इसका निरन्तर अभ्यास किया जाता है। निक जीवन में योग के प्रयोग के लाभों को देखते हुए संयुक्त संघ की सभा ने 21 जून को अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस या विश्व योग दिवस के रुप में मनाने की घोषणा कर दी है।
हम योग से होने वाले लाभों की गणना नहीं कर सकते हैं, हम इसे केवल एक चमत्कार की तरह समझ सकते हैं, जिसे मानव प्रजाति को भगवान ने उपहार के रुप में प्रदान किया है। यह शारीरिक तंदरुस्ती को बनाए रखता है, तनाव को कम करता है, भावनाओं को नियंत्रित करता है, नकारात्मक विचारों को नियंत्रित करता है और भलाई की भावना, मानसिक शुद्धता, आत्म समझ को विकसित करता है साथ ही प्रकृति से जोड़ता है।
पर्यायवाची शब्द : [ ३०/१०/१७ कक्षा कार्य ]
१. जल | वारि, नीर, तोय, अम्बु, उदक, पानी, सलिल, पय, मेघपुष्प | |||
---|---|---|---|---|
२.पुष्प | फूल, सुमन, कुसुम, मंजरी, प्रसून | |||
३.बादल | मेघ, घन, जलधर, जलद, वारिद, नीरद, पयोद, पयोधर, अम्बुद, धराधर, वारिवाह, वारिधर | |||
४.राजा | नृप, भूपति, भूप, नरेश, महीपति, अवनीश, नरपति, नरेन्द्र, महिपाल | |||
५.सूर्य | रवि, सूरज, दिनकर, प्रभाकर, दिवाकर, भास्कर, सविता, भानु, दिनेश, मार्तण्ड, अंशुमाली | |||
६.समुद्र | सागर, पयोधि, उदधि, पारावार, नदीश, जलधि, वारिधि, नीरनिधि, अर्णव, जलधाम, अकूपाद | |||
७.कामदेव | मन्मथ, मनोज, काम, मार, कंदर्प, अनंग, मनसिज, रतिनाथ, मीनकेतू, रतिपति, मदन | |||
८.किरण | ज्योति, प्रभा, रश्मि, दीप्ति, मरीचि | |||
९.संसार | जग, विश्व, जगत, लोक, दुनिया | |||
१०.शरीर | देह, तनु, काया, कलेवर, अंग, गात, तन | |||
११.अंधकार | तिमिर, अँधेरा, तम | |||
१२.अनुपम | अनूठा, अनोखा, अपूर्व, निराला, अभूतपूर्व | |||
१३.चन्द्र | शशि, हिमकर, राकेश, रजनीश, हिमांशु, चाँद, मयंक, विधु, सुधाकर, कलानिधि, निशापति, शशांक, चंद्रमा | |||
१४.धरती | पृथ्वी, भू, धरणी, वसुंधरा, अचला, धरा, जमीन, रत्नगर्भा, मही, वसुधा, धरित्री, क्षिति, उर्वी, भूमि | |||
१५.नृप | भूपति, भूप, नरेश, महीपति, अवनीश, नरपति, नरेन्द्र, महिपाल, राजा | |||
१६.भाग्य | किस्मत, होनी, विधि, नियति | |||
१७.स्नेह | अनुरक्ति, प्रेम, अनुराग, प्रणय | |||
१८.पृथ्वी | भू, धरणी, वसुंधरा, अचला, धरा, जमीन, रत्नगर्भा, मही, वसुधा, धरित्री, क्षिति, उर्वी, भूमि, धरती | |||
१९.पयोधि | उदधि, पारावार, नदीश, जलधि, वारिधि, नीरनिधि, अर्णव, जलधाम, अकूपाद, समुद्र, सागर | |||
२०.घोडा | घोटक, रविपुत्र, हय, तुरंग, सैंधव, दधिका, सर्ता, अश्व, बाजी | |||
२१.जलाशय | सर, पुष्कर, पोखरा, जलवान, सरसी, ताल, तालाब, सरोवर | |||
२२.अर्थ | तात्पर्य, मायने, मतलब, अभिप्राय, आशय | |||
२३.प्रार्थना | पूजा, अर्चना, उपासना, आराधना | |||
२४.किस्मत | होनी, विधि, नियति, भाग्य | |||
२५.अंत | स्वर्गवास, मरण, मृत्यु, देहांत, मौत | |||
२६.प्रेम | अनुराग, प्रणय, स्नेह, अनुरक्ति | |||
२७.जलद | वारिद, नीरद, पयोद, पयोधर, अम्बुद, धराधर, वारिवाह, वारिधर, बादल, मेघ, घन, जलधर | |||
२८.आदित्य | लेख, देवता, सुर, देव, अमर, वसु | |||
२९.शुद्ध | पावन, पवित्र, स्वच्छ, पुनीत, पाक, साफ | |||
३०.पानी | सलिल, पय, मेघपुष्प, जल, वारि, नीर, तोय, अम्बु, उदक | |||
३१.अर्थ धन, दौलत, संपत्ति, सम्पदा, वित्त, लक्ष्मी दिए गए वाक्यों को निर्देशानुसार परिवर्तित करें- १-जिस जीव की वह सहायता लेता है। ('जिस' के स्थान पर 'जो' का प्रयोग कीजिए) २-वह खुदगर्जी में रहता है। ('खुदगर्जी' के स्थान पर 'खुदगर्ज' का प्रयोग कीजिए) ३-वह एक सुंदर नगरी के रूप में सुसज्जित थी। ('सुसज्जित' के स्थान पर 'सजाया गया' प्रयोग कीजिए) ४-यदि पर्याप्त वर्षा हो जाती तो अकाल न पड़ता। (पर्याप्त वर्षा ............................वाक्य प्रारंभ करें।) ५-धन-ऐश्वर्य की अधिकता से मनुष्य सुखी और शांत नहीं हो सकता। (सुख और शांति.............वाक्य प्रारंभ करें।) ६-उसने अपना मन टटोला और पाया कि वाकई वहाँ शांति नहीं थी। (उसको..................वाक्य प्रारंभ करें ।) ७-जिसे केवल लक्ष्य दिखाई दे वही सफल होता है। ('सफल' के स्थान पर 'सफलता' का प्रयोग कीजिए) ८-पाँचों राजकुमार गुरू द्रोणाचार्य से अस्त्र-शस्त्र चलाना सीखते थे। (गुरु द्रोणाचार्य द्वारा..........वाक्य प्रारंभ करें ।) ९-संत महानाम से यह सब देखा नहीं गया। ('बर्दाश्त' का प्रयोग कीजिए) १०-आपको किसी प्रकार का कष्ट नहीं होगा। ('तकलीफ' का प्रयोग कीजिए) ११-जिसे लक्ष्य पर पहुँचना है उसे कोई रोक नहीं सकता। (लक्ष्य पर......वाक्य प्रारंभ करें।) १२-संसार में कुछ असाध्य नहीं है। (सकारात्मक वाक्य में बदलिए) १३-मुश्किल यह थी कि लोग इन टिप्पणियों पर संतुष्ट न थे। ('संतुष्टि' शब्द का प्रयोग कीजिए) १४-बेचारी क्या जानती थी कि उसके मरते ही उसके लाडलों की यह दुर्दशा होगी। (लिंग परिवर्तन कीजिए) १५ - मैं दूध पीकर सो गया। ( संयुक्त वाक्य में परिवर्तन करें ) १६ - वह पढ़ने के अलावा अखबार भी बेचता है। ( संयुक्त वाक्य में परिवर्तन करें ) १७ - मैंने घर पहुँचकर सब बच्चों को खेलते हुए देखा। ( संयुक्त वाक्य में परिवर्तन करें ) १८ - स्वास्थ्य ठीक न होने से मैं काशी नहीं जा सका। ( संयुक्त वाक्य में परिवर्तन करें ) १९ - सवेरे तेज वर्षा होने के कारण मैं दफ्तर देर से पहुँचा। ( संयुक्त वाक्य में परिवर्तन करें ) | ||||
२० - पिताजी अस्वस्थ हैं इसलिए मुझे जाना ही पड़ेगा।( सरल वाक्य में परिवर्तन करें )
२१ - उसने कहा और मैं मान गया।(सरल वाक्य में परिवर्तन करें)
२२ - वह केवल उपन्यासकार ही नहीं अपितु अच्छा वक्ता भी है।(सरल वाक्य में परिवर्तन करें)
२३ - लू चल रही थी इसलिए मैं घर से बाहर नहीं निकल सका।(सरल वाक्य में परिवर्तन करें)
२४.गार्ड ने सीटी दी और ट्रेन चल पड़ी। (सरल वाक्य में परिवर्तन करें)
यदि मैं पुलिस अधिकारी होता [ निबंध ] :
भूमिका :
हर बालक या व्यक्ति के मन में अपने सपनों को पूरा करने की इच्छा जन्म लेती
है। हर किसी की अपनी महत्वकांक्षाएं होती हैं। अगर कोई व्यापारी बनना
चाहता है तो कोई कर्मचारी बनना चाहता है। कोई नेता बनकर राजनीति में बैठना
चाहता है तो कोई समाज सेवा का काम करना चाहता है। कोई अधिकारी बनकर प्रशासन
बनने की सोचता है तो कोई इंजीनियर या डॉक्टर बनने की इच्छा रखता है।
मेरी अभिलाषा : मैं
भी एक अभिलाषा रखता हूँ और इस अभिलाषा पर मैं बहुत ही गंभीरता से सोच
विचार करता हूँ। यह बात भविष्य पर निर्भर करती है कि मेरी इच्छा पूरी होगी
या नहीं लेकिन मैं अपने निश्चय पर दृढ हूँ। मैं एक पुलिस अधिकारी बनना
चाहता हूँ। मेरे चाचा जी भी पुलिस में डी० सी० पी० के पद पर थे।
उन्होंने
बहुत से जोखिम भरे काम किये थे। जब भी वे उन जोखिम भरे कामों के बारे में
बताया करते थे तो मेरा उत्साह बढ़ जाता था। उन्होंने डाकुओं से लड़ते समय
अपने प्राण दिए थे और पुलिस का गौरव बढ़ाया था। चाचा जी का आदर्श मुझे इसी
पथ पर आगे चलने की प्रेरणा देता है। मेरे मन में समाज और राष्ट्र का भी भाव
है।
पुलिस तंत्र में सुधार :
मैं विश्वास रखता हूँ की अगर पुलिस ईमानदारी से अपना काम करे तो वे समुचित
तरीके से समाज की सेवा कर सकते हैं। पुलिस व्यवस्था में अनेक सुधार करके
पुलिस व्यवस्था को सबसे अधिक बहतरीन बनाया जा सकता है।
पुलिस
खुद को जनता का सेवक समझे और बिना किसी कारण से किसी पर भी अत्याचार न
करे। वह उनके गुनहगार और बेगुनहा होने का पता लगाये तब आगे की कार्यवाही
करे। अपनी व्यवस्था के प्रति ईमानदार होकर पुलिस को गौरव प्राप्त हो सकता
है।
वर्तमान स्थिति : मैं
इस बात को जनता हूँ कि आज का पुलिस विभाग भ्रष्ट हो चूका है। आजकल लोग
पुलिस को नफरत की नजर से देखते हैं। आजकल लोग पुलिस को रक्षक नहीं भक्षक
मानते हैं। पुलिस खुद को जनता का सेवक नहीं समझती है।
पुलिस
जनता पर बिना किसी कारण के डंडे बरसाना और उन पर अत्याचार करना अपना
कर्तव्य समझती है। पुलिस वाले गुंडों और अपराधियों की सहायता करते हैं।
आजकल पुलिस बेकसूर को सजा दिलवाकर अपने स्वार्थ को पूरा करती है। पुलिस को
शांति नहीं अशांति का सूचक माना जाता है।
भविष्य :
पुलिस व्यवस्था का भ्रष्ट होना मुझे उससे दूर जाने की अपेक्षा उसके समीप
जाने के लिए प्रेरित करता है। जब मैं पुलिस का एक भाग बन जाउँगा तभी मैं इस
व्यवस्था में परिवर्तन ला सकता हूँ। मैं पुलिस अधिकारी बनकर पुलिस विभाग
की खोई हुई प्रतिष्ठा को वापस से स्थापित कर पाउँगा।
पुलिस
का कर्त्तव्य समाज की सेवा और उसका मार्गदर्शन करना होता है। खुद अनुशासित
रहकर दूसरों को अनुशासन में रहने का पाठ पढ़ाना चाहिए। पुलिस को अपराध की
खोज के लिए मनोवैज्ञानिक की सूझ बुझ से काम करना चाहिए। धैर्य से जनता की
शिकायतें सुननी चाहिए और उन्हें दूर करने की कोशिश करनी चाहिए।
उपसंहार :
अत: जब मैं पुलिस अधिकारी बन जाउँगा तब मैं पुलिस के सारे कर्तव्यों को
पूरा करूंगा जो एक पुलिस अधिकारी के जनता के प्रति होते हैं। मैं अपने चाचा
से प्रेरित होकर देश की सेवा करूंगा और अपने देश की पुलिश का गौरव
बढाऊँगा।
दिए गए वाक्यों को निर्देशानुसार परिवर्तित करें-
1.-जिस जीव की वह सहायता लेता है। ('जिस' के स्थान पर 'जो' का प्रयोग कीजिए) 2.-वह खुदगर्जी में रहता है। ('खुदगर्जी' के स्थान पर 'खुदगर्ज' का प्रयोग कीजिए) 3.-वह एक सुंदर नगरी के रूप में सुसज्जित थी। ('सुसज्जित' के स्थान पर 'सजाया गया' प्रयोग कीजिए) 4.-यदि पर्याप्त वर्षा हो जाती तो अकाल न पड़ता। (पर्याप्त वर्षा ............................) 5.-धन-ऐश्वर्य की अधिकता से मनुष्य सुखी और शांत नहीं हो सकता। (सुख और शांति..............) 6.-उसने अपना मन टटोला और पाया कि वाकई वहाँ शांति नहीं थी। (उसको..................) 7.-जिसे केवल लक्ष्य दिखाई दे वही सफल होता है। ('सफल' के स्थान पर 'सफलता' का प्रयोग
कीजिए)
8.-पाँचों राजकुमार गुरू द्रोणाचार्य से अस्त्र-शस्त्र चलाना सीखते थे। (गुरु द्रोणाचार्य द्वारा..........) 9.-संत महानाम से यह सब देखा नहीं गया। ('बर्दाश्त' का प्रयोग कीजिए) 10.-आपको किसी प्रकार का कष्ट नहीं होगा। ('तकलीफ' का प्रयोग कीजिए) 11.-जिसे लक्ष्य पर पहुँचना है उसे कोई रोक नहीं सकता। (लक्ष्य पर......) 12.-संसार में कुछ असाध्य नहीं है। (स्वीकारात्मक वाक्य में बदलिए) 13.-मुश्किल यह थी कि लोग इन टिप्पणियों पर संतुष्ट न थे। ('संतुष्टि' शब्द का प्रयोग कीजिए) 14.-बेचारी क्या जानती थी कि उसके मरते ही उसके लाडलों की यह दुर्दशा होगी। (लिंग परिवर्तन
कीजिए)
15.
मैं दूध पीकर सो गया। [संयुक्त वाक्य
में बदलिए]
16.वह पढ़ने के अलावा
अखबार भी बेचता है। [संयुक्त वाक्य में बदलिए]
17.मैंने घर
पहुँचकर सब बच्चों को खेलते हुए देखा। म[संयुक्त वाक्य में बदलिए]
18.स्वास्थ्य
ठीक न होने से मैं काशी नहीं जा सका।[संयुक्त वाक्य में बदलिए]
19.
सवेरे तेज वर्षा होने के कारण मैं दफ्तर देर से पहुँचा|[संयुक्त वाक्य में बदलिए]
20.पिताजी अस्वस्थ
हैं इसलिए मुझे जाना ही पड़ेगा। [ सरल वाक्य
में बदलिए ।]
21.
उसने कहा और मैं मान गया।[ सरल वाक्य में बदलिए ।]
22.
वह केवल उपन्यासकार ही नहीं अपितु अच्छा वक्ता भी है। सरल वाक्य में बदलिए ।]
23.लू चल रही थी
इसलिए मैं घर से बाहर नहीं निकल सका।[ सरल वाक्य
में बदलिए ।]
24.गार्ड ने
सीटी दी और ट्रेन चल पड़ी।[ सरल वाक्य में बदलिए ।]
25.हरसिंगार को
देखते ही मुझे गीता की याद आ जाती है|[मिश्रित
वाक्य में बदलिए]
26.राष्ट्र के
लिए मर मिटने वाला व्यक्ति सच्चा राष्ट्रभक्त है।[मिश्रित वाक्य में बदलिए]
27.पैसे के बिना
इंसान कुछ नहीं कर सकता।[मिश्रित वाक्य में बदलिए]
28.आधी रात
होते-होते मैंने काम करना बंद कर दिया।[मिश्रित वाक्य में बदलिए]
29.जो संतोषी
होते हैं वे सदैव सुखी रहते हैं।[सरल वाक्य में बदलिए]
30.यदि तुम नहीं
पढ़ोगे तो परीक्षा में सफल नहीं होगे।[सरल वाक्य में बदलिए]
31.तुम नहीं
जानते कि वह कौन है ? [सरल वाक्य में बदलिए]
32.जब जेबकतरे
ने मुझे देखा तो वह भाग गया। [सरल वाक्य में बदलिए]
33,जो विद्वान
है, उसका सर्वत्र आदर होता है। [सरल वाक्य में बदलिए]
कक्षा ९ २८/९/१८
प्रश्न : किसी कारण आपका मन कक्षा में नहीं लग रहा है, लेकिन अध्यापक की डाँट के डर से आप पढ़ाए जा रहे पाठ को मजबूर होकर चुपचाप सुन रहे हैं। अपनी बड़ी बहन को पत्र लिखकर बताइए कि आपका मन कक्षा में क्यों नहीं लग रहा था, उस समय आप क्या सोच रहे थे ?
अपना नाम
पता
२८ अगस्त,२०१८
प्रिय/आदरणीया दीदी
मधुर स्मॄति / सादर प्रणाम।
यह पत्र मैं आपको अपनी उदासी का कारण बताने के लिए लिख रहा हूँ। दीदी आपको तो पता है कि घर पर
सभी ने शनिवार को पुस्तक मेला जाने का कार्यक्रम बनाया था और मै नई-नई प्रकाशित पुस्तकों को देखने
के लिए उत्साहित था लेकिन शुक्रवार को विद्यालय में
शनिवार को विशेष कक्षाएँ होने की सूचना दी गई, जिनमें सभी की अनुपस्थिति अनिवार्य थी।
मुझे मजबूरी में विद्यालय आना पड़ा। परंतु मेरा मन
पढ़ाए गए विषय में बिल्कुल न था। मेरा मन पुस्तक
मेले की ओर था। मैं सोच रहा था कि यदि आज मुझे
विद्यालय न आना पड़ता, तो मैं भी परिवार वालों के
साथ पुस्तक मेले का आनंद उठा रहा होता।
मैंने आपको अपनी मन की बातें इसलिए नहीं बताई कि मैं परिवार वालों से नाराज़ हूँ, बल्कि इसलिए बताई कि इससे मुझे थोड़ी राहत महसूस हो रही है। जानता हूँ कि आप मेरी पीड़ा को समझ सकेंगी क्योंकि
एक आप हि हैं जो, किताबों के प्रति मेरे प्रेम को समझती हैं। आपके पत्र की प्रतीक्षा में।
आपका/आपकी अनुज/बहन
अपना नाम।
व्याकरण परीक्षा
१. निम्नलिखित शब्दों के विशेषण बनाइए :-
विकास , नमक , प्रकृति
, लालच , बूढ़ा
२. निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखें
:-
अश्व , आँख ,
अमृत , गाय , आकाश
३. निम्नलिखित
शब्दों के विपरीतार्थक शब्द लिखिए
:-
आयात , उष्ण ,
कायर , मलिन , दानी , आहार
, अनाथ , अनुराग , आधुनिक ,
उन्नति
४. निम्नलिखित मुहावरों/ लोकोक्तियों की सहायता वाक्य बनाएँ
:-
सिर नीचा होना ,
कान खड़े होना , कलई खुलना , नाक पर मक्खी , आग-बबूला होना
५. निम्नलिखित शब्दों के भाववाचक संज्ञा बनाएँ :-
चिकित्सक , मानव
, सरल , अमर , ऊपर , कुलीन
६. निम्नलिखित शब्दों की वर्तनी शुद्ध करें :-
७. निर्देशानुसार वाक्य परिवर्तन कीजिए :-
क) कर्तव्य का
पालन नहीं करने में दुख है।[ ’ नहीं ’ हटाइए, किन्तु वाक्य का अर्थ न
बदले।]
ख) गर्मियों की
छुट्टियों में मैंने अपने मित्रों के साथ मसूरी घूमने जाने का निर्णय लिया
है। [ रेखांकित
शब्दों के स्थान पर एक शब्द का प्रयोग कीजिए।]
ग) मुसाफिर
धर्मशाला में विश्राम करते हैं। [ भूतकाल में बदलिए।]
घ) बच्चे मैदान
में खेल रहे हैं। [ रेखांकित शब्द का वचन बदल कर वाक्य को पुनः
लिखिए।]
ड) प्रवीण बुद्धिमान
लड़का है।[ ’ नहीं ’ का प्रयोग करें परंतु अर्थ न बदलें ]
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