sahitya sagar 2


                     मातृ मंदिर की ओर                              
                                  -- सुभद्रा कुमारी चौहान
परिचय :
 १.हिन्दी की सुप्रसिद्ध कवयित्री और लेखिका थीं। 
   २. उनके दो कविता संग्रह तथा तीन कथा संग्रह प्रकाशित हुए पर उनकी
      प्रसिद्धि झाँसी की रानी कविता के कारण है। 
  ३. ये राष्ट्रीय चेतना की एक सजग कवयित्री रही हैं, किन्तु इन्होंने स्वाधीनता संग्राम में अनेक बार जेल यातनाएँ
      सहने के पश्चात  अपनी अनुभूतियों को कहानी में भी व्यक्त किया ।
  ४. वातावरण चित्रण-प्रधान शैली की भाषा सरल तथा काव्यात्मक है।
  ५. प्रमुख रचनाएँ : बिखरे मोती , सीदे-साधे चित्र आदि।



स्फूर्ति – उत्साह,  दया,  घर
बाधक – बंधक,  बहेलिया,  बाधा डालने वाला
फरियाद – याद,  आँसू,  शिकायत
शीघ्रता – देर से,  शायद,  जल्दी
दीन – गरीब, अमीर, राजा
वाद्य – वधिक,  जल,  बाजा
मातृ-वेदी – देश,  आसमान, समुद्र
दुर्गम – गम,  खुशी,  जहाँ पहुँचना कठिन हो


पंक्तियों पर आधारित प्रश्न –
१.       व्यथित है मेरा हृदय- प्रदेश , चलूँ , उसको बहलाऊँ आज।
बताकर अपना सुख-दुख उसे हृदय का भार हटाऊँ आज।
चलूँ माँ के पद-पंकज पकड़ , नयन जल से नहलाऊँ आज
 मातृ – मंदिर में मैंने कहा ........, चलूँ दर्शन कर आऊँ आज।”


क) कवयित्री का मन व्यथित क्यों है ?
- कवयित्री का मन व्यथित है क्योंकि उन्हें ऐसा लगता है कि, उनका जीवन व्यर्थ हो गया है, और उन्होंने अपनी मातृभूमि के लिए कुछ नहीं किया है। दूसरे शब्दों में , कवियत्री को लगता है कि भारत माँ को मुक्त कराने में उनका कोई योगदान नहीं है। मातृभूमि के प्रति अपने कर्तव्य को भी नहीं निभाया है।

ख) कवयित्री ने आज क्या संकल्प किया ?
-  कवयित्री ने अपने मन की व्याथा को कम करने के उद्‌देश्य से आज यह संकल्प किया कि, वे भारत माँ के मंदिर जाकर , उनके कमल रूपी चरणों को पकड़ लेंगी और उन्हें अपने अश्रु जल से धोएँगी तथा अपने मन की व्यथा उन्हें बताएँगी। उन्होंने माता से अपनी उस व्यथा के निवारण का उपाय भी पूछने का संकल्प भी किया।  

ग) मातृ – मंदिर किसे कहा गया है और क्यों ?
- मातृ – मंदिर भारत देश को कहा गया है, क्योंकि माँ के निवास स्थान को ही उसका मंदिर कहा जाता है और भारत माँ का निवास स्थान है भारत देश ।कवयित्री सुभद्राकुमारी चौहान ने अपनी कविता के माध्यम से हर भारतवासी के मन में देश प्रेम की भावना जगाने का प्रयास करते हुए अपनी जन्मभूमि की तुलना मंदिर से कर उसकी पवित्रता को स्पष्ट करने का प्रयास किया है।

घ) कविता का मूल भाव लिखें।  
  - कवायित्री सुभद्रा कुमारी चौहान की कविताओं में सच्ची वीरांगना का ओज और शौर्य प्रकट हुआ है।
   उन्होंने मात्रभूमि को स्वतंत्र कराने के लिए अपने काव्य के माध्यम से लाखों भारतीय युवक-
   युवतियों को प्रेरित किया है। इस कविता में कवयित्री जी का मन देश की परतंत्रता की पीड़ाओं से     व्यथित है। वे भारत माँ के निकट बैठकर शान्ति पाना चाहती हैं किन्तु उनके यहाँ तक पहुँचने का मार्ग दुर्गम है। उनकी भारत माँ का हृदय अति विशाल है। वे अपनी भारत माँ की दीन-हीन और छोटी संतान हैं, अस्तु भारत माँ उनके दोषों को छिपाकर उन पर गर्व करेंगी। कवयित्री जी प्रभु से प्रार्थना कर शक्ति अर्जित करना चाहती हैं जिससे वे मातृभूमि की एक आवाज़ पर उसकी रक्षा करने के लिए अपने प्राणों की बलि देने को तैयार रहें।

२.       "उसे भी आती होगी याद ? उसे, हाँ आती होगी याद।
नहीं तो रुठूँगी मैं आज, सुनाऊँगी उसको फरियाद।
कलेजा माँ का, मैं संतान, करेगी दोषों पर अभिमान,
मातृ-वेदी पर हुई पुकार, चढ़ा दो मुझको, हे भगवान।”
क) कवयित्री माता से क्या फरियाद करेंगी और क्यों ?
:   कवयित्री माता से फरियाद करेंगी कि, जब वह भी उनकी संतान ही हैं तो फिर माता को उनकी
   याद क्यों नहीं आती है ? दूसरे शब्दों में कवयित्री अपने मन की भावना को स्पष्ट करते हुए कहना
   चाहती हैं कि जब संपूर्ण देश भारत माँ को परतंत्रता की बेड़ियों से मुक्त कराने में अपने प्राणों की
   आहुति देने में तत्पर है तब वे क्यों चुपचाप हाथ पर हाथ धरे बैठी हैं ? अर्थात्‌ वे देश के काम
  आना चाहती हैं परंतु उन्हें मौका नहीं मिल रहा है।

ख) माँ बच्चों के दोषों पर ध्यान क्यों नहीं देती हैं ?
   : माँ बच्चों के दोषों पर ध्यान नहीं देती है क्योंकि माँ का वात्सल्य प्रेम इतना प्रगाढ़ होता है कि
    उसे अपनी संतान में कभी दोष नज़र आते हैं। दूसरे शब्दों में कवयित्री ने माँ के हृदय को विशाल
    बताया है। माँ क्षमाशील, संतान के दुर्गुणों को छुपाने वाली, उनके दोषों पर भी अभिमान करने
   वाली तथा ममतामयी होतीं हैं इसीलिए भी वे अपने बच्चों के दोषों पर ध्यान नहीं देती हैं।

ग) कवयित्री किसकी आवाज़ सुनकर, किससे, क्या कहती हैं ?
   : कवयित्री सुभद्राकुमारी चौहान जी अपनी मातृभूमि की परतंत्रता से पीड़ित ,कातर आवज़ सुनकर
    ईश्वर से विनती करती हैं कि, वे उन्हें शक्ति और साहस प्रदान करें जिससे वे अपनी मातृभूमि पर
    किसी प्रकार का कभी भी अत्याचार नहीं होने देंगी। दूसरे शब्दों में सुभद्राकुमारी जी कहना चाहती
    हैं कि, ईश्वर उन्हें इतनी शक्ति और साहस दे कि वे अपनी मातृभूमि को शोषण विहीन बना सकें
   और एक स्वाधीन भारत की नींव रखने में अपना योगदान दे सकें।

घ) आप अपने देश के लिए क्या करना चाहेंगे ? समझा कर लिखें।
   : मैं अपने देश को एक सुदृढ़ राष्ट्र बनाने में अपना पूरा सहयोग दूँगी। देश सुदृढ़ बने इसके लिए
    हर एक भारतवासी को अपना पूर्ण सहयोग देना होगा। इसके लिए सर्वप्रथम मैं अपने देशवासियों में
   एकता और भाईचारे की भावना भरने का प्रयास करूँगी। मैं देशवासियों को उनके अधिकारों से
   परिचित कराऊँगी जिससे वे अपने अधिकारों की रक्षा कर सकें। यह सब कार्य मैं तभी कर सकती हूँ
   जब मैं स्बयं को योग्य बना सकूँ। अतः देश के प्रति अपने कर्तव्यों को पूरा करने के लिए सर्वप्रथम
   मैं स्वयं को तैयार करूँगी।


स्वर्ग बना सकते हैं।
निम्नलिखित  पद्यांश को ध्यान से पढ़ें और प्रश्नों के उत्तर लिखें।
    
      सबको मुक्त प्रकाश चाहिए
      सबको मुक्त समीरण
      बाधा रहित विकास, मुक्त
      आशंकाओं से जीवन।
      लेकिन विघ्न अनेक अभी
      इस पथ पर अड़े हुए हैं
      मानवता की राह रोककर
      पर्वत अड़े हुए हैं।
) प्रस्तुत पद्‍यांश किस रचना से ली गई है ? इसमें कवि ने किन्हें संबोधित किया है ?
ख) प्रथम चार पंक्तियों से कवि का क्या तात्पर्य है ?
ग) बाधा और आशंका से हम अपने जीवन को कैसे बचा सकते हैं ?
घ)पर्वत से कवि ने किस ओर संकेत किया है ? इसे दूर करना क्यों ज़रूरी है ?

       २. न्यायोचित सुख सुलभ नहीं
          जब तक मानव-मानव को
          चैन कहाँ धरती पर तब तक
          शांति कहाँ इस भव को ?
          जब तक मनुज-मनुज का यह
          सुख भाग नहीं सम होगा
          शमित न होगा कोलाहल
          संघर्ष नहीं कम होगा।
क)  न्यायोचित अधिकारों से आप क्या समझते हैं ? यह क्यों आवश्यक है ?
ख) आज देश की सबसे बड़ी समस्या क्या है ? इससे कैसे बचा जा सकता है ?
ग) कोलाहल और संघर्ष कैसे कम किया जा सकता है ? उससे क्या लाभ होगा ?
घ) प्रस्तुत पद्‍यांश का मूल भाव लिखिए।



 भिक्षुक

                                       
सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला’
   
  कवि परिचय: 
    सूर्यकांत त्रिपाठी 'निरालाहिन्दी कविता के आधुनिक
    काल के छायावादी युग के चार  प्रमुख स्तंभों में से एक माने जाते हैं।
 
अपने समकालीन अन्य कवियों से अलग उन्होंने कविता में कल्पना
   का  सहारा बहुत कम लिया है और यथार्थ को प्रमुखता से चित्रित किया है।

रचनाएँ: अनामिका’, ‘परिमल’, ‘गीतिका’, ‘द्वितीय अनामिका
  तुलसीदास’, ‘कुकुरमुत्ता’, ‘अणिमा’, ‘बेला’, ‘नए पत्ते’, ‘अर्चना’,
   आराधना’, ‘गीत कुंज’, ‘सांध्य काकली’ और अपरा’ आपके काव्य-
    संग्रह हैं। अप्सरा’, ‘अल्का’, ‘प्रभावती’, ‘निरुपमा’, ‘कुल्ली 
   भाट’ और बिल्लेसुर बकरिहा’ आपके उपन्यास हैं लिली’, ‘चतुरी
    चमार आदि।

भाषा: जहाँ हिन्दी  भाषा पर इनका अधिकार था वहीं अंग्रेजी, बंग्ला, 
    संस्‍कृत आदि भाषाओं के भी ये ज्ञाता थे।


शब्दार्थ:

१.टूक- टुकड़ा

२.लकुटिया - लाठी

३.दाता - देने वाला

४.अड़े - डटे


१. वह आता 
    दो टूक कलेजे के करता पछताता पथ पर आता।/
    पेट पीठ दोनों मिलकर हैं एक,
    चल रहा लकुटिया टेक,
   मुट्ठी‍ भर दाने को-भूख मिताने क
   मुँह फटी पुरानी झोली का फैलाता-
   दो टूक कलेजे के करता पछताता पथ पर आता।

क) किस भावना से प्रेरित होकर कवि ने प्रस्‍तुत पंक्‍तियों की रचना की  है ?

- कवि निराला जी ने दुखियों के प्रति सहानुभूति एवं संवेदना की भावना से प्रेरित होकर प्रस्‍तुत पंक्‍तियों की
  रचना 'भिक्षुक’ कविता के अंतर्गत की है।

ख) किसके पेट पीठ एक हो गए हैं और क्यों ?

- भिक्षुक के पेट पीठ एक हो गए हैं क्योंकि चिरकाल से पूरा भोजन न मिल सकने के कारण उसके पेट और पीठ एक हो चुके हैं। अर्थात उनमें पृथकता नहीं दिखाई देती। उसका शरीर बहुत दुर्बल हो चुका है।इसलिए उसे सहारे की ज़रुरत है।

ग) अपनी क्षुधा शांत करने के लिए वह क्या प्रयत्‍न करता है ?

- अपनी क्षुधा शांत करने के लिए वह अपनी फटी-पुरानी झोली का मुँह फैलाए हुए भीख माँगने का प्रयत्‍न करता है। मुट्‍ठी दो मुट्‍ठी अनाज की भीख माँगता है, जिससे कि वह अपनी भूख शांत कर सके।

घ) प्रस्‍तुत पंक्‍तियों के आधार पर भिक्षुक की दीन दशा का वर्णन कीजिए।

- प्रस्‍तुत पंक्‍तियों के आधार पर हम कह सकते हैं कि भिक्षुक को देखकर ऐसा लगता है कि जैसे एक क्षण के लिए हृदय के दो टुकड़े हो गए हो। काफी समय से भोजन न मिलने के कारण उसके पेट-पीठ एक जैसे हो चुके हैं। वह अपनी उम्र से ज्यादा बूढ़ा लग रहा है। दुर्बलता के कारण वह लाठी के सहारे चलता है।

२. साथ दो बच्चे भी हैं सदा हाथ फैलाये,
   बायें से वे मलते हुए पेट को चलते,
   और दाहिना दया दृष्टि-पाने की ओर बढ़ाये।
   भूख से सूख ओठ जब जाते
   दाता-भाग्य विधाता से क्या पाते?--
   घूँट आँसुओं के पीकर रह जाते।
   चाट रहे जूठी पत्तल वे सभी सड़क पर खड़े हुए,
   और झपट लेने को उनसे कुत्ते भी हैं अड़े हुए!

क) भिखारी के साथ और कौन है और वे क्या कर रहे हैं?

- भिखारी के साथ उनके दो बच्‍चे हैं और वे बाएँ से अपना पेट मल रहे हैं तथा दायाँ हाथ भीख माँगने के लिए फैलाए हुए हैं। वे अपनी भूख मिटाने के लिए सड़क पर पड़ी  जूठी पत्‍तले चाट रहे हैं ।

ख) कौन आँसुओं के घूँट पीकर रह जाते हैं और क्यों ?

- भीखारी के भूखे बच्‍चे आँसुओं के घूँट पीकर रह जाते हैं क्योंकि जब वे भूख से छटपटाते हुए किसी दाता के पास बड़ी आशा से हाथ फैलाते हैं और प्रतिउत्‍तर में जब उन्हें कुछ नहीं मिलता उल्‍टा कभी-कभी तो उन्हें झिड़क भी दिया जाता है तो वे आँसुओं के घूँट पीकर रह जाते हैं।

ग) भिक्षुक कविता द्‍वारा कवि ने समाज की किस स्‍थिति पर व्यंग्य किया है ?

- भिक्षुक कविता द्‍वारा कवि ने समाज की निम्‍न वर्ग की स्‍थिति पर व्यंग्य किया है। कवि का कहना है कि समाज में असमानता व्याप्‍त है। एक वर्ग ऐसा है कि अत्यधिक संपत्‍ति होने के कारण उसका महत्‍त्व नहीं जानता और उसकी बरबादी करता है दूसरा वर्ग ऐसा है जो दाने-दाने के लिए मोहताज है। कवि का कहना है कि निम्‍न वर्ग के प्रति क्या समाज का कोई दायित्‍व नहीं है।साथ ही कवि यह भी कहते हैं कि इस वर्ग को समाज की स्थिति सुधारने की कोशिश करनी चाहिए।

घ) भिक्षुक कविता आपको किस तरह प्रभावित करती है ?

- भिक्षुक कविता हमें अत्यधिक प्रभावित करती है। समाज की दयनीय स्थिति की तरफ हमारा ध्यान खींचती है कि किस प्रकार यह वर्ग गरीबी की मार को झेल रहा है और निरंतर गरीबी की दलदल में धंस रहा है उस वर्ग के पास अपना पेट भरने तक के लिए खाना नहीं है। जब ये जूठी पत्‍तलों द्‍वारा अपनी भूख मिटाने की कोशिश करते हैं तब कुत्‍ते उनसे वह भी छीन लेने के लिए खड़े हो जाते हैं। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि उनकी यह स्थिति हमें सोचने के लिए विवश कर देती है।

कुंडलियाँ

गिरिधर कविराय

परिचय :

* गिरिधर कविराय, हिंदी के प्रख्यात कवि थे।

शिवसिंह सेंगर के मतानुसार इनका जन्म 1713 ई. में हुआ था।
इनकी कुंडलियाँ दैनिक जीवन की बातों से संबद्ध हैं और सीधी - सरल भाषा में कही गई हैं।
*  वे प्राय: नीतिपरक हैं जिनमें परंपरा के अतिरिक्त अनुभव का पुट भी है।
गिरिधर कविराय ग्रन्थावलि ५०० से अधिक कवितायए से सन्कलित है। 
* इनकी कुंडलियों की लोकप्रियता का सबसे बड़ा कारण है बिल्‍कुल सरल, सहज, व्यवहारिक तथा
  सीधी-सादी भाषा में गंभीर तथा नीति परक तथ्यों का कथन।

शब्दार्थ :
गहरि  -  गहरी
नारी   -  नाली
दावागीर - डाकू , चोर
धूर - धूल
कमरी  -  कंबल
खासा - उत्तम, श्रेष्ठ
मलमल ,  वाफ़्ता - महँगा वस्त्र
बकुचा - छोटी गठरी
मोट - गठरी
दमरी - मूल्य
गाहक - ग्राहक
सहस - हज़ारों
गुन  - गुण
कागा  -  कौआ
कोकिला -  कोयल
सुहावन  -  अच्छा लगना
अपावन -  अपवित्र
ठाकुर  -   राजा
बिरला - कोई-कोई
बयारि  -  हवा
घाम  -  धूप 
पाती  -  पत्तियाँ
जर  -   जड़
उलीचिए  -  निकालना
बानी  -  वाणी
तरु - पेड़

निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए : 


१.लाठी में हैं गुण बहुतसदा रखिये संग। 

   गहरि नदीनाली जहाँतहाँ बचावै अंग।।

   तहाँ बचावै अंगझपटि कुत्ता कहँ मारे। 

   दुश्मन दावागीर होयतिनहूँ को झारै।।

   कह गिरिधर कविरायसुनो हे दूर के बाठी। 

    सब हथियार छाँडिहाथ महँ लीजै लाठी।। 

     कमरी थोरे दाम की, बहुतै आवै काम।

     खासा मलमल वाफ्ता, उनकर राखै मान॥
      उनकर राखै मान, बँद जहँ आड़े आवै।

      बकुचा बाँधे मोट, राति को झारि बिछावै॥
      कह ‘गिरिधर कविराय’, मिलत है थोरे दमरी।
      सब दिन राखै साथ, बड़ी मर्यादा कमरी॥


क) गिरिधर कविराय जी ने लाठी की किन-किन गुणों की ओर संकेत

      किया है ?

     : कविराय जी ने लाठी के कई गुणों की ओर संकेत किया है।लाठी अनेक स्थितियों में हमारी सहायता करती

       है। कहीं गड्‍ढा आ जाए, तो लाठी का सहारा हमें संतुलित रखता है, कहीं नदी आ जाए तो लाठी का प्रयोग

      करके न केवल उसकी गहराई का पता लगाया जा सकता है बल्कि लाठी के सहारे उसे पार भी किया जा

      सकता है। यदि मार्ग में कुत्ते या चोर या फिर डकैत आक्रमण कर  दे तो, लाठी उन सभी से हमारी रक्षा करती

      है और उन पर विजय भी दिलाती है। 

ख)   कवि सब हथियारों को छोड़कर अपने साथ लाठी रखने की बात कह रहे हैं। क्या आप उनकी बात से

       सहमत हैं? स्पष्ट कीजिए।

       : कवि गिरिधर जी ने सब हथियारों को छोड़कर अपने साथ लाठी रखने की बात कह रहे हैं। मैं उनकी बात

        से सहमत हूँ क्योंकि, पुराने समय में अधिकतर लोग पैदल ही यात्रा करते थे। इस यात्रा में उन्हें कई मुश्‍किलों

       का सामना करना पड़ता था जैसे गहरी नदी या नाला पार करना और हिंसक जानवरों और दुश्‍मनों से अपनी

      सुरक्षा करना।लाठी, यात्री को इन सभी मुश्‍किलों में सहारा देती है। 

ग)      गिरिधर कविराय के अनुसार कमरी में कौन-कौन-सी विशेषताएँ होती हैं

         : कवि के अनुसार कमरी अर्थात् कंबल बहुत ही कम दाम में मिलती है परंतु यह बहुत बड़े काम आती है।

          इसकी गठरी बनाकर इसमें हम अपनी कीमती वस्त्रों को सुरक्षित रख सकते हैं, यात्रा के दौरान यदि हमें

          रात गुज़ारने की जगह न मिले तो, कंबल बिछाकर हम आराम से रात गुज़ार सकते हैं।

         

घ)      रेखांकित पंक्तियों के द्‍वारा कवि क्या कहना चाहते हैं

        : रेखांकित पंक्तियों के द्‍वारा कवि कहना चाहते हैं कि, श्रेष्ठ प्रकार के कपड़े जो यात्री अपने साथ यात्रा के

          दौरान रखते हैं ताकि उन्हें यात्रा के दौरान जब उन कीमती कपड़ों की ज़रूरत पड़े तब वे उनका प्रयोग

          कर अपनी इज़्ज़त को बचा सकें। कवि के अनुसार कम कीमत पर मिलने वाली इसी कंबल की गठरी

         बनाकर यात्री उसमें अपने कीमती वस्त्रों को आँधी से सुरक्षित रख पाते हैं। 


  २.    गुन के गाहक सहस, नर बिन गुन लहै न कोय।
         जैसे कागा कोकिला, शब्द सुनै सब कोय॥
         शब्द सुनै सब कोय, कोकिला सबै सुहावन।
         दोऊ के एक रंग, काग सब भये अपावन॥
         कह गिरिधर कविराय, सुनो हो ठाकुर मन के।
         बिनु गुन लहै न कोय, सहस नर गाहक गुन के॥
         साँई सब संसार में, मतलब का व्यवहार।
         जब लग पैसा गाँठ में, तब लग ताको यार॥
         तब लग ताको यार, यार संग ही संग डोले।
         पैसा रहे न पास, यार मुख से नहिं बोले॥
         कह गिरिधर कविराय जगत यहि लेखा भाई।
         करत बेगरजी प्रीति, यार बिरला कोई साँई॥


     क) ‘गुन के गाहक सहस, नर बिन गुन लहै न कोय’ – पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

        प्रस्तुत पंक्ति में गिरिधर कविराय ने मनुष्य के आंतरिक गुणों की चर्चा की है। गुणी व्यक्ति को हजारों लोग

          स्वीकार करने को तैयार रहते हैं लेकिन बिना गुणों के समाज में उसकी कोई मह्त्ता नहीं। इसलिए व्यक्ति

          को अच्छे गुणों को अपनाना चाहिए।

  ख)  कौए और कोयल के उदाहरण द्वारा कवि क्या स्पष्ट करते हैं?

        :कौए और कोयल के उदाहरण द्वारा कवि कहते है कि जिस प्रकार कौवा और कोयल रूप-रंग में समान

         होते हैं किन्तु दोनों की वाणी में ज़मीन-आसमान का फ़र्क है। कोयल की वाणी मधुर होने के कारण वह

        सबको प्रिय है। वहीं दूसरी ओर कौवा अपनी कर्कश वाणी के कारण सभी को अप्रिय है। अत: कवि कहते हैं

       कि बिना गुणों के समाज में व्यक्ति का कोई नहीं। इसलिए हमें अच्छे गुणों को अपनाना चाहिए।

ग) संसार में किस प्रकार का व्यवहार प्रचलित है ?

     :कवि कहते हैं कि संसार में बिना स्वार्थ के कोई किसी का सगा- संबंधी नहीं होता। सब अपने मतलब के लिए

      ही व्यवहार रखते हैं। अत:इस संसार में मतलब का व्यवहार प्रचलित है।

घ) उपर्युक्त कुंडलिया में सच्चे एवं झूठे मित्र की क्या पहचान बताई गई है ?

     : उपर्युक्त कुंडलिया के अनुसार एक सच्चा मित्र कभी अपने मित्र का मुश्‍किलों में कभी साथ नहीं छोड़ता है।

       मित्र के प्रति उसका व्यवहार निस्वार्थ भाव से पूर्ण होता है। कवि के अनुसार एक झूठा मित्र तब तक आपका

      साथ देता है, जब तक आपके पास धन - दौलत है,  जैसे ही आप निर्धन हो जाते हैं वही दोस्त आपसे मुँह

       फेर लेते हैं और बात तक नहीं करते हैं।

           



वह जन्मभूमि मेरी

सोहनलाल द्विवेदी

कवि परिचयसोहनलाल ‌द्‌विवेदी आधुनिक काल के कवि हैं। 
ये राष्‍ट्र कवि के नाम से भी जाने जाते हैं। इन्होंने आजीवन निष्काम भाव से साहित्य सर्जना की। द्‌विवेदी जी गाँधीवादी विचारधारा के प्रतिनिधि कवि हैं। ये अपनी राष्ट्रीय तथा पौराणिक रचनाओं के लिए सम्मानित हुए। ये 'पद्‍मश्री अलंकरण से सम्मानित हुए।

रचनाएँ  - 'भैरवी, 'वासवदत्‍ता, 'पूजागीत, 'विषपान और 'जय गाँधी आदि। इनके कई बाल काव्य संग्रह भी प्रकाशित हुए।

भाषा: इन्होंने खड़ी बोली का प्रयोग किया है।


शब्दार्थ:

१.सिंधु-समुद्र
२. अमराइयाँ- आम के पेड़ों का बाग
३. रघुपति- भगवान राम
४. चरण- पैर

५. पुनित-पवित्र।


 

१. जन्मे जहाँ थे रघुपति, जन्मी जहाँ थी सीता,/ श्रीकृष्‍ण ने सुनाई, वंशी पुनीत गीता।/ गौतम ने जन्म लेकर, जिसका सुयश बढ़ाया,/ जग को दया दिखाई, जग को दिया दिखाया।

 

क) गौतम बुद्‌ध का संक्षिप्‍त परिचय दें।

- गौतम बुद्‌ध महामाया और कपिलवस्तु के राजा शुद्धोदन  के पुत्र थे। इनका बचपन का नाम सिद्‌धार्थ था। ये

  बौद्‌ध धर्म के प्रवर्तक थे।[

ख) भगवान बुद्‌ध ने लोगों को किस मार्ग का उपदेश दिया ? स्पष्‍ट करें।


- भगवान बुद्‌ध ने लोगों को मध्यम मार्ग का उपदेश दिया। उन्होंने दुःख, उसके कारण और निवारण 
   के लिए अष्टांगिक मार्ग सुझाया। उन्होंने अहिंसा पर बहुत जोर दिया है। उन्होंने यज्ञ और पशु-बलि की निंदा की। 

ग)- रघुपति अर्थात श्रीराम किस नाम से जाने जाते हैं और क्यों ?

- रघुपति अर्थात श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्‍तम के नाम से जाने जाते हैं क्योंकि जो उपदेश वह देना चाहते हैं उसे स्वयं के ऊपर प्रयोग करके सच्‍चे पुरूष का आदर्श प्रस्तुत करते हैं। यही कारण है कि राम मर्यादा पुरूषोत्‍तम कहलाते हैं।

घ)- 'गीता’ क्या है ? स्पष्‍ट करें।
- गीता को हिन्दु धर्म में बहुत खास स्थान दिया गया है। गीता अपने अंदर भगवान कृष्ण के उपदेशो को समेटे हुए है। गीता को वेदों और उपनिषदों का सार माना जाता । गीता न सिर्फ जीवन का सही अर्थ समझाती है बल्कि परमात्मा के अनंत रुप से  हमें रुबरु कराती है। इस सांसारिक दुनिया में दुखक्रोधअहंकार ईर्ष्या आदि से पिड़ित आत्माओं कोगीता सत्य और आध्यात्म का मार्ग दिखाकर मोक्ष की प्राप्ति करवाती है।
गीता में लिखे उपदेश किसी एक मनुष्य विशेष या किसी खास धर्म के लिए नहीं हैइसके उपदेश तो पूरे जग के लिए है। जिसमें आध्यात्म और ईश्‍वर के बीच जो गहरा संबंध है उसके बारे में विस्तार से लिखा गया है। गीता में धीरजसंतोषशांतिमोक्ष और सिद्‌धि को प्राप्त करने के बारे में उपदेश दिया गया है।


 २. ऊँचा खड़ा हिमालय, आकाश चूमता है,
    नीचे चरण तले पड़, नित सिंधु झूमता है।
    गंगा, यमुना, त्रिवेणी, नदियाँ लहर रही हैं,
   जगमग छटा निराली, पग-पग पर छहर रही हैं।
                                                                                                                                                                                           
क) प्रस्‍तुत पंक्‍तियों के कवि का नाम बताते हुए यह भी बताइए कि वे किस उपनाम से जाने जाते हैं ?

- प्रस्‍तुत पंक्‍तियों के कवि का नाम 'सोहनलाल द्‌विवेदी’ है तथा वे 'राष्‍ट्रकवि’ उपनाम से जाने जाते हैं।

ख) कवि ने भारत-भूमि को किन महापुरुषों की भूमि कहा है  और क्यों ?

- कवि के अनुसार भारत-भूमि ऐसी पुण्यभूमि है जहाँ अनेक युग पुरुषों ने जन्म लिया एवं अपने उपदेशों एवं ज्ञान के माध्‍यम से जनता का मार्गदर्शन किया। इसी भारत की भूमि पर श्रीराम ने जन्म लिया तो सीता माता का जन्म भी यहीं हुआ। इसी भूमि पर श्रीकृष्‍ण ने अपनी बांसुरी की धुन सुनाई और गीता का उपदेश भी दिया। यहीं गौतम बुद्‌ध का जन्म भी हुआ और भारत देश के यश, ख्याति में वृद्‌धि की इसीलिए यह भूमि महापुरुषों की भूमि है। जिन्होंने जग पर दया की एवं प्रकाश रूपी दिया दिखाकर लोगों का मार्गदर्शन किया।

ग) 'वह जन्मभूमि मेरी’ कविता के प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन कीजिए।

'वह जन्मभूमि मेरी’ कविता में कवि ने भारत के प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन किया है। कवि का कहना है कि भारत एक ऐसा देश है जिसके उत्‍तर में ऊँचा हिमालय सुशोभित है तो उस हिमालय के चरणों में समुद्र बहता है। यहाँ वनों में, पहाड़ों में अनेक झरने बहते हैं और चिड़ियाँ अपनी सुरीली आवाज से प्राकृतिक वातावरण को सुखद बनाती है। आम के पेड़ों से कोयल की मधुर आवाज सुनाई देती है तो मलय पर्वत की सुगंधित हवा भी वातावरण को मनमोहक बनाती है।

घ) कविता का मूल-भाव अपने शब्दों में लिखिए।

- कविता का मूल-भाव विद्‌यार्थियों में देश प्रेम, राष्‍ट्र प्रेम की भावना को चित्रित करना है। कवि ने भारत देश को अपनी जन्मभूमि, मातृभूमि कह कर संबोधित किया है तथा अपने श्रद्‌धा भाव को व्यक्‍त किया है। यह देश अनेक महापुरुषों की जन्मभूमि होने के कारण कर्मभूमि,धर्मभूमि भी है। इस प्रकार कविता का मूल भाव हम पाठक गण के मन में अपने देश के प्रति प्रेम भाव को व्यक्‍त करना रहा है।



चलना हमारा काम है


शिवमंगल सिंह "सुमन"
(जन्म-1916  मृत्यु- 2002)

शिवमंगल सिंह 'सुमन का हिन्दी के शीर्ष कवियों में प्रमुख नाम है।
उन्हें सन् 1999 में भारत सरकार ने साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्‌मभूषण से सम्मानित किया था। 
'सुमन' जी ने छात्र जीवन से ही काव्य रचना प्रारम्भ कर दी थी और वे लोकप्रिय हो चले थे।
 उन पर साम्यवाद का प्रभाव है, इसलिए वे वर्गहीन समाज की कामना करते हैं। 
पूँजीपति शोषण के प्रति उनके मन में तीव्र आक्रोश है। 
उनमें राष्ट्रीयता और देशप्रेम का स्वर भी मिलता है।
इनकी भाषा में तत्सम शब्दों के साथ-साथ अंग्रेजी और उर्दू के शब्दों की भी प्रचुरता है।
प्रमुख रचनाएँ - हिल्लोल, जीवन के गान, प्रलय सृजन, मिट्‌टी की बारात, विश्वास बढ़ता ही गया, पर आँखें नहीं भरी आदि।




कठिन शब्दार्थ

गति - रफ़्तार
विराम - आराम, विश्राम
पथिक - राही
अवरुद्‌ध - रुका हुआ
आठों याम - आठों पहर
विशद - विस्तृत
प्रवाह - बहाव
वाम - विरुद्‌ध
रोड़ा - रुकावट
अभिराम - सुखद

अवरतणों पर आधारित प्रश्नोत्तर

(1)
जीवन अपूर्ण लिए हुए,
पाता कभी, खोता कभी
आशा-निराशा से घिरा
हँसता कभी रोता कभी।
गति-मति न हो अवरुद्‌ध, इसका ध्यान आठों याम है।
चलना हमारा काम है।
(i) कवि ने जीवन को अपूर्ण क्यों बताया है?
(ii) "आशा-निराशा से घिरा" से कवि का क्या तात्पर्य है?
(iii) कवि मनुष्य में आठों पहर किस भावना की कामना करते हैं? कवि के विचारों से आप कहाँ तक सहमत हैं?
(iv) यह किस प्रकार की कविता है? इस कविता से आपने क्या सीखा? चलना हमारा काम -पंक्ति को बार-बार दोहराकर कवि क्या संदेश देना चाहते हैं?
उत्तर
(i) कवि ने मानव जीवन को अपूर्ण बताया है क्योंकि मनुष्य को अपने जीवन में सब कुछ प्राप्त नहीं होता। मनुष्य की इच्छाएँ असीमित हैं। मनुष्य़ जीवन की यात्रा पर आगे बढ़ते हुए अपनी इच्छाओं को पूरा करने की कोशिश करता है परन्तु वह सब कुछ प्राप्त नहीं कर सकता। अत: कुछ खोना और कुछ पाना जीवन के अधूरेपन की निशानी है।
(ii) यह मानव स्वभाव का अहम हिस्सा है कि जब उसे जीवन में सफलता प्राप्त होती है तब उसका मन प्रसन्नता से भर उठता है किन्तु असफलता प्राप्त होने पर उसे घोर निराशा होती है। इस प्रकार मनुष्य अपने जीवन में आशा-निराशा के भाव से घिरा रहता है।
(iii) दिन के चौबीस घंटे को आठ पहर में बाँटा जाता है। प्रत्येक पहर में तीन घंटे होते हैं। कवि के अनुसार हमें दिन-रात कठिन परिश्रम करते रहना चाहिए। कवि की यह सोच बिल्कुल सही है कि  हमें एक पल के लिए भी निष्क्रिय नहीं होना चाहिए। बुद्‌धि की गति और सोच निरन्तर गतिशील रहनी चाहिए। यदि मनुष्य की गति रुक जाएगी  तो वह अपने लक्ष्य को भूलकर निष्क्रिय हो जाएगा। यह जड़ता का प्रतीक है।
(iv) शिवमंगल सिंह "सुमन"‍ द्‌‌वारा रचित कविता "चलना हमारा काम है" प्रेरणादायक कविता है जो निराशा में आशा का संचार करने वाली कविता है। प्रस्तुत कविता से हमने सीखा कि मानव जीवन सुख-दुख, सफलता-असफलता, आशा-निराशा के दो किनारों के बीच निरन्तर चलता रहता है और उसके इसी निरन्तर गतिशीलता में मानवता का विकास निहित है।
"चलना हमारा काम है" पंक्ति को बार-बार दोहराकर कवि ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि मानव जीवन को सदैव प्रयत्नशील और गतिशील रहना चाहिए तभी मानव समाज प्रगति के पथ पर अग्रसर हो पाएगा।

(2)
इस विशद विश्व-प्रवाह में
किसको नहीं बहना पड़ा
सुख-दुख हमारी ही तरह
किसको नहीं सहना पड़ा।
फिर व्यर्थ क्यों कहता फिरूँ मुझ पर विधाता वाम है
चलना हमारा काम है।
(i) यहाँ कवि ने संसार की किस सच्चाई का उल्लेख किया है?
(ii)कविता के आधार पर बताइए कि कवि ने "बोझ" बाँटने का कौन-सा उपाय बताया है? समझाकर लिखिए।
(iii) "विधाता वाम" का अर्थ स्पष्ट कीजिए। ऐसा हम कब सोचते हैं और क्यों? स्पष्ट कीजिए।
(iv) कविता का केन्द्रीय भाव लिखिए।

उत्तर
(i) कवि कहते हैं कि संसार बहुत बड़ा है। यह संसार गतिशील है और सभी मानव इसकी गतिशीलता में प्रवाहित होते रहते हैं। इस संसार के जीवन में सुख और दुख समान गति से आते और जाते रहते हैं। दुनिया में ऐसा कोई मनुष्य नहीं जिसके जीवन में सुख और दुख न आया हो। सुख और दुख संसार की सच्चाई है।
(ii) कवि कहते हैं कि जीवन रूपी मार्ग पर चलते हुए अनेक राही मिलते हैं। उनसे अपने सुख-देख को बाँटने से मन का बोझ (भार) कम हो जाता है। दुख बाँटने से कम होता है और सुख बाँटने से बढ़ता है।
(iii) "विधाता वाम" का तात्पर्य है कि ईश्वर हमारे विरुद्‌ध है। कवि का कहना है सुख-दुख जीवन का अनिवार्य अंग है। संसार के हर व्यक्ति के जीवन में सुख और दुख दोनों विद्‍यमान  हैं लेकिन जब हमारे जीवन में दुख, कष्ट, पीड़ा, अवसाद और अकेलापन बढ़ जाता है तब हमें लगने लगता है कि हमारा भाग्य खराब है और ईश्वर भी हमारे विरुद्‌ध हो गए हैं।
(iv) प्रस्तुत कविता केन्द्रीय भाव यह है कि मानव को विघ्न-बाधाओं पर विजय प्राप्त करते हुए निरन्तर आगे बढते रहना चाहिए। गति ही जीवन है। जीवन में सफलता-असफलता, सुख-दुख आते रहते हैं। जीवन में हार-जीत लगी रहती है। अत: सभी परिस्थितियों में आत्मविश्वास बनाए रखते हुए जीवन में गतिशीलता बनाए रखनी चाहिए। जड़ता मानव विकास के लिए खतरनाक है। अत: हमें अपनी बुद्‌धि की गतिशीलता और रचनात्मकता को कायम रखनी चाहिए।

 3. स्वर्ग बना सकते हैं  

                                        
                                                               रामधारी सिंह दिनकर’

कवि परिचय: 
 ये आधुनिक काल के रचनाकार हैं।
 इनकी रचनाओं में राष्‍ट्रीयता की गुँज है।
 
रचनाएँ:  उर्वशी (भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्‍कार) कुरुक्षेत्रहुँकाररसवंती, रश्‍मिरथीपरशुराम   की प्रतीक्षा आदि।
भाषा- इन्‍होंने खड़ी बोली हिंदी का प्रयोग किया है।

शब्दार्थ 
 

१.धर्मराज- युधिष्‍ठिर
२.क्रीत– खरीदी हुई
३. समीरण- वायु,
४.आशंका- संदेह
५. विघ्‍न- बाधा
६. पथ- रास्‍ता
७.मानवता- इंसानियत
८. सुलभ- आसानी से प्राप्‍त
९. भव- संसार
१०. मनुज- मानव
११. सम- समान
१२. शमित- समाधान
१३. कोलाहल- शोर
१४. भय- डर
१५. .संचय- इकट्‍ठा
१६. विकीर्ण- फैला हुआ
१७. जगत- संसार
१८. तुष्‍ट- तृप्‍त

प्रश्‍नोत्‍तर

१.लेकिन विघ्‍न अनेक अभी

    इस पथ पर अड़े हुए हैं

   मानवता की राह रोककर

   पर्वत अड़े हुए हैं।

क) प्रस्‍तुत पंक्‍तियाँ कहाँ से ली गई है तथा इसके रचनाकार कौन हैं ?

-  प्रस्‍तुत पंक्‍तियाँ 'स्वर्ग बना सकते हैं’ कविता से ली गई है तथा इसके रचनाकार  रामधारी सिंह 'दिनकर’ हैं।

ख) प्रस्‍तुत पंक्‍तियों में किस विघ्‍न की बात कवि कर रहे हैं ?

- प्रस्‍तुत पंक्‍तियों में कवि मानवता के मार्ग में आने वाले विघ्‍न की बात कर रहे हैं । ये विघ्‍न अन्‍याय, असमानता, द्‍वेष आदि भाव हैं।

ग) इस प्रकार के विघ्‍न के हटने पर क्या होगा ?

- इस प्रकार का विघ्‍न जब हट जाएगा तब पृथ्‍वी स्‍वर्ग बन जाएगा। तब मानव सुख-शांति का जीवन यापन करेगा। मानव स्‍वयं उन्‍नति करता हुआ दूसरों को भी उन्‍नति के शिखर पर ले जाएगा। इस प्रकार घर, समाज तथा पूरे राष्‍ट्र की भलाई होगी।

घ) आप एक  विद्‍यार्थी हैं और विद्‍यार्थी जीवन में पृथ्वी को स्‍वर्ग बनाने के लिए  आप क्या करते हैं ?

- मैं एक विद्‍यार्थी हूँ और विद्‍यार्थी जीवन में पृथ्वी को स्‍वर्ग बनाने के लिए  मैं सबसे पहले मन लगाकर अध्‍ययन करते हुए ज्ञान प्राप्‍त करने की कोशिश करता / करती हूँ क्योंकि बिना ज्ञान के मैं सही और गलत का फैसला नहीं कर पाऊँगा / पाऊँगी। इसके बाद मैं इसी जीवन में आपसी प्रेम, सद्‍व्‍यवहार, समानता आदि गुणों को सीखते हुए उसे अपने व्यावहारिक जीवन में अपनाता / अपनाती हूँ ।तदुपरांत परिवार, समाज में भी इसका प्रचार-प्रसार करता / करती हूँ।

२. सब हो सकते तुष्‍ट एक सा
  सब सुख पा सकते हैं
  चाहे तो पल में धरती को
  स्वर्ग बना सकते हैं।

क) 'तुष्‍ट’  शब्द से क्या तात्‍पर्य है ?

'तुष्‍ट’  शब्द से तात्‍पर्य शांति से है, मन की तृप्‍ति से है ।

ख) रेखांकित पंक्‍ति का भाव स्‍पष्‍ट कीजिए।

- रेखांकित पंक्‍ति द्‍वारा कवि कहना चाहते हैं कि यदि हम भेदभाव छोड़कर मिलकर काम करें तो पृथ्‍वी के सभी प्राणी को शांति मिलेगी। सब प्राणी सुखमय जीवन यापन करेंगे।

ग) शब्दार्थ लिखिए:-

- तुष्‍ट - तृप्‍त , एक सा - एक समान, पल - क्षण, धरती - पृथ्‍वी 

घ) स्‍वर्ग से क्या तात्पर्य है ?

- स्‍वर्ग से तात्पर्य ऐसे स्थान से है जहाँ हर तरह की सुख -सुविधाएँ उपलब्‍ध हो। जहाँ किसी प्रकार का भेदभाव न होकर सब मिलकर आगे बढ़े। जहाँ जियो और जीने दो की बात लागू होती हो। जहाँ हर प्राणी आपसी प्रेम, सद्‍व्‍यवहार के साथ मिलकर आगे बढ़े।

३. जब तक मनुज-मनुज का यह
    सुख भाग नहीं सम होगा
    शमित न होगा कोलाहल
    संघर्ष नहीं कम होगा।

क) 'कोलाहल’ शब्द का अर्थ बताते हुए बताएँ कि यह अंश कवि की किस रचना से उद्‍धृत है ?

     - 'कोलाहल’ शब्द का अर्थ 'शोर’ से है। आपसी कलह से है। प्रस्तुत अंश कवि की 'कुरुक्षेत्र’ रचना से ली
        गई  है।

ख) प्रस्‍तुत पंक्‍तियाँ कौन किससे कहता है ?

   - प्रस्‍तुत पंक्‍तियाँ भीष्म पितामह धर्मराज युधिष्‍ठिर से कहते हैं।

ग) संघर्ष कब कम नहीं होगा ? सपष्‍ट करें।

  - संघर्ष तब तक कम नहीं होगा जब तक सभी मनुष्यों को समान दृष्टि से नहीं देखा जाएगा। सभी मनुष्‍यों को    जब तक न्यायोचित सुख सुलभ नहीं होगा। जब तक जाति, धर्म, धन आदि का भेदभाव समाप्‍त नहीं होगा तब    तक संघर्ष कम नहीं होगा। 

घ) कविता का मूल भाव अपने शब्दों में लिखे।

- कविता का मूल भाव प्रकृति द्‍वारा प्रदत्‍त वस्तुओं तथा नि:शुल्‍क उपहारों का उपभोग हमें मिल बाँटकर करना चाहिए। साथ ही कवि का यह भी कहना है कि हमें प्रकृति द्‍वारा यह सीख लेनी चाहिए कि हमें सभी को समान दृष्‍टि से देखना चाहिए तथा नि:स्वार्थ भाव से सबकी मदद करनी चाहिए। यदि हम ऐसा करते हैं तो पृथ्वी स्वर्ग बन जाएगा।


१. प्रस्तुत अंश कवि की किस रचना से ली गई  है ?

- प्रस्तुत अंश कवि की 'कुरुक्षेत्र’ रचना से ली गई  है।
२. रामधारी सिंह 'दिनकर’ जी की किन्हीं चार रचनाओं के नाम बताएँ।

- रामधारी सिंह 'दिनकर’ जी की किन्हीं चार रचनाओं के नाम हैं -कुरुक्षेत्र, रेणुका, रसवंती, रश्मिरथी आदि।


प्रश्‍नोत्‍तर:
1. ऐसो को उदार जग माहीं।
    बिनु सेव जो द्रवै दीन पर राम सरिस कौ नाहीं॥
    जो गति जोग विराग जतन करि नहिं पावन मुनि ज्ञानी।
   सो गति देत गीध सबरी कहूँ प्रभु न बहुत जिय जानी॥
   जो सम्पत्‍ति दस सीस अरप करि रावण सिव पहँ लीन्ही।
   सो सम्पदा-विभीषण कहँ अति सकुच सहित प्रभु दीन्ही॥
   तुलसीदास सब भाँति सकल सुख जो चाहसि मन मेरो।
   तौ भजु राम, काम सब पूरन कर कृपानिधि तेरो॥
क) कौन उदार हैं तथा उन्हें उदार क्यों कहा जाता है ? अथवा

- प्रस्तुत पद में किसकी बात की जा रही है ? वह कैसे उदार हैं ?

- कवि तुलसीदास के आराध्‍य देव भगवान राम उदार हैं।

भगवान राम बिना सेवा के ही दीनों पर दया करते हैं। दीनों की दशा देखकर उनका हृदय पसीज पसीज जाता है और वे उनके दु:ख दूर तुरंत कर देते हैं। यही कारण है कि उन्हें उदार कहा जाता है। कवि का मानना है कि उनके समान उदार स्वभाव का और कोई नहीं है।

ख) गीध और सबरी को किसने, कौन-सा स्थान दिया ? समझाकर लिखिए।

-    गीध अर्थात जटायु के आत्‍मत्‍याग और सबरी (शबरी) की भक्‍ति से प्रसन्‍न होकर भगवान राम ने उन्हें परम पद का स्थान अर्थात मोक्ष प्रदान किया।

गीध: गीध अर्थात गिद्‌ध से कवि का तात्‍पर्य जटायु से है। जब रावण सीता का हरण करके आकाश मार्ग से लंका की ओर जा रहा था तो सीता की दुख भरी वाणी सुनकर जटायु ने उन्हें पहचान लिया और उन्हें छुड़ाने के लिए रावण से युद्‌ध करते हुए गंभीर रूप से घायल हो गया। सीता को खोजते हुए राम जब वहाँ पहुँचे तो उसने उन्हें रावण के विषय में सूचना देकर राम के चरणों में ही प्राण त्‍याग दिए। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि जटायु ने सीता की रक्षा करने में अपने प्राणों की परवाह नहीं की थी।
सबरी: सबरी अर्थात शबरी एक वनवासी शबर जाति की स्त्री थी जिसको पूर्वाभास हो गया था कि राम उसी वन के रास्ते से जाएँगे जहाँ वह रहती थी। उनके स्वागत के लिए उसने चख-चख कर मीठे बेर जमा किए थे। राम ने उसका आतिथ्‍य स्वीकार किया और उसे परम गति प्रदान की। शबरी का वास्तविक नाम श्रमणा था । श्रमणा भील समुदाय की "शबरी " जाति  से सम्बंधित थी । संभवतः इसी कारण श्रमणा को शबरी नाम दिया गया था ।
पौराणिक संदर्भों के अनुसार श्रमणा एक कुलीन हृदय की प्रभु राम की एक अनन्य भक्‍त  थी लेकिन उसका विवाह एक दुराचारी और अत्याचारी व्यक्‍ति से हुआ था ।
प्रारम्भ में श्रमणा ने अपने पति के आचार-विचार बदलने की बहुत चेष्टा की लेकिन उसके पति के पशु संस्कार इतने प्रबल थे की श्रमणा को उसमें सफलता नहीं मिली । कालांतर में अपने पति के कुसंस्कारों  और अत्याचारों से तंग आकर श्रमणा ने ऋषि मातंग के आश्रम में शरण ली । आश्रम में श्रमणा श्रीराम का भजन  और ऋषियों की सेवा-सुश्रुषा करती हुई अपना समय व्यतीत करने लगी ।
 इस प्रकार हम कह सकते हैं कि शबरी ने बड़े भोलेपन से प्रेमपूर्वक राम को अपने चखे हुए मीठे बेर खिलाए थे। उसके इसी प्रेमपूर्वक व्यवहार से राम प्रसन्‍न होकर उसे परम गति प्रदान किया।



ग) यहाँ किस सम्पत्‍ति की बात की जा रही है ? उसे लंकापति रावण ने, किस प्रकार प्राप्‍त किया ? भगवान राम ने वह सम्पत्‍ति किसे दे दी और क्यों ?

-  यहाँ लंका की सम्पत्‍ति की बात की जा रही है। उसे लंकाधिराज रावण ने भगवान शिव की कठिन तपस्या करके अर्थात अपना दस मुख अर्पित कर प्राप्‍त की थी।

    भगवान राम ने वह सम्पत्‍ति रावण का वध करके विभीषण को दे दी। विभीषण रावण का छोटा भाई था। वह राम भक्‍त था। उसने रावण को राम से क्षमा माँगकर उनकी शरण में जाने के लिए समझाने की चेष्‍टा की, किन्तु रावण ने उसका तिरस्कार किया। इसलिए वह लंका छोड़कर राम की शरण में आ गया। युद्‌ध में रावण को पराजित करने के बाद राम ने लंका का राज्य विभीषण को दे दिया।
घ) तुलसीदास किसका भजन करने के लिए कह रहे हैं और क्यों ? सकल सुख’ का 
    प्रयोग कवि ने क्या बताने के लिए किया है ? पद के आधार पर समझाइए।
- तुलसीदास भगवान राम का भजन करने के लिए कह रहे हैं क्योंकि राम ही सबसे उदार हैं जिसकी आराधना से कैवल्‍य अर्थात मोक्ष की प्राप्‍ति होती है।
सकल सुख’ का प्रयोग कवि ने यह बताने के लिए किया है कि श्री राम की आराधना से कोई भी प्राणी जो कुछ भी चाहता है, वह सब सुख उसे प्राप्‍त हो सकता है। इसका उदाहरण गीद्‌ध पक्षी जटायु और शबरी है जिसे भगवान राम ने परमपद (मोक्ष) और विभीषण को लंका का राज्य प्रदान किया। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि रामभक्‍त आधिभौतिक अथवा भौतिक, जो सुख भी चाहे प्राप्‍त कर सकता है।

2. जाके प्रिय न राम वैदेही |

   तजिए ताहि कोटि वैरी सम जद्पि परम सनेही ।|

   तज्यो पिता प्रह्‍लाद, विभीषण बन्‍धुभरत महतारी |

   बलि गुरु तज्यो, कंत ब्रज बनितन्‍हि,भए-मुद मंगलकारी ||

  नाते नेह राम के मनियत, सुहुद सुसैब्य जहाँ लौं |

  अंजन कहा आंख जेहि फूटै, बहु तक कहौ कहाँ लौं ||

  तुलसी सो सब भांति परमहित पूज्य प्राण ते प्यारो |

 जासों होय सनेह राम-पदएतो मतो हमारो ||(विनयपत्रिका -१७४ )


क) कवि किनके उपासक थे अथवा उनके आराध्‍य कौन थे तथा वे किस
     प्रकार की भक्‍ति को महत्‍त्व देते थे ? प्रस्‍तुत पद में कवि ने किन्हें त्यागने
    की बात की है और क्यों  ?

-  कवि श्री राम के उपासक थे अथवा उनके आराध्‍य श्री राम थे तथा वे दास्य
   भक्‍ति को महत्‍त्व देते थे।प्रस्‍तुत पद में कवि ने उन्हें त्यागने की बात की है
   जिन्हें सीता पति श्री राम प्रिय नहीं हैं। कवि के अनुसार ऐसे लोग भले ही
  हमारे परम प्रिय हों लेकिन ऐसे लोग करोड़ों दुश्‍मन के समान होते हैं।

ख) मुद मंगलकारी’ किन्हें कहा गया है ? राजा बलि के गुरु कौन थे उन्होंने
     अपने गुरु का परित्याग कब और क्यों किया ?

मुद मंगलकारी’ प्रह्‍लाद, विभीषणभरत, बलि,  ब्रज की स्त्रियों को कहा गया है जिन्होंने अपने आराध्य श्री कृष्ण के लिए अपने नाते-रिश्ते को भी त्याग दिया।राजा बलि के गुरु शुक्राचार्य थे।उन्होंने अपने गुरु का परित्याग तब किया जब उनके गुरु शुक्राचार्य जी ने बलि को सचेत किया कि उनके द्‌वार पर दान माँगने स्वयं विष्णु भगवान पधारे हैं जो छल से उनसे कुछ भी माँग सकते हैं। अत: वे उन्हें दान न दे बैठे। परन्तु राजा बलि उनकी बात नहीं मानते हुए उनका परित्‍याग करते हैं। राजा बलि दैत्य होते हुए भी विष्णु भक्‍त था। जब उन्हें अपने गुरु द्‌वारा यह पता चला कि उनके द्‌वार पर स्वयं विष्‍णु भगवान भिक्षा माँगने आए हैं तो उसने इसे अपना सौभाग्य समझा और अपने गुरु का परित्याग करते हुए तीन पग भूमि दान स्वरूप दे दी।
बलि: बलि नामक दैत्य गुरु भक्‍त प्रतापी और वीर राजा था। देवता उसे नष्ट करने में असमर्थ थे। वह विष्णु भक्‍त था। एक बार राजा बलि ने देवताओं पर चढ़ाई करके इन्द्रलोक पर अधिकार कर लिया। उसके दान के चर्चे सर्वत्र होने लगे। तब विष्णु वामन अंगुल का वेश धारण करके राजा बलि से दान माँगने जा पहुँचे। दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य ने बलि को सचेत किया कि तेरे द्‌वार पर दान माँगने स्वयं विष्णु भगवान पधारे हैं। उन्हें दान मत दे बैठनापरन्तु राजा बलि उनकी बात नहीं माना। उसने इसे अपना सौभाग्य समझा कि भगवान उसके द्‌वार पर भिक्षा माँगने आए हैं। तब विष्णु ने बलि से तीन पग भूमि माँगी। राजा बलि ने संकल्प करके भूमि दान कर दी। विष्णु ने अपना विराट रूप धारण करके दो पगों में तीनों लोक नाप लिया और तीसरा पग राजा बलि के सिर पर रखकर उसे पाताल भेज दिया।


प्रह्लाद कौन था ? उसका संक्षिप्त परिचय दें।
प्रह्‌लाद: प्रह्‌लाद हिरण्यकशिपु नामक दैत्‍य का पुत्र था। प्रह्‌लाद विष्‍णु भक्‍त था जबकि उसका पिता विष्‍णु विरोधी। प्रह्‌लाद को उसके पिता ने विष्‍णु की भक्‍ति छुड़ाने के लिए अनेक प्रकार की यातनाएँ दीं परंतु प्रह्‌लाद ने अपने पिता की बात नहीं मानी। होलिका हिरण्यकशिपु की बहन थी जिसे न जलने का वरदान प्राप्‍त था। वह हिरण्यकशिपु के कहने पर प्रह्‌लाद को अपनी गोद में लेकर आग में बैठ गई। कहा जाता है कि होलिका जल गई लेकिन प्रह्‌लाद जीवित रहा। अंत में भगवान ने नृसिंह का रूप धारण कर हिरण्यकशिपु का वध कर दिया। 

घ) भरत से संबंधित कथा का वर्णन अपने शब्दों में करें।
भरत: भरत अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र थे उनकी माता का नाम कैकेई था। उन्होंने अपने पति दशरथ के वचन के अनुसार उनसे दो वरदान माँगे। पहला अपने पुत्र भरत के लिए राजगद्‍दी। दूसरा राम के लिए चौदह वर्ष का वनवास। राम के प्रति ऐसी भावना रखने के कारण भरत ने माँ का त्याग कर दिया। उन्होंने राजगद्‌दी का भी बहिष्‍कार कर दिया।
अन्तर्कथाएँ:
गीध: गीध अर्थात गिद्‌ध से कवि का तात्‍पर्य जटायु से है। जब रावण सीता का हरण करके आकाश मार्ग से लंका की ओर जा रहा था तो सीता की दुख भरी वाणी सुनकर जटायु ने उन्हें पहचान लिया और उन्हें छुड़ाने के लिए रावण से युद्‌ध करते हुए गंभीर रूप से घायल हो गया। सीता को खोजते हुए राम जब वहाँ पहुँचे तो उसने उन्हें रावण के विषय में सूचना देकर राम के चरणों में ही प्राण त्‍याग दिए।

सबरी: सबरी अर्थात शबरी एक वनवासी शबर जाति की स्त्री थी जिसको

 पूर्वाभास हो गया था कि राम उसी वन के रास्ते से जाएँगे जहाँ वह रहती थी।

 उनके स्वागत के लिए उसने चख-चख कर मीठे बेर जमा किए थे। राम ने

 उसका आतिथ्‍य स्वीकार किया और उसे परम गति प्रदान की। शबरी का 

वास्तविक नाम श्रमणा था । श्रमणा भील समुदाय की "शबरी " 

जाति  से सम्बंधित थी । संभवतः इसी कारण श्रमणा को शबरी नाम दिया 

गया था ।

पौराणिक संदर्भों के अनुसार श्रमणा एक कुलीन हृदय की प्रभु राम की एक 

अनन्य भक्‍त  थी लेकिन उसका विवाह एक दुराचारी और अत्याचारी व्यक्‍ति 

से हुआ था ।

प्रारम्भ में श्रमणा ने अपने पति के आचार-विचार बदलने की बहुत चेष्टा 

की लेकिन उसके पति के पशु संस्कार इतने प्रबल थे की श्रमणा को उसमें 

सफलता नहीं मिली । कालांतर में अपने पति के कुसंस्कारों  और अत्याचारों 

से तंग आकर श्रमणा ने ऋषि मातंग के आश्रम में शरण ली । आश्रम में श्रमणा 

श्रीराम का भजन  और ऋषियों की सेवा-सुश्रुषा करती हुई अपना समय 


व्यतीत करने लगी ।

विभीषण: विभीषण रावण का छोटा भाई था। वह राम भक्‍त था। उसने 

रावण को राम से क्षमा माँगकर उनकी शरण में जाने के लिए समझाने की चेष्‍टा की, किन्तु रावण ने उसका तिरस्कार किया। इसलिए वह लंका छोड़कर राम की शरण में आ गया। युद्‌ध में रावण को पराजित करने के बाद राम ने लंका का राज्य विभीषण को दे दिया।
प्रह्‌लाद: प्रह्‌लाद हिरण्यकशिपु नामक दैत्‍य का पुत्र था। प्रह्‌लाद विष्‍णु भक्‍त था जबकि उसका पिता विष्‍णु विरोधी। प्रह्‌लाद को उसके पिता ने विष्‍णु की भक्‍ति छुड़ाने के लिए अनेक प्रकार की यातनाएँ दीं परंतु प्रह्‌लाद ने अपने पिता की बात नहीं मानी। होलिका हिरण्यकशिपु की बहन थी जिसे न जलने का वरदान प्राप्‍त था। वह हिरण्यकशिपु के कहने पर प्रह्‌लाद को अपनी गोद में लेकर आग में बैठ गई। कहा जाता है कि होलिका जल गई लेकिन प्रह्‌लाद जीवित रहा। अंत में भगवान ने नृसिंह का रूप धारण कर हिरण्यकशिपु का वध कर दिया। 
भरत: भरत की माता का नाम कैकेई था। उन्होंने अपने पति दशरथ के वचन के अनुसार उनसे दो वरदान माँगे। पहला अपने पुत्र भरत के लिए राजगद्‍दी। दूसरा राम के लिए चौदह वर्ष का वनवास। राम के प्रति ऐसी भावना रखने के कारण भरत ने माँ का त्याग कर दिया। उन्होंने राजगद्‌दी का भी बहिष्‍कार कर दिया।
बलि: बलि नामक दैत्य गुरु भक्‍त प्रतापी और वीर राजा था। देवता उसे नष्ट करने में असमर्थ थे। वह विष्णु भक्‍त था। एक बार राजा बलि ने देवताओं पर चढ़ाई करके इन्द्रलोक पर अधिकार कर लिया। उसके दान के चर्चे सर्वत्र होने लगे। तब विष्णु वामन अंगुल का वेश धारण करके राजा बलि से दान माँगने जा पहुँचे। दैत्यों के गुरु शुक्राचार्य ने बलि को सचेत किया कि तेरे द्‌वार पर दान माँगने स्वयं विष्णु भगवान पधारे हैं। उन्हें दान मत दे बैठनापरन्तु राजा बलि उनकी बात नहीं माना। उसने इसे अपना सौभाग्य समझा कि भगवान उसके द्‌वार पर भिक्षा माँगने आए हैं। तब विष्णु ने बलि से तीन पग भूमि माँगी। राजा बलि ने संकल्प करके भूमि दान कर दी। विष्णु ने अपना विराट रूप धारण करके दो पगों में तीनों लोक नाप लिया और तीसरा पग राजा बलि के सिर पर रखकर उसे पाताल भेज दिया।
गोपियाँ:  ब्रज की गोपियाँ श्रीकृष्‍ण के प्रेम में रँगी हुई थीं। वे रात-दिन उनका नाम रटती थीं तथा उनकी रास लीला में सम्‍मिलित होने के लिए वे
अपने पतियों को भी छोड़ आईं थीं।



कठिन शब्द

     सरल अर्थ

औद्योगिक  -

     उद्योग से संबंधित

चकाचौंध   -

     तेज रोशनी या दिखाव

संवेदनशील  -

     भावनाओं को जल्दी समझने वाला

विक्षिप्तता  -

    पागलपन या मानसिक असंतुलन

नग्न      -

    बिना कपड़ों के, खुला हुआ

दिशाहीन  -

    जिसकी कोई दिशा न हो

भीड़     -

    बहुत सारे लोग एक साथ

खोया    -

    गुम हो गया, अपने में नहीं रहा

 

 

कहानीकार का परिचय:

लीलाधर शर्मा पर्वतीय का जन्म 1 जनवरी 1919 को अल्मोड़ा (उत्तर प्रदेश) के किसान परिवार में हुआ था। वे कांग्रेस के सक्रिय सदस्य थे और प्रेमचंद के उपन्यासों से प्रेरित होकर स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया। काशी विद्यापीठ से शास्त्री परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उन्होंने हिंदी समिति से जुड़कर महत्वपूर्ण कार्य किए। उनकी लेखन शैली सरल और सुबोध है, और उनकी रचनाएँ कथा और रिपोर्ताज शैली में लिखी गई हैं। उनकी प्रमुख रचनाएँ 'संयुक्त राष्ट्र-संघ' और 'स्वतंत्रता की पूर्व संध्या' हैं।

 

 कहानी का उद्देश्य:

कहानी का उद्देश्य बढ़ती जनसंख्या और पर्यावरण प्रदूषण के कारण उत्पन्न होने वाली समस्याओं पर ध्यान आकर्षित करना है। यदि मनुष्य इस पर नियंत्रण नहीं लगाएगा, तो वह दिन दूर नहीं जब हम सब इस बढ़ती भीड़ और उससे उत्पन्न समस्याओं में पूरी तरह से खो जाएँगे। यह कहानी हमें परिवार के योजनाबद्ध विकास की आवश्यकता और समाज की खुशहाली के लिए सोचने की प्रेरणा देती है।

 

1. लीलाधर शर्मा पर्वतीय का जन्म कहाँ हुआ था?

   (a) दिल्ली

   (b) अल्मोड़ा

   (c) वाराणसी

   (d) लखनऊ

Correct Answer : (b) अल्मोड़ा

 

2. लीलाधर शर्मा पर्वतीय के कौन से दो प्रमुख रचनाएँ हैं?

   (a) संग्राम और आत्मकथा

   (b) संयुक्त राष्ट्र-संघ और स्वतंत्रता की पूर्व संध्या

   (c) आखिरी संवाद और जीवन यात्रा

   (d) मुक्ति और नया युग

Correct Answer : (b) संयुक्त राष्ट्र-संघ और स्वतंत्रता की पूर्व संध्या

 

3. भीड़ में खोया आदमी कहानी में मुख्य समस्या क्या है?

   (a) गरीबी

   (b) बेरोजगारी और बढ़ती जनसंख्या

   (c) राजनीति

   (d) शिक्षा

Correct Answer : (b) बेरोजगारी और बढ़ती जनसंख्या

 

4. कहानी में लेखक के मित्र बाबू श्यामलाकांत किस प्रकार के व्यक्ति हैं?

   (a) आलसी और लापरवाह

   (b) परिश्रमीईमानदार और सीधे-सादे

   (c) अभिमानी

   (d) केवल व्यापारी

Correct Answer : (b) परिश्रमीईमानदार और सीधे-सादे

 

5. कहानी में लेखक को यात्रा के दौरान क्या समस्या पेश आती है?

   (a) यात्री का सामान खो जाना

   (b) ट्रेन में सीट की कमी और अत्यधिक भीड़

   (c) गाड़ी का समय बदलना

   (d) रास्ते में दुर्घटना

Correct Answer : (b) ट्रेन में सीट की कमी और अत्यधिक भीड़

 

6. श्यामलाकांत के बड़े बेटे दीनानाथ को कितने वर्षों से नौकरी की तलाश थी?

   (a) 1 वर्ष

   (b) 2 वर्ष

   (c) 3 वर्ष

   (d) 5 वर्ष

Correct Answer : (b) 2 वर्ष

 

7. कहानी में लेखक ने किस शहर के बेरोजगारी की स्थिति को बताया है?

   (a) मुंबई

   (b) दिल्ली

   (c) लखनऊ

   (d) छोटा शहर

Correct Answer : (d) छोटा शहर

 

8. श्यामलाकांत के घर में लेखक को क्या देखने को मिलता है?

   (a) साफ-सुथरा घर

   (b) बच्चों की भीड़ और सामान से भरा हुआ घर

   (c) सुखी परिवार

   (d) बहुत सा धन

Correct Answer : (b) बच्चों की भीड़ और सामान से भरा हुआ घर

 

9. लेखक के अनुसार श्यामलाकांत की पत्नी की हालत कैसी थी?

   (a) स्वस्थ और खुश

   (b) दुखी और कमजोर

   (c) बीमारी से परेशान

   (d) समृद्ध

Correct Answer : (b) दुखी और कमजोर

 

10. कहानी में श्यामलाकांत की पत्नी ने क्या बताया कि उन्हें डॉक्टर के पास क्यों नहीं जा पा रहे थे?

   (a) डॉक्टर बहुत महंगे हैं

   (b) डॉक्टर की फीस बढ़ गई है

   (c) डॉक्टर के पास बहुत भीड़ है

   (d) डॉक्टर उपलब्ध नहीं हैं

Correct Answer : (c) डॉक्टर के पास बहुत भीड़ है

 

11. श्यामलाकांत के छोटे बेटे सुमंत को किस कारण परेशानियों का सामना करना पड़ा?

   (a) पढ़ाई में कमी

   (b) रोजगार की कमी

   (c) राशन की दुकान पर अत्यधिक भीड़

   (d) घर में तनाव

Correct Answer : (c) राशन की दुकान पर अत्यधिक भीड़

 

12. लेखक का यह सवाल था कि हम किसके लिए जिम्मेदार हैं?

   (a) बेरोजगारी

   (b) बढ़ती जनसंख्या और पर्यावरण प्रदूषण

   (c) नदियों की सफाई

   (d) राजनीतिक संकट

Correct Answer : (b) बढ़ती जनसंख्या और पर्यावरण प्रदूषण

 

13. कहानी में लेखक का मुख्य विचार क्या था?

   (a) केवल शिक्षा की महत्ता

   (b) देश की बढ़ती जनसंख्या और उसकी समस्याएँ

   (c) सामाजिक संरचना

   (d) धर्म और समाज

Correct Answer : (b) देश की बढ़ती जनसंख्या और उसकी समस्याएँ

 

14. लख के अनुसार बढ़ती जनसंख्या के कारण क्या समस्याएँ उत्पन्न होती हैं?

   (a) राजनीतिक अस्थिरता

   (b) शिक्षा का संकट

   (c) भीड़बेरोजगारीऔर दुर्घटना

   (d) धन की कमी

Correct Answer : (c) भीड़बेरोजगारीऔर दुर्घटना

 

15. कहानी में लेखक किस प्रकार के परिवर्तनों के बारे में सोचते हैं?

   (a) केवल आर्थिक परिवर्तन

   (b) केवल सामाजिक परिवर्तन

   (c) पर्यावरणीय और जनसंख्या वृद्धि के कारण उत्पन्न समस्याएँ

   (d) राजनीतिक परिवर्तन

Correct Answer : (c) पर्यावरणीय और जनसंख्या वृद्धि के कारण उत्पन्न समस्याएँ

 

16. कहानी के अंत में लेखक ने किस विषय पर चिंता जताई?

   (a) बेरोजगारी

   (b) बढ़ती जनसंख्या और समस्याओं के समाधान की आवश्यकता

   (c) राजनीति

   (d) शिक्षा

Correct Answer : (b) बढ़ती जनसंख्या और समस्याओं के समाधान की आवश्यकता

 

17. कहानी में लेखक ने किसका उदाहरण दिया ताकि हमें परिवार के अच्छे प्रबंधन पर विचार करना चाहिए?

   (a) श्यामलाकांत का अनियोजित परिवार

   (b) उनके अपने परिवार का उदाहरण

   (c) एक दूसरे दोस्त का उदाहरण

   (d) समाज का उदाहरण

Correct Answer : (a) श्यामलाकांत का अनियोजित परिवार

 

18. कहानी में लेखक के क्या विचार थे कि भविष्य में क्या हो सकता है?

   (a) देश का विकास होगा

   (b) बढ़ती जनसंख्या की समस्याएँ बढ़ सकती हैं

   (c) बेरोजगारी खत्म हो जाएगी

   (d) स्वास्थ्य सेवाएँ बढ़ेंगी

Correct Answer : (b) बढ़ती जनसंख्या की समस्याएँ बढ़ सकती हैं

 

19. कहानी का संदेश क्या है?

   (a) शिक्षा की आवश्यकता

   (b) बेरोजगारी पर ध्यान देना

   (c) बढ़ती जनसंख्या और पर्यावरणीय समस्याओं का समाधान

   (d) राजनीतिक मुद्दों पर विचार करना

Correct Answer : (c) बढ़ती जनसंख्या और पर्यावरणीय समस्याओं का समाधान

 

(i) उम्र में मुझ से छोटे हैं, पर अपने घर में बच्चों की फौज खड़ी कर ली है।'

() उम्र में कौन, किससे छोटा है? दोनों के नाम बताएँ और आपस में दोनों का क्या संबंध है ?

उत्तर- उम्र में लेखक के मित्र बाबू श्यामलाकांत लेखक से छोटे हैं। लेखक का नाम लीलाधर शर्मा पर्वतीय हैं और उनके मित्र का नाम बाबू श्यामलाकांत है। दोनो घनिष्ठ (गहरे) मित्र हैं।


() किसने घर में बच्चों की फौज खड़ी कर ली है? उसकी चरित्रगत विशेषताएँ लिखें।

उत्तर- लेखक के मित्र बाबू श्यामलाकांत ने अपने घर में बच्चों की एक फौज खड़ी कर ली है। वे बहुत ही सीधे-सादे, परिश्रमी (मेहनती) और ईमानदार व्यक्ति है, किंतु निजी जिंदगी में बड़े लापरवाह हैं। उनका परिवार बड़ा परिवार हैं। अपने अनियोजित परिवार के कारण उन्हें अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।


() बच्चों की फौज से क्या तात्पर्य है ? उन्हें वह परिवार 'बच्चों की फौज' क्यों लगता है ?

उत्तर- बच्चों की फौज का अर्थ है कि बहुत बड़ा और अनियोजित परिवार । श्यामलाकांत की बड़ी लड़की की शादी है। उनका एक बेटा पढाई पूरी करके नौकरी की तलाश में भटक रहा है । एक लड़का घर के कामकाज में मदद करता है। उनकी तीन छोटी लड़कियाँ और दो छोटे लड़के है। इसलिए लेखक को श्यामलाकांत का परिवार बच्चों की फौज जैसा प्रतीत हुआ।


() क्या उसका परिवार एक सुखी परिवार है ? कैसे ?

उत्तर- नहीं, उसका परिवार एक सुखी परिवार नहीं है क्योंकि उसकी आमदनी के साधन सीमित हैं। इतने बड़े परिवार में रहन-सहन व खान-पान की उचित व्यवस्था नहीं हैं। बड़े परिवार में आए दिन कोई न कोई बीमार रहता है, जिसका इलाज ठीक से नहीं' हो पाता हैं। कोई न कोई परि परेशानी उन्हें घेरे रहती हैं।


(ii) 'भाई, नाम तो तुम्हारा लिख लेता हूँ पर जल्दी नौकरी पाने की कोई आशा मत करना।'

() यह पंक्ति कौन, किससे कह रहा है और क्यों कह रहा है ?

उत्तर- यह पंक्ति रोजगार दफ़्तर का अधिकारी बाबू श्यामलाकांत के बड़े लड़के दीनानाथ से कह रहा है जब वह दफ्तर में अपना नाम लिखाने के लिए गया था। रजिस्टर में नाम लिखने के बाद अफ़सर ने साथ में यह भी कह दिया कि जल्दी नौकरी पाने को आशा मत रखना क्योंकि उसकी योग्यता के हज़ारों' लोग पहले से ही कार्यालय में अपना नाम दर्ज करा चुके हैं।


() उसे नौकरी खोजते कितने वर्ष हो गए ? उसे नौकरी क्यों नहीं मिल रही ?

उत्तर- दीनानाथ को नौकरी खोजते हुए दो वर्ष हो गए थे। उसे नौकरी इसलिए नहीं मिल पा रही थी क्योंकि उसकी योगता के हज़ारों लोग पहले से ही रोजगार कार्यालय में अपना नाम दर्ज करा चुके हैं। पहले उन्हें नौकरी मिलेगी, फिर उसकी बारी आएँगी।


() इस पंक्ति में लेखक ने देश की किस समस्या की ओर ध्यान आकर्षित किया है और कैसे ?

उत्तर- इस पंक्ति में लेखक ने तेजी से बढ़ रही जनसंख्या के कारण बेरोजगारी की समस्या की ओर ध्यान आकर्षित किया हैं। देश की तेज गति से बढ़ती हुई जनसंख्या ने देश के हर क्षेत्र में भीड़, अनुशासनहीनता, अव्यवस्था, कुपोषण आदि परेशानियों को जन्म दिया है। इसके लिए हमे शीघ्र ही बढती हुई जनसंख्य पर रोक लगानी होगी ।


() इस समस्या के समाधान के लिए कोई दो बिंदु लिखें।

उत्तर- अगर देश को परेशानियों से बचाना है तो जनसंख्या को बढ़ने से रोकना होगा अत: इस समस्या के समाधान के लिए दो बिंदु निम्नलिखित है-

1. जनसंख्या को बेहताशा बढ़ने से रोकना होगा

2. परिवार नियोजन की शिक्षा प्रत्येक नागरिक को दी जाए।


(iii) 'क्या तुम्हारे पास यही दो कमरे हैं ?'

() यह पंक्ति किसने, किससे कही और क्यों कही ?

उत्तर- यह पंक्ति लेखक ने अपने मित्र श्यामलाकांत से कहाँ जब लेखक अपने मित्र की बड़ी लड़की के विवाह में सम्मिलित होने के लिए उनके घर गए तो उन्होंने देखा कि मित्र के छोटे-से दो कमरों वाले मकान में सामान भरा पड़ा है और बच्चों की भीड़ है। वहाँ लेखक का दम घुटने लगा है इसलिए लेखक ने अपने मित्र से यह बात कहीं।


() इस प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कौन-सी परेशानी बताई ?

उत्तर- श्यामलाकांत ने बताया कि वह दो वर्ष से मकान की तलाश में भटक रहे है। शहर में चक्कर काट-काटकर उनके जुते घिस गए थे। वर्तमान में शहर के बढ़ जाने के बाद भी मकानों की बहुत कमी है। तब बड़ी मुश्किल से उन्हें मकान के नाम पर सिर छिपाने के लिए गली के अंदर एक छत मिली हैं।


() उन दो कमरों में कितने लोग रहते हैं ? उनका विवरण दें।

उत्तर- उन दो कमरों में लेखक के मित्र बाबू श्यामलाकांत, उनकी पत्नी, श्यामलाकांत का बड़ा लड़का दीनानाथ, श्यामलाकांत की बड़ी बेटी जिसका विवाह होने वाला है, एक अन्य बेटा सुमंत, तीन छोटी लडकियाँ और दो छोटे लड़के। इस प्रकार दो कमरों में कुल मिलाकर दस लोग रहते हैं।


() इस पंक्ति से किस समस्या की ओर संकेत किया गया है ?

उत्तर- इस पंक्ति में लेखक ने बढ़ती जनसंख्या के कारण आवास की समस्या की और संकेत किया है। देश की जनसंख्या बहुत तेजी से और लगातार बढ़ते जाने के कारण शहर दूर-दूर तक फैलते जा रहे हैं। नई कॉलोनियाँ बन गई है, परंतु फिर भी लोग मकानों लिए भटक रहे हैं।


(iv) 'कब से अस्वस्थ हैं? डॉक्टर को दिखाकर इलाज नहीं करा रही हैं क्या ?'

() यह पंक्ति किसने, किससे कही और क्यों कही ?

उत्तर- यह पंक्ति लेखक ने श्यामलाकांत की पत्नी से कही जब श्यामलाकांत की पत्नी जलपान लेकर आई। तब उनके पीछे तीन छोटी लड़कियाँ और पटला पकडे दो छोटे लड़के थे। लेखक उनकी दुर्बल (कमज़ोर) काया (शरीर) और पीला चेहरा देखकर स्तब्ध रह गया इसलिए उसने यह बात श्यामलाकांत जी की पत्नी से कही।


() इस प्रश्न के उत्तर में उन्होंने किस परेशानी का उल्लेख किया ?

उत्तर- इस प्रश्न के उत्तर में श्यामलाकांत जी की पत्नी ने बताया कि इतने बड़े परिवार में रोज़ कोई न कोई बीमार रहता ही है। उन्होंने बताया कि वे डॉक्टर को दिखाने गई थी, परन्तु आजकल अस्पतालों में इतनी भीड़ होती है कि डॉक्टर भी मरीजों को ठीक से देख ही नहीं पाते।


() व्यक्ति बीमार किन कारणों से होता है? कोई दो कारण बताएँ। इसके लिए कौन जिम्मेदार है ?

उत्तर- व्यक्ति बीमार कुपोषण से तथा गंदे और संकीर्ण मकानों के दूषित वातावरण के कारण होता हैं। इसके लिए हमारे देश की बढ़ती जनसंख्या मुख्य रूप से जिम्मेवार है। पौष्टिक भोजन और स्वच्छ वातावरण न मिलने के कारण व्यक्ति बीमार होता है।


() बीमारियों से बचने के कोई दो उपाय बताएँ।

उत्तर- यदि सीमित परिवार हो, स्वच्छ जलवायु हो और खाने के लिए भरपूर पौष्टिक भोजन सामग्री हो, तो बीमारियों से बचा जा सकता है। हमें गंदगी और दूषित वातावरण से बचना चाहिए तथा प्रतिदिन व्यायाम करना चाहिए।


(v) 'मुझे अपने मित्र श्यामलाकांत को अब इस भीड़ का रहस्य बताने की आवश्यकता नहीं है।'

() 'मुझे' शब्द किसके लिए प्रयुक्त हुआ है ? उन्हें अपने मित्र को किस भीड़ का रहस्य बताने की आवश्यकता नहीं है और क्यों ?

उत्तर- ‘मुझे' शब्द लेखक लीलाधर शर्माजी के लिए प्रयुक्त हुआ है। उन्हें अपने मित्र को भीड़ का रहस्य बताने की आवश्यकता नहीं हैं क्योंकि उन्होंने स्वयं अपने घर में बच्चों को फ़ौज खड़ी कर ली है। बड़े परिवार के कारण उन्हें कष्टों का सामना करना पड़ रहा है स्वयं इस विपदा को झेल रहे हैं।


() श्यामलाकांत को अपने घर में भीड़ के कारण किन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है ?

उत्तर- अपने अनियोजित परिवार के कारण श्यामलाकांत को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। उनके आय के साधन कम होने के कारण बच्चों के पालन-पोषण, रहन-सहन, शिक्षा और स्वास्थ्य की पूरी सुव्यवस्था नहीं हो पाती। परिणामस्वरूप उसके परिवार में कोइ न कोई बीमार रहता है और धन की कमी के कारण ठीक प्रकार से इलाजा भी नहीं हो पाता ।


() 'भीड़' शब्द से देश की किस समस्या की ओर संकेत किया गया है ? इस समस्या के कारण किन मुश्किलों का सामना करना पड़ता है ?

उत्तर- ‘भीड़शब्द से देश की बढ़ती जनसंख्य की ओर संकेत हैं। देश में जनसंख्या की वृद्धि होने से देश की अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ता हैं। अन्न उत्पादन जनसंख्या की अपेक्षा कम होता है। इससे महँगाई और बेरोजगारी बढ़ती है। रोजगार सीमित लोगों को ही मिलपाता है। गरीबी बढ़ती हैं। यदि समय रहते इनसे छुटकारा न पाया गया, तो मनुष्य इन समस्याओं में पूरी तरह खो जाऐगा।


() 'भीड़' से पैदा होने वाली समस्याओं से किस प्रकार छुटकारा मिल सकता है ?

उत्तर- जनसंख्या को कम करने के लिए परिवार को सीमित रखना सबसे महत्वपूर्ण कदम हैं। बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण बीमारी कुपोषण, अन्यवस्था, अनुशासनहीनता आदि समस्याओं का सामना करना पड़ता है। अगर देश की इन परेशानियों से बचना है तो जनसंख्या को बढ़ने से रोकना होगा। परिवार नियोजन की शिक्षा प्रत्येक नागरिक को दी जाए। महिलाओं की स्थिति में सुधार होना चाहिए।



1. लीलाधर शर्मा पर्वतीय कौन थे?

उत्तर- लीलाधर शर्मा पर्वतीय हिंदी साहित्य के लेखक थे। उनका जन्म 1 जनवरी 1919 को अल्मोड़ा में एक किसान परिवार में हुआ। वे कांग्रेस के सक्रिय सदस्य थे और स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हुए। काशी विद्यापीठ से शास्त्री परीक्षा पास की और हिंदी समिति के लिए काम किया। उनकी लेखन शैली सरल और सुबोध थी। उनकी प्रमुख रचनाएँ 'संयुक्त राष्ट्र-संघ' और 'स्वतंत्रता की पूर्व संध्या' हैं।


2. 'भीड़ में खोया आदमी' कहानी का सार क्या है?'

उत्तर- भीड़ में खोया आदमी' कहानी बढ़ती जनसंख्या की समस्याओं को दर्शाती है। लेखक अपने मित्र श्यामलाकांत के घर जाते हैं और रास्ते में ट्रेन व स्टेशन पर भारी भीड़ का सामना करते हैं। श्यामलाकांत का परिवार अनियोजित है। उनका बेटा दीनानाथ बेरोजगार है। घर में बच्चों और सामान की भीड़ से लेखक परेशान हो जाते हैं। कहानी बताती है कि जनसंख्या वृद्धि से बेरोजगारी, भीड़ और प्रदूषण बढ़ता है, जिससे व्यक्ति भीड़ में खो जाता है।


3. कहानी का मुख्य पात्र कौन है?

उत्तर- कहानी का मुख्य पात्र लेखक स्वयं हैं। वे श्यामलाकांत के घर जाते हैं और भीड़ से जूझते हैं। वे संवेदनशील और चिंतनशील हैं। ट्रेन, स्टेशन और श्यामलाकांत के घर की भीड़ देखकर वे जनसंख्या वृद्धि और उससे होने वाली समस्याओं पर विचार करते हैं। उनका चरित्र समाज की समस्याओं को समझने वाले व्यक्ति का प्रतीक है।


4. श्यामलाकांत का चरित्र कैसा है?

उत्तर- श्यामलाकांत एक सीधा-सादा, ईमानदार और परिश्रमी व्यक्ति है। उनका परिवार बड़ा और अनियोजित है, जिससे घर में अव्यवस्था रहती है। वे अपने बेटे दीनानाथ की बेरोजगारी से चिंतित हैं। उनका चरित्र एक सामान्य मध्यमवर्गीय व्यक्ति को दर्शाता है, जो जनसंख्या वृद्धि और सामाजिक समस्याओं से प्रभावित है।


5. कहानी में जनसंख्या वृद्धि की क्या समस्याएँ दिखाई गई हैं?

उत्तर- कहानी में जनसंख्या वृद्धि से बेरोजगारी, भीड़ और प्रदूषण की समस्याएँ दिखाई गई हैं। ट्रेन और स्टेशन पर अत्यधिक भीड़, श्यामलाकांत के बेटे को नौकरी न मिलना, अस्पतालों में लंबी कतारें और दर्जी का काम पूरा न कर पाना, ये सभी समस्याएँ जनसंख्या वृद्धि के कारण हैं।


6. लेखक को श्यामलाकांत के घर में कैसा अनुभव हुआ?

उत्तर- लेखक को श्यामलाकांत के घर में दम घुटने का अनुभव हुआ। घर में बच्चों और सामान की भीड़ थी। श्यामलाकांत की पत्नी ने बताया कि डॉक्टर के पास जाना और कपड़े सिलवाना भी मुश्किल है क्योंकि हर जगह भीड़ होती है। यह सब देखकर लेखक जनसंख्या की समस्या पर चिंतित हो गए।


7. कहानी का उद्देश्य क्या है?

उत्तर- कहानी का उद्देश्य बढ़ती जनसंख्या और पर्यावरण प्रदूषण की समस्याओं पर ध्यान दिलाना है। यह दर्शाती है कि अनियंत्रित जनसंख्या से बेरोजगारी, भीड़ और अव्यवस्था बढ़ती है। कहानी हमें परिवार नियोजन और समाज की भलाई के लिए जिम्मेदारी लेने की प्रेरणा देती है।


8. दीनानाथ की क्या समस्या थी?

उत्तर- दीनानाथ, श्यामलाकांत का बेटा, दो साल से बेरोजगार है। वह नौकरी की तलाश में भटक रहा है, लेकिन उसे रोजगार नहीं मिल रहा। उसकी समस्या छोटे शहरों में बेरोजगारी की स्थिति को दर्शाती है और जनसंख्या वृद्धि के दुष्परिणामों को उजागर करती है।


9. कहानी का संदेश क्या है?

उत्तर- कहानी का संदेश है कि बढ़ती जनसंख्या समाज के लिए खतरा है। यह बेरोजगारी, भीड़ और प्रदूषण को बढ़ाती है, जिससे व्यक्ति भीड़ में खो जाता है। हमें जनसंख्या नियंत्रण और परिवार नियोजन पर ध्यान देना चाहिए, वरना भविष्य में समस्याएँ और गंभीर हो जाएँगी।


10. लेखक ने भविष्य के लिए क्या चिंता व्यक्त की?

उत्तर- लेखक ने चिंता जताई कि यदि जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण नहीं हुआ, तो एक दिन हम सब भीड़ और उससे होने वाली समस्याओं में पूरी तरह खो जाएँगे। रेलवे स्टेशन, बसें, अस्पताल और अन्य जगहों पर भीड़ बढ़ेगी, जिससे जीवन और कठिन हो जाएगा।

 


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