नया रास्ता

नया रास्ता

Image result for सुषमा अग्रवाल की नया रास्ता उपन्यासपृष्टभूमि :

“नया रास्ता” उपन्यास ‘सुषमा अग्रवाल’ द्वारा लिखा गया एक प्रसिद्ध उपन्यास है।

इस उपन्यास में दहेज प्रथा जैसी कुरीतियों पर चोट की गयी है और इस प्रथा से प्रभावित युवतियों को इसके कुप्रभावों से निकल आने के लिये एक प्रेरणा दी गयी है।

नया रास्ता सारांश : उपन्यास की मुख्य पात्रा मीनू एक साँवले रंग की मध्यवर्गीय परिवार की युवती है, जो उच्च शिक्षित और अन्य सभी कार्यों कुशल युवती है। परन्तु अपने साँवले रंग के कारण उसमें एक हीन भावना सी रहती है। उसका विवाह अमित नाम के लड़के से तय होता है परंतु अधिक दहेज न दे पाने के कारण लड़के वाले मना कर देते हैं।

ऐसी स्थिति में मीनू अपने लिये एक नया रास्ता चुनती है और वह विवाह न करने का फैसला करती है तथा वकालत की परीक्षा पास करती है और एक अच्छी वकील बन जाती है। जीवन के एक मोड़ पर वही लड़का उसे दोबारा फिर मिलता है, जिसके घरवालों ने मीनू के रिश्ते के लिये मना कर दिया था। उन दोनों में गिले-शिकवे दूर हो जाते हैं और दोनों विवाह करने का फैसला करते हैं।

यह उपन्यास हमें यह संदेश देता है कि महिला कोमल है कमज़ोर नहीं। मीनू के साथ जो बुरा घटित हुआ उस विषम परिस्थिति में भी वो टूटती नहीं है बल्कि जीवन में एक नया रास्ता बनाने का फैसला करती है और स्वयं की एक पहचान बनाती है। आत्मनिर्भर बनती है। सभी अन्य युवतियों को एक संदेश देती है कि स्त्री को अबला नहीं सबला बनना है। यह उपन्यास स्त्रियों के लिये एक नवचेतना और नवप्रेरणा प्रदान करता है।


परिचय :

  • “नया रास्ता” उपन्यास ‘सुषमा अग्रवाल’ द्वारा लिखा गया एक प्रसिद्ध उपन्यास है।
  • इस उपन्यास में दहेज प्रथा जैसी कुरीतियों पर चोट की गयी है ।
  • उनकी भाषा सीधी-सरल खड़ी बोली हिन्दी है।
  • अपने उपन्यास में उन्होंने भारतीय मध्यवर्गीय  परिवार का चित्र भी प्रस्तुत किया है।
  • यह उपन्यास स्त्रियों के लिये एक नवचेतना और नवप्रेरणा प्रदान करता है।                     





                                       पात्र - परिचय


दयाराम जी                 -     मीनू के पिता, परिवार के मुखिया
                                                            ( मीरापुर निवासी )
दयाराम जी की पत्नी
 मीनू                             -  दयाराम जी की बड़ी बेटीग
आशा                           - मीनू की छोटी बहन
 रोहित                          -  दयाराम जी का बेटा
आलोक                      - आशा का पति
  राजो                         - दयाराम जी के घर की नौकरानी की बेटी
मनोहर                       - राजो का चचेरा भाई
माया                          - मीनू की सहेली ( मेरठ कॉलेज )
 नीलिमा                     - मीनू की सहेली ( मीरापुर )
नीलिमा की माँ
सुरेंद्र                         - नीलिमा का पति 
अनूप                        - नीलिमा-सुरेंद्र का पुत्र
अशोक                     - नीलिमा का भाई
मायाराम जी             - परिवार का मुखिया ( मेरठ )
मायाराम जी की पत्‍नी
अमित                       - मायाराम जी का बेटा
मधु                           - मायाराम जी की बेटी
दीपक                       -  अमित की माँ का भतीजा
धनीमल जी               - परिवार के मुखिया ( मेरठ )
सरिता                       - धनीमल जी की छोटी बेटी

                                     अंक - १
शब्दार्थ :-

१. यौवन                    →        युवास्था
२. दहलीज़                 →       देहरी, चौखट
३. नवयोवना              →       अभी-अभी युवास्था में
                                              कदम रखा हो।
४. विस्मित                  →        हैरान
५. दर्पण                      →        आइना
६.आँखें छलछलाना    →        आँसू भर आना
७. मुद्रा                        →        भाव - भंगिमा
८. नाक -नक्‍श             →        चेहरे की बनावट
९. निहार                     →         देख
१०. लालिमा                →          शर्म से लाल
११. कद                       →         लंबाई
१२. साँवली                 →          श्याम वर्ण
१३. स्मृति                    →          याद
१४. आभास                →           पता होना
१५. प्रसन्‍नचित्त            →         खुश मन से

सारांश :-


* नीलिमा का आइने में स्वयं को निहारना तथा मीनू का नीलिमा से मिलने आना।
* मीनू का नीलिमा को खुश होकर बताना कि मेरठ वालो ने उसकी तस्वीर विवाह के लिए पसंद कर ली है और अब वे उसे देखने आएँगे। 
* मीनू  का पिछले अनुभवों को यादकर दुखी और मायूस हो जाना क्योंकि इससे पहले भी लड़केवालों ने उसके साँवले रंग और छोटे कद की वज़ह से उसे अस्वीकार कर दिया था।
* नीलिमा उसका ध्यान बँटाने के लिए अपनी कुछ तस्वीरें उसे दिखाती है जिसे देखकर मीनू नीलिमा की सुंदरता की तारीफ़ भी करती है।
* मीनू का भाई रोहित M.A के परिणामफल वाला अखबार लेकर आता है, जिससे पता चलता है कि मीनू प्रथम श्रेणी में और नीलिमा द्‍वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण हुई हैं।
* मीनू का खुश होकर घर चले जाना और नीलिमा की इन पंक्तियों का गुनगुनाना:-
" कभी सुख है, कभी दुख है । अभी क्या था अभी क्या है ।"  
अंक - २
शब्दार्थ :

हैसियत - सामर्थ्य
सुसज्जित - बहुत अच्छे से सजाया हुआ
व्यंजन - पकवान
बेताबी - व्याकुल
आथित्य - मेहमाननवाज़ी
अन्‍तर्द्‍वंद्‍व - हृदय में दुविधा की स्थिति
बचकानी - बच्चों जैसी
नादान - नासमझ
संजोग - विवाह संबंध

सारांश :-

* मीनू के घर पर मेरठ वालों के लिए पूरी व्यवस्था करना, तरह-तरह के पकवानों और मिठाइयों की व्यवस्था करना।
* मेरठ से अमित का अपने माता-पिता एवं अपनी बहन मधु के साथ मीनू के घर आना।
* मीनू का गुलाबी साड़ी में आना, अमित का मीनू से उसकी पढ़ाई के बारे में तथा संयुक्त परिवार के संबंध में उसके विचार पूछना।
* मीनू की बहन आशा का कमरे में प्रवेश कर सभी से हँस-हँस कर बातें करने से अमित के माता- पिता का उसकी ओर आकर्षित होना क्योंकि वह मीनू से दिखने में अधिक सुंदर थी।
* मीनू की माँ को इस बात से चिंता होती है और वे आशा को दूसरे कमरे में भेज देती हैं।
* अमित के पिता मायाराम जी अपना जवाब पत्र में देने का कहकर विदा लेते हैं।
* अमित के परिवारवालों के जाने के बाद दयाराम और उनकी पत्नी मीनू के रिश्ते की मंजूरी की लिए
चिंतित थे।
* मीनू आशा के पास आना, आशा का मीनू की प्रशंसा करना तथा मीनू का यह कहना कि, देखो क्या होता है ?

अंक - ३ 

शब्दार्थ :

वातावरण - परिस्थिति
युक्ति - दलील
क्रूर - निर्दयी
उकसाना - उत्तेजित करना
मनः स्थिति - मन की दशा
विकल - व्याकुल

सारांश :-

अमित के परिवार वालों का घर पहुँचकर अपने घर
   पर सेठ धनीमल जी से मिलना।
 धनीमल जी का मायाराम को अपनी बड़ी बेटी
    सरिता के लिए अमित का हाथ माँगना एवं पाँच
    लाख का लालच देना
मायाराम जी के साफ़ मना करने पर धनीमल जी
    का उन्हें और अधिक लालच देना जिस कारण 
    अमित की माता जी का मन भ्रमित हो गया
अमित की माँ का धन के लोभ में पड़कर अपने
    निर्णय के आगे सभी को नतमस्तक करवाना
मीनू के परिवार को मना करने के लिए माँ का एक
   क्रूर योजना बनाना कि उन्हें मीनू की जगह आशा
   से अमित का रिश्ता जोड़ना है।
* मायाराम जी का इस क्रूर योजना में सम्मिलित न
   होने की इच्छा परंतु पत्‍नी के तर्क और हठ के आगे
   हार मान लेना ।

संदर्भों पर आधारित प्रश्‍नोत्तर :

१.  माँ को लगा, शायद अमित सरिता के रिश्‍ते को 
     तैयार नहीं है। इसलिए वह बोलीं, " बेटे व्यवहार
     का तो किसी का भी पता नहीं है। न तो सरिता
     के बारे में ही कुछ कहा जा सकता है और न ही
     मीनू के बारे में। व्यवहार का तो साथ रहने में ही
     पता चलता है। "
क) अमित की माँ को कैसे आभास हुआ कि अमित
      सरिता के रिश्‍ते को तैयार नहीं है ?
    : अमित की माँ को अमित के उनसे पूछे गए प्रश्‍न
       से आभास हुआ कि, वह सरिता के रिश्ते को
       तैयार नहीं है। जब माँ ने मीनू की तुलना में
      सरिता को अधिक सुंदर बताया तब अमित ने माँ
      से प्रश्‍न किया था कि क्या बड़े घर की लड़की
      उनके साथ रह सकेगी और क्या वह एक
     मध्यवर्गीय परिवार के वातावरण में घुल-मिल
     सकेगी ?

ख) क्या मायाराम जी को सरिता का रिश्ता स्वीकार
       था ? यदि नहीं तो क्यों ?
       जी नहीं, मायाराम जी को सरिता का रिश्ता
        स्वीकार नहीं था क्योंकि वे नहीं चाहते थे कि
        एक बड़े घर की लड़की लेकर अपने लड़के
        को बेच दें और उसके पाँव पर बेड़ियाँ डाल दें।
        उन्हें मीनू पसंद थी जो साधारण परिवार की होते
        भी सर्वगुण संपन्‍न थी।

ग) अमित की माँ की योजना को  ’ क्रूर योजना ’ की
       संज्ञा क्यों दी गई है ?
       : अमित की माँ की योजना को " क्रूर योजना "
        की संज्ञा दी गई है क्योंकि धनीमल की बेटी से
        रिश्‍ता जोड़ने के लिए उन्होंने मीनू के रिश्‍ते को
        सीधे अस्वीकार नहीं किया वरन् दयाराम जी
       को पत्र में यह लिखकर भेजने का निर्णय किया
      कि, उन्हें उनकी बड़ी बेटी से नहीं बल्कि उनकी
      छोटी बेटी से रीश्ता करना है। अमित की माँ यह
     भलि - भाँति जानती थीं कि, वे लोग कभी भी बड़ी
      बेटी को रखकर अपनी छोटी बेटी का विवाह
     नहीं करेंगे। 
   
घ)  मायाराम जी की चारित्रिक विशेषताओं का
     उल्लेख कीजिए।
     : मायाराम जी एक सज्जन पुरुष थे। वे एक दहेज
      - विरोधी इंसान थे। उन्होंने धनीमल सेठ की बेटी
       का रिश्‍ता ठुकरा दिया था जबकि सेठ ने उन्हें 
       पाँच लाख देने का वादा किया था। मायाराम जी
       रूप की तुलना में गुणों को अधिक महत्तव देते
       थे।यही कारण है कि सरिता की तुलना में उन्हें
       मीनू अधिक पसंद थी। मायाराम जी बड़े ही
       संवेदनशील थे क्योंकि जब उनकी पत्‍नी ने
      दयाराम जी को मना करने के लिए क्रूर योजना
      बनाई तो मायाराम ने इसका विरोध किया था। 

अंक - ४

शब्दार्थ :

सांत्वनादिलासा
युक्ति - दलील
अभिप्रायमतलब, अर्थ
वृधावस्था - बुढ़ापा
जालिम  - निर्दयी
 वास्तविक्ता - असलियत

सारांश :-

मीनू एवं उसका परिवार मायाराम जी के पत्र का
    बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे।
 मेरठ से आए पत्र को पढ़कर दयाराम के परिवार
    वालों के चेहरों पर उदासी छा जाती है। मीनू अंदर
    तक टूट जाती है और विवाह न करने का निश्‍चय
    करती है
*   दयाराम जी और उनकी पत्‍नी इस बात से हैरान
    और परेशान थे कि मायाराम जी ने मीनू की
    जगह आशा का रिश्ता क्यों माँगा
 मीनू को अपने माता-पिता की इस परेशानी का
    पता चलता है और वह उनसे अपने विवाह न
    करने के निर्णय तथा आशा के विवाह कराने के
    संदर्भ में बातें करती है।
 * मीनू अपनी माता जी को अपने विवाह न करने के
    निर्णय को स्वीकार करने के लिए उन्हें समझाती
    है कि, आज के युग में स्त्रियाँ भी पुरुषों के समान
    आत्मनिर्भर होती हैं।
दयाराम जी और उनकी पत्‍नी कोई भी निर्णय
   लेने में असमर्थ थे इसीलिए उन्होंने अपने एक
   घनिष्ठ मित्र की राय ली
* मित्र की सलाह से वे मेरठ जाते हैं जहाँ उन्हें सेठ
   धनीमल जी मिलते हैं और उनसे उन्हें इस बात की
    जानकारी मिलती है कि उनकी बेटी का रिश्ता 
   अमित से होने वाली है।
* दयाराम जी उसी क्षण वहाँ बिना किसी से मिले 
   घर वापस चले आते है। उन्हें मेरठ वालों की क्रूर
    योजना का पता चल जाता है और वे इस बात से
    चिंतित हो जाते हैं कि, अपने परिवारवालों को वे
    क्या जवाब देंगे।

संदर्भों पर आधारित प्रश्‍नोत्तर :

१.  यह ज्ञात होने पर दयाराम जी के पाँव तले धरती
    खिसक गई। अब उन्होंने एक मिनट भी वहाँ 
    ठहरना उचित नहीं समझा और वहाँ से उठ खड़े
    हुए। 
क)  दयाराम जी कहाँ गए थे ? उनके वहाँ जाने का
       क्या कारण था ?
    : दयाराम जी मेरठ, मायाराम जी से मिलने गए थे।
       उनके वहाँ जाने का कारण यह था कि वे उनसे
       अपनी छोटी बेटी आशा और अमित के विवाह
        से संबंधित बातें कर सकें।

ख)  ’ पाँव तले धरती खिसकना ’ एक मुहावरा है।
      उसका अर्थ लिखते हुए दयाराम जी के पाँव तले
      धरती खिसकने का कारण बताइए ?
       : ’ पाँव तले धरती खिसकना ’का अर्थ है-
         अत्यधिक घबरा जाना या हैरान हो जाना।
        दयाराम जी के पाँव तले धरती खिसकने का
        कारण यह था कि स्वयं मायाराम जी ने उन्हें
        पत्र लिखकर आशा का रिश्ता अमित के लिए
        माँगा था और मेरठ आकर उन्हें यह पता चलता
        है कि, अमित का विवाह शहर के एक धनी सेठ
        की बेटी के साथ तय हुआ है।

ग)   मायाराम जी के परिवार का मीनू की छोटी
       बहन आशा से अमित के विवाह के प्रस्ताव के
       पीछे क्या फ़रेब था ?
       : मायाराम जी के परिवार में मुख्यतः उनकी
        पत्‍नी का मीनू की छोटी बहन आशा से अमित
        के विवाह के प्रस्ताव के पीछे उनकी क्रूर योजना
        यह थी कि, यदि वे मीनू की जगह उसकी छोटी
       बहन आशा का हाथ माँगेगें तो दयाराम जी स्वयं
      ही इस रिश्‍ते को ठुकरा देंगे क्योंकि वे बड़ी बेटी
      अपनी छोटी बेटी की शादी नहीं करेंगे।
   
घ)  मीरापुर वापस आते समय रास्ते भर दयाराम जी 
      किस समस्या से जूझते रहे ? उन्होंने दुनिया को
      ज़ालिम क्यों कहा ? 
     : मीरापुर वापस आते समय रास्ते भर दयाराम जी
        यही सोचते रहे कि, मायाराम जी ने आशा के
        रिश्‍ते के लिए क्यों लिखा था जबकि उन्होंने एक
        धनी घर की बेटी से रिश्ता पक्का कर दिया है।
       उन्होंने दुनिया को ज़ालिम कहा क्योंकि
       मायाराम जी की पत्‍नी ने केवल धन के लिए मीनू
      और उसके परिवार वालों की भावनाओं की कोई
      कद्र नहीं की थी। मीनू की जगह उसकी छोटी 
     बहन आशा का हाथ माँगकर संवेदनहीनता का
     परिचय दिया था। 

अंक - ५
शब्दार्थ :

लगनलगाव
सिहरनाकाँपना
पुलकितखुश होना
देदीप्यमान - चमकता हुआ
ठेसआघात

सारांश :-

*    विपरीत परिस्थितियों में मीनू भी निराश हो जाती
     थी परंतु दृढ़ता और साहस की मूर्ति मीनू ने यह
     निश्‍चय किया कि वह अपने बचपन के सपने को
     साकार करेगी।
 मीनू ने मेरठ के विद्‍यालय में वकालत की पढ़ाई
    करने के लिए दाखिला लिया।
*   मीनू अपने बल-बूते पर धन कमाकर समाज में
     सिर ऊँचा करना चाहती थी क्योंकि वह सच्चाई
     को मान चुकी थी कि, धनी व्यक्ति की ही समाज
     में कद्र होती है।
 मीनू के माता-पिता का उसे मेरठ के होस्टल में
    रहने की आज्ञा दे दी और माँ ने उसके जाने की
     तैयारियॊं में मदद की।
होस्टल में उसे घर की बहुत याद आती है और वह
     अपने बचपन की बातें याद करने लगती है,जैसे 
     माँ की बात कि लड़कियों को इतना कोई नहीं
     पढ़ाता, अट्‍ठारह की होते ही शादी कर दी जाती
     है।
 दो दिन बाद ही मीनू के पिता उसके लिए बहुत
    सारा सामान लेकर होस्टल पहुँच गए।

* पिता के वापस जाने पर मीनू के मन में घर की मधुर
   स्मृतियाँ फिर से तरोताज़ा हो गईं।


संदर्भों पर आधारित प्रश्‍नोत्तर :

१.  माँ की यह बात सुनकर मीनू के दिल को ठेस
     पहुँची थी। वह बचपन से ही पढ़ाई में बहुत तेज़
     थी। अपनी कक्षा में हमेशा प्रथम आती थी।
    बचपन से ही उसका सपना था अपने पाँव पर 
    खड़े होने का, कुछ बनकर दिखाने का। "
क) माँ की कौन-सी बात सुनकर मीनू के दिल को
      ठेस पहुँचती थी ?
     : माँ की वह बात जो मीनू के दिल को ठेस
        पहुँचाती थी कि, उसे वकील बनने की ज़रूरत
        नहीं है क्योंकि लदकियों को कोई ज़्यादा नहीं
         पढ़ाता है। उनकी अट्‍ठारह साल की उम्र में
         शादी कर दी जाती है। 

ख) मीनू पढ़्ने लिखने में कैसी थी? एम.ए का उसका रिज़ल्ट कैसा था ?
       यह किस बात का प्रमाण है ?
     : मीनू पढ़ने-लिखने में बचपन से ही बहुत तेज़ थी, वह कक्षा में 
        हमेशा प्रथम आती थी। एम.ए की परीक्षा उसने प्रथम श्रेणी में
       उत्तीर्ण की थी। यह बातें इस बात का प्रमाण थीं कि मीनू एक बहुत
      ही होनहार और बुद्‍धिमती लड़की थी।      

ग)  मीनू के जीवन की कौन-सी घटना उसका सपना पूरा होने में 
      सहायक सिद्‍ध हुई और कैसे  समझाकर लिखिए।
      : मायाराम जी के परिवार से मीनू के रिश्‍ते के लिए जब नकारात्मक
        जवाब आया तो मीन निराश और उदास हो गई थी। अपने जीवन
        की परिस्थितियों से विवश होकर मीनू के मन में कई बार हीन
       भावनाएँ उत्‍पन्‍न हुईं।परंतु इसी घटना के बाद ही उसमें इतना
      साहस आया कि उसने यह निर्णय लिया कि वह शादी नहीं करेगी
    और अपने पाँव पर खड़ी होगी। उसने अपने बचपन के वकील बनने
    के सपने को साकार करने का निश्‍चय कर लिया। 
   
घ)  ' रूप ईश्‍वर का दिया होता है पर गुण मनुष्य स्वयं
       अर्जित करता है। ' आप इन दोनों में से किसे
       अच्छा मानते हैं ? 
     : 'रूप ईश्‍वर का दिया होता है पर गुण मनुष्य
        स्वयं अर्जित करता है। ' मेरे विचार से इन दोनों
       में से मैं स्वयं अर्जित किए गए गुण को अच्छा
      मानता/मानती हूँ क्योंकि रूप तो उम्र के साथ
      समाप्त हो जाती है लेकिन अर्जित किए गए गुण
      हमारे साथ जीवन भर के लिए रहते हैं। रूप के
      माध्यम से प्राप्त की गई सफलता रूप के चले
      जाने से चली जाती है, परंतु गुण से प्राप्त सफलता
      जीवनपर्यंत हमारे साथ बनी रहती है।

अंक - ६

शब्दार्थ :

गृहणी - घर की मालकिन
लाडली - प्यारी
ठानना - पक्का इरादा करना
सारांश :-
*    मायाराम जी के परिवार में केवल धनीमल और
      उनकी बेटी सरिता की ही चर्चा होती थी।
 माँ का सदैव सरिता की प्रशंसा करना अच्छा नहीं
    लगता था। वह एक स्वाभिमानी लड़का था और
   स्वयं एक फैक्टरी लगाई थी।
अमित अपनी माँ को तर्क और बड़ी मौसी के 
    उदाहरण से समझाने का प्रयत्‍न करता है कि,
    सरिता जैसी बड़े घर की लड़कियाँ कुशल गृहिणी
    नहीं बन सकती हैं ।
 धनीमल जी का मायाराम जी के घर कश्‍मीर से
   आए फल की एक पेटी लेकर आना, अमित का
    उनको आदर से बिठाना साथ ही फल की पेटी
    लेकर आने पर नाराज़गी प्रकट करना।  
*  मायाराम जी का धनीमल जी के पास आना और 
     अमित का उदास होकर वहाँ से चले जाना।
*   माँ का अमित से उसकी उदासी का कारण
    पूछना तथा उसे समाज के रीति-रिवाजों के
    बारे में बताना।  

*   धनीमल जी का अपनी बेटी सरिता को दिखाने
      की तिथि निश्‍चित करना।                                                                                                                              संदर्भों पर आधारित प्रश्‍नोत्तर :

१. " तुम हमारे एकमात्र पुत्र हो। एक ही बहू घर में
    आनी है। दो-चार जगह से पसंद करके ही तो
     ली जाएगी। और फिर शादी गुड्‍डे- गुड़िया का
     खेल तो नहीं है, जो जब चाहे शादी कर ले, और
     जब चाहे छोड़ दे। ज़िंदगी में एक बार ही होता है
     विवाह। "  
क) यह कथन कौन, किससे और किस संदर्भ में कह
      रहा है ?
     : प्रस्तुत कथन अमित की माताजी, अमित से कह
        रही हैं । यह कथन तब कहे गये जब अमित उन्हें
        कहता है कि, मीनू को देखने के बाद शादी के 
        लिए मना करने से उनके दिल को ठेस पहुँची
        होगी। 
ख) कौन-सी शंका किसके मन में उठी है ?
      समझाकर लिखिए।
     : अमित के मन में यह शंका उठी थी कि, बड़े
        घर की बेटी एक साधारण परिवार में आकर
        निर्वाह नहीं कर सकेगी। वह एक कुशल
        गृहिणी बनने में असमर्थ होगी तथा परिवार के
        सभी सदस्यों के साथ घुल-मिल नहीं पाएगी
        जिस वजह से घर में अशांति बढ़ेगी।     

ग)  बड़ी मौसी का उदाहरण क्यों दिया गया था ?क्या
       यह उदाहरण उचित था ? समझाकर लिखें। 
      : बड़ी मौसी का उदाहरण अमित की माता जी 
        के निर्णय को बदलने के लिए दिया गया था।यह
        उदाहरण देना उचित था क्योंकि माताजी की
        तरह उन्होंने भी अपने बेटे की शादी बड़े घर की
        बेटी से करवा दी थी। शादी के बाद भी मौसी को
        ही घर का सारा काम करना पड़ता था, यहाँ तक
        की भी देखभाल करनी पड़ती थी।बड़ी मौसी
       का उदाहरण देकर अमित अपनी माताजी को
       सावधान करना चाहता था कि वे भी सविता
       को बहू बनाकर वही गलती करने जा रही हैं।
   
घ)  मौसी के उदाहरण का वक्ता पर क्या प्रभाव
      पड़ा ? क्या वक्ता ने अपना निर्णय बदला ? 
       कारण सहित उत्तर लिखें।
     : मौसी के उदाहरण  का वक्ता पर यह प्रभाव 
        पड़ा कि , कुछ क्षणों के लिए वह भी चिंता में
        पड़ गयी कि, न जाने सविता उनके घर आकर
        एक अच्छी बहू के रूप में रह सकेगी या नहीं ।
         परंतु वक्ता की यह चिंता क्षणिक थी, पैसे की
         चकाचौंध ने उनकी बुद्‍धि नष्ट कर दी थी।
        अपनी बड़ी बहन की अवस्था को देखकर भी
        उन्होंने अपना निर्णय नहीं बदला और धनीमल
         जी की बेटी को देखने जाने की तिथि तय कर
         दी।                                                                                  अंक - ७
शब्दार्थ :

एकांत  अकेला
तपाक से तेज़ी से
                                       निःसंकोच - बेझिझक   

सारांश :-

*    सरिता को देखने का निश्‍चित दिन आ गया था। अमित को

    छोड़ कर मायाराम जी के परिवार के  सभी सदस्य सरिता को

    देखने के लिए उत्साहित थे। 

*  धनीमल जी द्‍वारा किए गए आलीशान आवभगत से मायाराम

  जी अत्यंत प्रभावित हुए।

*  सरिता को देखते ही अमित के पैरो तले ज़मीन खिसक गई,

  उसकी तस्वीर और उसमें काफी अंतर था। परंतु दौलत के कारण

  अमित की माँ को सरिता सुंदर दिख रही थी।                            

*  अमित ने जब सरिता से घर-गृहस्थी के बारे में बात की तो

   उसने बड़े गर्व से कहा कि उसे वह सब करने की आवश्‍यकता

   ही नहीं है क्योंकि घर कई नौकर हैं और उसके पिताजी शादी

   के बाद उसके साथ भी एक नौकर भेज देंगे।  

*  मायाराम जी और उनकी पत्‍नी को यह रिश्‍ता मंज़ूर था क्योंकि

  उन्हें पाँच लाख रुपये का नशा चढ़ा था।

अमित से जब सरिता के संबंध में पूछा गया तो उसने अपनी

  लाचारी दिखाते हुए यही कहा कि जब उन्होंने सरिता से उसका

  विवाह कराने की ठान ही ली है तो कर दें, परंतु उसे सरिता

  बिल्कुल भी पसंद नहीं आई है।   

 *  अमित की बातों से मायाराम जी क्षण भर के लिए चिंतित हो

   गए , परंतु पत्‍नी ने अपने विचारों से तुरंत अपने पक्ष में कर

   लिया। अमित माँ के व्यंग्यबाण को चुपचाप सुनता हुआ अपने

    कमरे में चला जाता है।  

संदर्भों  पर आधारित प्रश्‍नोत्तर :-

धनीमल जी व मायाराम जी आपस में कुछ बातें  कीं और सब वहाँ से उठकर चल दिए। अमित व सरिता को एकांत में बातें करने का अवसर दिया गया। अमित ने सरिता से कुछ प्रश्‍न किए।अमित ने पूछा, " आपकी किस चीज़ में रुचि है ?" सरिता ने तपाक से जवाब दिया, " मुझे पेंटिंग व कार ड्राइविंग में विशेष रुचि है।" 

१. धनीमल जी व मायाराम जी कौन हैं ? उनके बीच क्या बातचीत हो रही हैं?

: धनीमल जी सरिता के पिता थे और मायाराम जी अमित के पिता थी।दोनों के बीच सम्‍धी का रिश्ता बनने जा रहा था क्योंकि धनीमल जी की बेटी सरिता को मायाराम जी का परिवार देखने आया था। उनके बीच विवाह से संबंधित बातचीत हो रही थीं।

२. अमित और सरिता को आपस में बातचीत करने का अवसर क्यों

     दिया गया ?

: अमित व सरिता को अकेले आपस में बातचीत करने का अवसर इसलिए दिया गया क्योंकि वे दोनों विवाह के बंधन में बँधने वाले थे और इसलिए यह आवश्‍यक था कि वे दोनों विवाह से पूर्व एक-दूसरे को जान सके, पहचान सके।

३.  ’ मुझे पेंटिंग व कार ड्राइविंग में विशेष रुचि है ’ - सरिता के इस उत्तर का अमित पर क्या प्रभाव पड़ा ?

 : ’ मुझे पेंटिंग व कार ड्राइविंग में विशेष रुचि है ’ - सरिता के इस उत्तर का अमित पर यह प्रभाव पड़ा कि उसने सरिता के इस उत्तर पर कोई प्रतिक्रिया न दिखाते हुए तुरंत दूसरा प्रश्‍न करते हुए पूछा कि वह पेंटिंग व कार ड्राइविंग के अलावा क्या घर-गृहस्थी के सभी कार्य कर सकती हैं।

४. क्या अमित का विवाह सरिता के साथ सम्भव हो सका ? यदि नहीं तो क्यों?

: अमित का विवाह सरिता के साथ संभव नहीं हो सका क्योंकि दोनों की मानसिकता बिल्कुल भिन्‍न थी। अमित को एक पढ़ी-लिखी, सुशील और मध्यवर्गीय परिवार में घुल-मिलकर रहने वाली मिलनसार पत्‍नी चाहिए थी, जो घर- गृहस्थी में कुशल हो। सरिता इसके विपरीत एक धनी परिवार के ऐशो-आराम में पली-बढ़ी थी। घर के कामों में न तो उसकी कोई रुचि थी और न ही आवश्यकता। अमित सरिता से विवाह कर अपने घर की शांति को खत्म नहीं करना चाहता था और न हि अपनी मौसी द्‍वारा की गई गलती को दोहराना चाहता था। 


                                              अंक - ८


शब्दार्थ :  -                       हड़ताल - अत्याचार के विरोध काम न करना
          घनिष्ठ -  बहुत ही ख़ास
स्मृतियों - यादें 

सारांश :-

 हड़ताल के कारण कॉलेज की छुट्‍टी हो गई थी और  मीनू और उसके दोस्तों ने बाहर जाकर चाय पीने और समोसे खाने का निश्‍चय किया। 

सरिता मीनू ने अपनी उदास सहेली का मन बहलाने के लिए चुटकुले सुनाए क्योंकि उसने घर पर चार-चार पत्र लिखे थे लेकिन आज भी डाकिया कोई पत्र नहीं लाया था 

तेज़ बारिश की वजह से सब कैंटीन की चाय और समोसे का इंतज़ार कर ही रहे थे कि नीलिमा टैक्सी से होस्टल आकर मीनू को अपनी शादी के बारे में बताती है और उसे शादी के कुछ दिन पहले आने का निमंत्रण देकर चली जाती है                  

*  मीनू, नीलिमा की शादी के निमंत्रण कार्ड को देखकर उदास हो गई और स्वयं को अभागिन महसूस कर रही थी क्योंकि कई लड़के वालों ने उसे ना-पसंद कर दिया था।

संदर्भों  पर आधारित प्रश्‍नोत्तर :-

 " तू ही मेरी एकमात्र सहेली है जिसको कि मैं अपना सब कुछ समझती हूँ। तुझसे ही मैं अपने दिल की हर बात कह सकती हूँ। ऐसा तो हो ही नहीं सकता कि मैं तेरी शादी में न आऊँ।"

१. वक्ता कौन है? वह किसकी शादी में जाने की बात कह रही है? उसे शादी में कहाँ जाना है? वह इतनी उत्‍सुक क्यों है? स्पष्ट कीजिए।

  : वक्ता नीलिमा की सबसे अच्छी सहेली मीनू है। वह नीलिमा की शादी में जाने की बात कह रही है। उसे शादी में मीरापुर जाना है। वह बहुत उत्‍सुक थी क्योंकि उसकी प्रिय सखी की शादी  होने वाली थी। 

२. वक्ता ने श्रोता से कौन-कौन से प्रश्‍न पूछे ?

: वक्ता अर्थात् मीनू ने श्रोता अर्थात् नीलिमा से उत्सुकता वश कई प्रश्‍न पूछे जैसे कि लड़का  कहाँ का है और वह क्या करता है आदि।

३. श्रोता ने वक्ता के प्रश्‍नों के उत्तर किस प्रकार दिए ? समझाकर लिखिए।

: श्रोता अर्थात्‌ नीलिमा के प्रश्‍नों का उत्तर देते हुए कहा कि लड़का मेरठ का ही है। उसकी अपनी फेक्ट्री है। काफ़ी पैसे वाले आदमी हैं।उनका नाम सुरेंद्र है। देखने में स्मार्ट है। रंग भी साफ़ है।नाक-नक्श भी अच्छे हैं।

४. नीलिमा के जाने के बाद मीनू उसके निमंत्रण-पत्र को देखते-देखते किन विचारों में डूब गई ? समझाकर लिखिए।

: नीलिमा के जाने के बाद मीनू उसके निमंत्रण-पत्र को देखते-देखते अपने अतीत के विचारों में डूब गई। वह स्वयं को अभागिन मानने लगी थी। उन्हें उन लड़को की याद आ गई जिन्होंने उसे देखकर उसके साँवलेपन के लिए नापसन्द कर दिया था। अमित के घरवालों ने तो केवल धन के लिए उसे नापसंद कर दिया था। इन्ही पीड़ा पहुँचाने वाली यादों को याद कर मीनू का दिल भर आया था।

     अंक - ९ और १०


शब्दार्थ :  -                       साक्षात  -  सामने
          आग्रहपूर्वक -  हठपूर्वक
 अकुलाना - परेशान होना
                                           ध्येय  -  लक्ष्य
          मुखरित -  प्रकट
 उत्तेजित - भावुक 

 सारांश  :-

* मीनू को बचपन से ही पढ़ने का बहुत शौक था और वह कक्षा में हमेशा प्रथम आती थी।

*   पढ़ाई में कोई बाधा न आए इसलिए उसने दो दिन पहले निलीमा की शादी में जाने का निश्चय किया और भेंट के लिए एक सुंदर सी दीवर घड़ी खरीद ली।

* निलीमा का भाई अशोक मीनू को स्टेशन से घर ले आया, निलीमा ने मीनू को शादी की साड़ियाँ दिखाईं।

* दूसरे दिन मीनू गुलाबी साड़ी पहनकर निलीमा की शादी में जाती है।मीनू ने एक गीत भी प्रस्तुत किया जिसे वहाँ आए अमित ने बहुत सराहा।अमित को देखकर कर मीनू की अतीत की यादें ताज़ा हो गई और वह किसी को कुछ बताए बिना वहाँ से चली आती है।

* अगले दिन निलीमा की विदाई के समय ही वह वहाँ जाती है और विदाई के तुरंत बाद अपना सामान लेकर मेरठ के लिए निकल पड़ती है।

* मेरठ पहुँचकर मीनू को पता चलता है कि माया ने उसका नाम कॉलेज के वार्षिकोत्सव में कथक- नृत्य के लिए दे दिया है और वह अपने स्कूल के दिनों को याद करने लगती है जब उसने कथक सीखा था।

* हाईस्कूल की परीक्षा के समय भी उसने स्कूल के वार्षिकोत्सव में भाग लिया था और अपने शानदार प्रदर्शन के लिय उसे मुख्य अतिथि से पुरस्कार भी प्राप्त किया था।

* मीनू को कथक किए कई महीने हो गए थे इसलिए कॉलेज के वार्षिकोत्सव के पहले वह तीन - चार बार अभ्यास कर लेना चाहती थी।

* मंगलवार को वार्षिकोत्सव था और सोमवार की शाम को मीनू को मीरापुर से टेलीग्राम मिलता है कि , पिताजी बिमार है, जल्दी आ जाओ।

* मीनू बेचैन हो जाती है और उसी वक्त होस्टल आकर मीरापुर जाने की तैयारी करती है। माया उसे समझाती है कि अँधेरा हो गया है और इस वक्त उसका जाना सुरक्षित नहीं है। 

* रात भर मीनू ने बेचैनी में करवट बदलकर सुबह का इंतज़ार किया।       

अंक ९

इसके उपरांत मीनू ने एक गीत प्रस्तुत किया। उसकी

मधुर आवाज़ ने सबका मन मोह लिया।

किसके उपरांत मीनू ने गीत प्रस्तुत किया ? उसका क्या प्रयोजन था ?

: जयमाला की रस्म के उपरांत मीनू ने गीत प्रस्तुत किया। उसका प्रयोजन था क्योंकि विवाहोत्सवों में 

बारातियों के मनोरंजन पर विशॆष ध्यान दिया जाता है।

मीनू के मधुर गीत को सुनकर सबकी क्या प्रतिक्रिया

हुई ? उसके मधुर गीत की प्रशंसा विशॆष रूप से किसने और किस प्रकार की ?

: मीनू के मधुर गीत का सबने ताली बजाकर प्रशंसा की।उसके मधुर गीत की प्रशंसा विशॆष रूप से अमित ने यह कहकर की कि , मीनू की आवाज़ बहुत सुंदर है और उसने बहुत सुंदर गीत सुनाया है।

अपने गीत की प्रशंसा सुनकर मीनू पर क्या प्रभाव पड़ा ?

: जब मीनू ने देखा कि उसकी प्रशंसा करने वाला मेरठ का वही अमित है जिसके परिवारवालों ने पैसों के लालच में उसका दिल तोड़ा था और उसकी भावनाओं को ठेस पहुँचाई थी। अपनी प्रशंसा सुनने पर उसके हृदय में कोई प्रसन्नता की अनुभूति नहीं हुई।वह वहाँ से बिना कुछ खाए-पिये ही घर वापस चली गई।

मीनू को उदास देखकर उसकी माँ के मन में कैसे-कैसे विचार उठने लगे ?

:  मीनू का उदास चेहरा देखकर उसकी माँ को लगा कि मीनू के साथ कोई बात अवश्‍य हुई है। उन्हें लगा कि शायद सहेली के विवाह के उप्लक्ष्य पर शायद मीनू की अतीत की स्मृतियाँ ताज़ा हो गई होंगी या फिर किसी ने उससे, उसकी शादी की बात पूछ ली होगी परंतु उन्हें कुछ भी समझ नहीं आ रहा था क्योंकि मीनू कुछ नहीं बता रही थी।


                                 अंक - १०


काश , उसके पंख होते तो वह उड़कर अपने घर पहुँच जाती । इस समय उसकी दशा पिंजड़े में बंद एक पक्षी की तरह थी।


प्रश्‍न : मीनू को कहाँ जाना था और क्यों ?

: मीनू को अपने घर मीरापुर जाना था क्योंकि घर से टेलिग्राम आया था कि पिता की तबीयत खराब है , घर जल्दी आ जाओ।

प्रश्‍न : मीनू की तत्कालीन दशा का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।

: मीनू अपने घर उसी क्षण जाने लिए बेचैन थी, वह जल्द से जल्द मीरापुर अपने घर पहुँचना चाहती थी क्योंकि अभी तीन दिन पहले ही वह जब घर से लौटी थी तो, पिताजी बिल्कुल ठीक थे। अचानक तीन दिन में उनकी तबीयत कैसे इतनी बिगड़ गई।

प्र्श्‍न: मीनू उस दिन क्यों नहीं जा सकी? उसे अगले दिन जाने का सुझाव किसने दिया था और क्यों ?

: मीनू उसी दिन नहीं जा  सकी क्योंकि रात हो चुकी थी और मीरापुर जाने का रास्ता सुरक्षित नहीं था। उसे अगले दिन जाने का सुझाव उसकी कॉलेज की

सहेली आशा ने सुझाव दिया था क्योंकि उसे मीनू की सुरक्षा की चिन्ता थी।

प्रश्‍न : मनुष्य के लिए रिश्‍तों का क्या महत्व है?

: मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और समाज का गठन आपसी ताल-मेल से ही होता है। मनुष्य इन रिश्‍तों  से ही संवेदनशील  बनता है। रिश्ते उसे अपना व्यक्तित्व बनाने में मदद करती हैं। रिश्ते को निभाना उसे सँवारना भी वह तब ही सीख पाता है जब वह रिश्तों में बँधता है। अतः हम कह सकते हैं कि मनुष्य के लिए रिश्ते बहुत महत्व रखते हैं।   

                                                                                           अंक - ११         

 शब्दार्थ :

कुशल - क्षेम        -   हाल चाल

प्रस्ताव               -   सुझाव

कदापि              -   कभी


सारांश :

* मीनू  के  पिताजी को दिल का दौरा पड़ा था, घर के सभी सदस्य उनकी सेवा में जुटे थे। लोगों के मिलने आते रहने के कारण पिताजी को आराम नहीं मिल रहा था।

* मेरठ से पहली बस मीरापुर सुबह नौ बजे पहुँचती है। घर पर सभी को मीनू का इंतज़ार था। घर पहुँचते ही माँ की हालत देखकर मीनू माँ से लिपट जाती है।

* मीनू को देखकर पिताजी के चेहरे पर खुशी आ जाती है।पिता की हालत देखकर मीनू का दिल भर आता है।

* एक सप्ताह में पिताजी के स्वास्थ्य में काफी सुधार आ गया था। अब वे स्वयं बैठने भी लगे थे और थोड़ी देर बात भी कर लेते थे।

* पिताजी की बिमारी की खबर सुनकर बुआ जी व फूफा जी उनसे मिलने आए और जाने से पहले पिताजी के दिमाग में बेटियों की शादी की चिंता डाल दी।

* पिताजी ने मीनू को बुला कर शादी कर लेने का आग्रह किया परंतु मीनू ने अपने लक्ष्य को अधिक महत्व दिया और पिताजी से आशा के लिए लड़का देखने का अनुरोध किया।

* मीनू को मेरठ से आए एक सप्ताह हो गया था वह फिर से अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना चाहती थी इसलिए माँ से आज्ञा लेकर दूसरे दिन सुबह-सुबह मेरठ के लिए निकल पड़ी।   


अंक - १२ & १३

श्ब्दार्थ :

उत्तेजित - क्रोधित

आमंत्रित - निमंत्रित

अभिवादन - स्वागत

सुध - होश

विदा - प्रस्थान, चले जाना   


सारांश :

* अमित की शादी को सिर्फ एक महीना ही बाकी था। मायाराम जी ज़ेवर, कपड़े और निमंत्रण कार्ड के लिए पत्‍नी से सलाह लेते हैं।शादी के बाद दावत की भी चर्चा की जाती है और तय हो जाता है कि शादी के बाद ही दावत दी जाएगी। अमित , शादी से संबंधित किसी भी बात पर अपनी कोई प्रतिक्रिया नहीं देता है।

* मायाराम जी की पत्‍नी का मन एक किलो सोना और इक्कीस साड़ियाँ चढ़ाने का था, परंतु मायाराम जी ने उन्हें समझाया कि कुछ ज़ेवर और पैसे उनके बुढ़ापे में काम आएँगे।

* मधु को अपनी सहेलियों के लिए तीस निमंत्रण कार्ड चाहिए थीं।

धनीमल जी मायाराम जी से शादी पर उनके द्‍वारा खर्च किए जाने वाले पाँच लाख रुपयों के बारे में चर्चा करते हुए बताते हैं कि तीन लाख रुपये से तो वे अपनी बेटी के लिए एक फ्लैट खरीदेंगे क्योंकि उन्होंने अपनी दोनों बेटियों को भी फ्लैट दिया है। उनका मानना था कि, शादी के बाद आज-कल के बच्चे शादी के बाद अपनी अलग गृहस्थी बसाना चाहते हैं।

* मायाराम जी को धनीमल जी की यह बात पसंद नही आई और उन्होंने धनीमल जी को स्पष्ट कह दिया कि, उनके पास रुपये की कोई कमी नहीं है, उन्हें तो बस एक सुशील बहू चाहिए जो घर में सबके साथ प्रेम से रहे। परंतु धनीमल जी अपने फ्लैट की बात पर अड़े रहे और मायाराम जी से बाकी दो लाख के बारे में सोचने के लिए कह कर चले गए। 

धनीमल जी जाने के बाद मायाराम जी और उनकी पत्‍नी दोनों ही परेशान हो जाते हैं। मायाराम जी अमित को इस बात की इज़ाज़त देते हैं कि, वह स्वयं अपनी शादी का फ़ैसला ले ।

*   होस्टल का वातावरण शांत हो गया था क्योंकि पंद्र्ह दिनों बाद उनकी परीक्षाएँ शुरू होने वाली थी और सब उसी की तैयारी में लगे हुए थे।

मीनू को इसी दौरान बहुत बुखार होता है, उसकी सहेली माया ही उसकी देखभाल करती है और डॉक्टर से बात कर मीनू के लिए दवाइयाँ भी लाती है।

* बिमारी की अवस्था में मीनू को माँ की याद आती है कि, जब वह बीमार पड़ती थी तो माँ उसके लिए सारी-सारी रात जाग कर उसकी देखभाल करती थी। माया ने भी उसकी बहुत सेवा करती है, उसका सिर दबाती है।

* दो दिनों की बीमारी ने मीनू को काफी कमज़ोर बना दिया था। मीनू के परीक्षा के सभी पेपर अच्छे गए और उसे अपने अंतिम पेपर का इंतज़ार था क्योंकि उसे घर जाने की धुन थी।

* परीक्षा के समाप्त होते ही मीनू और माया ने अपना-अपना सामान बाँधा और होस्टल से घर के लिए निकल पड़े। मीनू को मीरापुर जाना था और माया को अलीगढ़।  

                             

अंक - १४

शब्दार्थ :

प्रेरणा -   प्रोत्साहन

मार्ग प्रशस्त करना - मार्ग बनाना

समर्थन - पुष्टि करना

झंकृत - गूँज

उधेड़बुन -  सोच - विचार


सारांश :

* परीक्षा के बाद दो महीनों की छुट्‍टियों में जब  मीनू, मीरापुर पहुँची तो पिताजी को स्वस्थ और काम पर जाते देख बहुत प्रसन्‍न हुई।

* मीनू के घर आने से आशा , रोहित और माँ भी बहुत प्रसन्‍न थे। माँ ने उसे प्रथम श्रेणी में पास होने का आशीर्वाद दिया।

* मीनू के पिताजी दयारामजी मीनू को बुलाकर बताते हैं कि, उनकी बुआ जी का पत्र आया है जिसमें उन्होंने एक लड़के का ज़िक्र किया है। लड़का दिल्ली में इंजीनियर है और तीन हज़ार कमाता है। मीनू पढ़ाई बीच में छोड़कर शादी नहीं करना चाहती थी। उसने वह रिश्‍ता आशा के लिए आगे बढ़ाने का सुझाव दिया।

* दयाराम जी का दिल मीनू के सुझाव को मानने से इंकार कर रहा था, परंतु मीनू और उसकी माँ के समझाने पर वे मान गए और वे आशा का रिश्‍ता लेकर दिल्ली चले गए। 

* दयाराम जी को आलोक पसंद आ गया। दयाराम जी आशा को दिखाने की तिथि निश्‍चित तय करके वापस मीरापुर आ गए।

* आशा को देखने आलोक, उसके माता-पिता व उसकी बड़ी भाभी आए। आशा का रिश्‍ता पक्का हो गया और पंडित जी ने चार महीने बाद की तिथि निकाली। लड़कोंवालों को यह बात बता दी गई थी कि, आशा की बड़ी बहन है जो वकालत पढ़ रही है और इसीलिए वह अभी शादी नहीं करना चाहती है।

* निलिमा के भाई अशोक से मीनू को पता चलता है कि, निलीमा मेरठ से मीरापुर आई है। मीनू उससे मिलने जाती है तो उसे पता चलता है कि निलिमा माँ बनने वाली है। दोनों में आशा के रिश्ते को लेकर बातें होती हैं।

* निलिमा, मीनू को शादी करने के लिए समझाती है, वह उसे बताती है कि उसके अशोक भैया उसकी बहुत प्रशंसा करते हैं और उनसे शादी करने के बाद भी वह अपनी पढ़ाई पूरी कर सकती है, परंतु मीनू के तर्क के सामने उसकी एक नहीं चलती है।

* घर लौटने के बाद भी मीनू को निलिमा द्‍वारा बताए गए अपने अशोक भैया की बातें ही बार- बार याद आती हैं और उसे इसी उधेड़बुन में नींद आ जाती है कि, क्या उसे अपने लक्ष्य को बीच में ही छोड़कर शादी कर लेनी चाहिए या उस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए केवल मेहनत और लगन अपनी पढ़ाई पर ही ध्यान देना चाहिए।

अंक - १५

शब्दार्थ :

मोह -  लगाव

नियमित -  रोज़ाना

सारांश :

मीनू के वकालत की पहली परीक्षा का परिणामफल निकल चुका था और वह प्रथम श्रेणी में उत्‍तीर्ण हुई थी।

कॉलेज की छुट्‍टियाँ समाप्त हो चली थीं और वह आशा की शादी की तैयारियों में ही लगी थी। मेरठ जाने के लिए जब केवल दो दिन बचे थे तो, मीनू ने अपने जाने की तैयारियाँ शुरू कर दी पर दो महीने घर पर सबके साथ रहने पर मीनू का घर के प्रति मोह अधिक बढ़ गया था।

होस्टल लौटने पर कई नए चेहरे दिखाई दिए, पर माया को देखकर मीनू का चेहरा खिल उठा। मीनू ने अपनी नियमित पढ़ाई भी शुरू कर दी।

रविवार को मीनू , माया के साथ बाज़ार गई क्योंकि माँ ने आशा की शादी के लिए साड़ियाँ और चप्‍पलें मेरठ से खरीदने के पैसे दिए थे।मीनू ने आशा के लिए चार साड़ियाँ खरीदीं।

चप्पलों की दुकान पर जब मीनू चप्पलें देख रही थी तो, उसने अमित को उसे एकटक देखते हुए देखा। अमित को अपनी ओर आता देख, मीनू ने माया को वहाँ से चलने को कहा। परंतु माया के ज़िद्‍द करने पर मीनू को आनन-फानन में उसी दुकान से दो जोड़ी चप्पलें लेनी पड़ीं।

 मीनू जब भी अमित को देखती थी पुरानी कड़वी यादें ताज़ा हो जाती थी और उसका हृदय घृणा से भर जाता था। 

*    होस्टल पहुँचकर साड़ियों के और चप्पलों के डिब्बे देखकर लड़कियों ने मीनू पर प्रश्‍नों की बौछार कर दी कि, ये सारी खरीदारी क्या उसने अपनी शादी के लिए की है ? जीजा जी के बारे में भी कई प्रश्‍न पूछे गए। जब सब शांत हुए तो, मीनू ने उन्हें बताया कि यह सब खरीदारी उसने अपनी बहन आशा की शादी के लिए किया था।


प्रश्‍न :

रविवार का दिन था, आज मीनू को बाज़ार जाना था। माँ ने आशा के लिए साड़ियाँ और चप्पलें खरीदने के लिए कुछ रुपए दिए थे।

क) : मीनू को बाज़ार क्यों जाना था ? वह अपने साथ किसे ले गई ?

      : मीनू को बाज़ार अपनी बहन आशा के लिए साड़ियाँ और चप्पलें खरीदने जाना था क्योंकि मीनू की माँ ने इस काम के लिए उसे पैसे दिए थे और वह चाहती थी कि आशा की साड़ियाँ और चप्पलें मेरठ से ली जाए। मीनू अपने साथ अपनी प्रिय सखी माया को ले गई ।

ख) : आशा कौन थी ? उसे उसके लिए क्या खरीदना था और क्यों ?

       : आशा मीनू की छोटी बहन थी। उसे आशा के लिए साड़ियाँ और चप्पलें खरीदना था क्योंकि दो महीने बाद उसकी शादी थी, और माँ ने मेरठ से इन्हें खरीदने के लिए मीनू को पैसे भी दिए थे।

ग) : चप्पलों की दुकान पर उसे कौन मिला ? मीनू को देखकर उसकी क्या प्रतिक्रिया हुई ?

     : चप्पलों की दुकान पर मीनू को अमित मिला जो अपनी बहन के साथ वहाँ आया था। मीनू को देखकर अमित एकटक उसे देखता रहा। वह मीनू से देखते ही उसे अपने दिल की बात कहने के लिए बेचैन हो उठा, वह मीनू की ओर बढ़ा परंतु मीनू उसके पहुँचने से पहले ही दुकान से निकल गई। अमित को कभी भी मीनू से अपने दिल की बात कहने का अवसर ही नहीं मिलता था।

घ) : मीनू की बेचैनी का क्या कारण था? माया उसकी बात क्यों नहीं समझ सकी ? मीनू को क्या याद आ रहा था ?

     : मीनू की बेचैनी का कारण अमित का उसे एकटक देखते रहना और फिर उसकी ओर बढ़ना था। अमित को अपनी ओर आता देखकर मीनू ने माया से चलने को कहा परंतु माया को उसकी बात समझ न आई क्योंकि दुकान में अच्छी और सुंदर चप्पलें थीं और मीनू का कहना था कि वहाँ अच्छी और सुंदर चप्पलें नहीं हैं। अमित को देखकर मीनू की पुरानी कड़वी यादें ताज़ा हो गईं, जब अमित के परिवारवालों ने मीनू के परिवारवालों के साथ धोखा किया था।

अंक - १६

शब्दार्थ : -

कटाक्ष  -   व्यंग्य

संयत  -   नियंत्रित

संयम  -  नियंत्रण


सारांश :-

* मीनू मेरठ से आशा की शादी के तीन दिन पहली ही मीरापुर आ गई थी और शादी के कामों में माँ के हाथ बटाँने में व्यस्त थी। उसे कभी इस बात का एहसास भी नहीं हुआ कि, उसकी छोटी बहन की शादी उससे पहले हो रही है।

* दयाराम जी ने अपनी बहन को समझा दिया था कि वो मीनू से शादी की बात न करें क्योंकि वह अभी वकालत पढ़ रही है इसलिए उससे पहले आशा की शादी की जा रही है और आजकल के आधुनिक युग में ऐसा ही होता है।

* शादी के रस्मों को जिन्हें एक शादीशुदा बड़ी बहन करती है , मीनू के करने पर बुआ जी और कई महिलाओं ने कटाक्षपूर्ण निगाहों से देखा ।परंतु मीनू ने बड़े ही संयम से काम लिया । सभी रस्मों को पूरा कर वह अपने कमरे में आकर रोने लगी।

 बारात के आने पर मीनू ने कई महिलाओं को उसके शादी न करने और वकालत पढ़ने के फ़ैसले को ग़लत बताकर बातें करते सुनकर बहुत ऊब होने लगी। परंतु मीनू में बहुत ही सहनशक्ति थी । उसने अपने दिल की पीड़ा को चेहरे तक नहीं आने दिया।

 सुबह, आशा की विदाई के बाद जब माँ बहुत रोने लगी तो मीनू ने माँ को ढ़ाँढस बँधाया और कहा कि उनकी एक बेटी हमेशा उनके साथ रहेगी। माँ ने समझाया कि , बेटियाँ पराया धन होती है और उसके ससुराल की शोभा बढ़ाती है।

* विवाह के बाद चार दिन मीनू को घर को व्यवस्थित करने में लग गये थे। उसे अपनी पढ़ाई की भी चिन्ता हो रही थी, परंतु वह माँ को बिल्कुल अकेला छोड़कर नहीं जाना चाहती थी। 

मीनू की माँ ने स्वयं ही उसे मेरठ जाने की अनुमति दे दी क्योंकि उन्हें मालुम था कि आशा की शादी के लिए उसने दस दिन की छुट्‍टियाँ ली थी और इन दस दिनों में मीनू की पढ़ाई का बहुत नुकसान हुआ था।


अंक - १७ & १८

शब्दार्थ :

नामकरण  -    नाम रखने का संस्कार

तल्लीन      -      निमग्‍न , किसी बात या कार्य में पूरी तरह से खो जाना।

घनिष्ठ        -     बहुत अधिक प्रिय

ज्वर           -      बुखार

आग्रहपूर्ण  -      विनयपूर्वक


सारांश :

 आशा के विवाह के पाँच महीने हो गए थे। घर से आए माँ का पत्र पढ़कर मीनू को उनके अकेलेपन का एहसास हो जाता था। माँ हमेशा मीनू को अपने पाँव पर खड़े होने की शिक्षा देती थीं।

* नीलिमा के पति सुरेंद्र जी मीनू के होस्टल आते हैं और उसे नीलिमा के एक पुत्र की माँ बनने का शुभसमाचार देते हैं। सुरेंद्र जी मीनू को अपने पुत्र के नामकरण संस्कार में आने का निमंत्रण भी देते हैं।

मीनू  नामकरण संस्कार वाले दिन कॉलेज से छुट्‍टी लेकर नीलिमा के घर जाती है। दोनों बैठकर बहुत बातें करती हैं। सुरेंद्र जी के भी कई मित्र आए थे, जिसमें अमित भी था। अमित के वहाँ आने से मीनू के मन में अजीब-सी घृणा उत्‍तपन्‍न हो जाती है।

* नीलिमा, मीनू को अमित के विवाह के टूटने का कारण और अमित के मन की बात बताती है कि, उसे मीरापुर की लड़की ही पसंद थी परंतु वह अपने माता-पिता का विरोध नहीं कर सके।

 नामकरण संस्कार सम्‍पन्‍न होते-होते रात के नौ बज जाते हैं। सुरेंद्र जी मीनू को उसके होस्टल छोड़ आते हैं। अमित ने सोचा था कि आज वह कार्यक्रम के बाद मीनू से अपने दिल की बात कह देगा। परंतु जब वह मीनू से मिलने नीलिमा के पास आया तो वह जा चुकी थी।

 अमित ने नीलिमा से मीनू के बारे में जानकारी ली कि वह मेरठ में ही वकालत की पढ़ाई कर रही है। नीलिमा ने यह भी बताया कि डेढ़ वर्ष पूर्व मेरठ से आए रिश्‍ते ने जब उसे नामंजूर कर दिया था तब मीनू बहुत निराश हो गई थी और उसने शादी न कर अपने पाँव पर खड़े होने का निश्‍चय कर लिया।

*  अमित ने नीलिमा को यह नहीं बताया कि, मेरठ वाला लड़का वही है। अमित को आत्मग्‍लानि महसूस हुई। घर लौटते समय अमित के मस्तिष्क में मीनू ही छायी हुई थी।

 मीनू ने दूसरे वर्ष  की वकालत की परीक्षा भी प्रथम श्रेणी में उत्‍तीर्ण की थी। कॉलेज में खेलकूद की प्रतियोगिता चल रही थी जिसमें मीनू ने भाग नहीं लिया था। वह अपना समय बिताने के लिए नीलिमा से मिलने चली जाती है।

 नीलिमा के घर जाकर मीनू को पता चलता है कि नीलिमा को बहुत बुखार है। उसका बेटा अनूप भी माँ के लिए रो रहा था। सुरेंद्र जी नीलिमा के लिए दवाई लेने गए थे। नीलिमा के कहने पर मीनू ने अनूप को नीलिमा के पास लिटा दिया।

* सुरेंद्र जी ने नीलिमा को दवाई पिलाई और मीनू से आग्रह किया कि, अगर वह थोड़ी देर नीलिमा के पास बैठे तो वह फैक्‍टरी के कुछ काम पूरे करके जल्दी ही आ जाएगा। मीनू मान गई।  नीलिमा ने मीनू से उसकी पढ़ाई के बारे में पूछा और उसके तृतीय वर्ष में भी प्रथम आने की कामना की।

मीनू ने नीलिमा से उसके भाई अशोक के बारे में पूछा तो पता चलता है कि वे अमेरिका पढ़ने गए हैं और वहीं बस जाने की आशंका भी है। इस विषय में मीनू के विचार दूसरे थे। मीनू का मानना था कि, यदि सभी बुद्‍धिजीवी विदेशों में जाकर बस जायेंगे तो हमारे देश की उन्‍नति किस प्रकार संभव हो सकेगी?

* सुरेंद्र जी के फैक्‍ट्री से वापस आने के बाद मीनू अकेले ही होस्‍टल वापस आ जाती है क्योंकि, नीलिमा की तबीयत खराब थी और मीनू नहीं चाहती थी कि सुरेंद्र जी उसे अकेले छोड़कर उसे छोड़ने होस्टल तक आए।

 

अंक - १९


शब्दार्थ :

अखरना  -         बुरा लगना

समाधान      -      हल

अवगत        -      पता लगना


सारांश :

* अमित का रिश्‍ता टूटने के बाद मायाराम के घर में उदासी छा गयी

   थी। माँ ने बहु के आने से घर की रौनक की उम्मीद लगा रखी थी।

* मायाराम जी और अमित सुबह फैक्‍ट्री चले जाते थे। मधु कॉलेज चली

   जाती थी। माता जी ही घर पर अकेलीं रहती थीं।

 माँ के भतीजे दीपक की शादी का निमंत्रण कार्ड आता है तो वह

    खुश हो जाती हैं क्योंकि भाई से मिले उन्हें कई वर्ष हो गए थे।

* मधु ने बताया कि वह शादी में नहीं जा पाएगी क्योंकि उसकी परीक्षा

   हैं। माँ को चिंता होने लगी कि यदि मधु की परीक्षा हुईं तो वह भी

  दीपक की शादी में नहीं जा पाएँगी।

* अमित के खाना खाने के लिए घर आने पर माँ ने उसे दीपक की

  शादी के बारे में बाताया। माँ ने अमित को अपनी चिंता भी बताई कि

  दीपक उससे दो वर्ष छोटा है और उसकी शादी हो रही है पर वह

 शादी क्यों नहीं कर रहा है ?

* माँ ने मधु की शादी का भी तर्क दिया कि, मधु की भी शादी करनी है

   लेकिन उससे पहले अमित की शादी ज़रूरी है क्योंकि वह मधु से

  सात वर्ष बड़ा है। इसके अतिरिक्‍त घर में बहू के आ जाने से मधु की

 शादी के कामों में भी सहायता मिलेगी।

* अमित ने माँ को उसकी शादी की चिंता छोड़कर मधु की शादी

   कराने को कहा। माँ ने जब कहा कि बहू अगर घर पर होती तो वह

  मधू की ज़िम्‍मेदारी उस पर छोड़कर दीपक की शादी में जा सकती

  थीं।

* माँ की किसी भी बात से जब अमित प्रभावित नहीं हुआ तो माँ को

  चिंता हुई। उनके मन में कई प्रश्‍न उठने लगे कि कहीं अमित ने शादी

  का विचार तो नहीं त्याग दिया या फिर उसने कोई लड़की तो नहीं

  पसंद कर ली है।

* माँ ने निश्‍चय किया कि एक-दो दिन में वे अमित के घनिष्ठ मित्र 

   सुरेंद्र के पास जाकर उससे अमित के विचारों के बारे में बात करेंगी।

    अंक - २०

शब्दार्थ :


१. गगन -आकाश

२. विहार करना-घूमना

३. दृष्टिगोचर- दिखाई देना

४. नाज़ुक- गंभीर

५. वर्जित-मना

६. विधाता- भगवान 


सारांश: 

१. वकालत की अंतिम वर्ष की परीक्षा मीनू ने दे दी।

२. पारीक्षा के बाद मीनू अपनी सहेली माया के साथ पिक्चर देखने

जाती है। 

३. उस दिन वे दोनों होटल में ही खाना खाती हैं।

४. नीलिमा और सुरेंद्र मीनू से मिलने हॉस्टल आते हैं।

५. नीलिमा से मीनू को पता चलता है कि तीन दिन पहले अमित की

कार का एक्सीडेंट हो गया , जिससे उसकी 

    हालत नाज़ुक है और वह मीनू से मिलना चाहता है।

६. अमित मेडिकल कॉलेज में भर्ती है।

७. मीनू अमित से मिलने मेडिकल कॉलेज जाती है। अमित, मीनू

को अपने मन की सारी बातें बताता है और माफ़ी माँगता है।

८. अमित मीनू से कहता है कि उसने मीनू को जीवन संगिनी मान

लिया  , इसलिए वह उसकी प्रतीक्षा अब तक कर रहा है।

९. वहीं मीनू की मुलाकात अमित की माँ से होती है।   

पंक्तियों पर आधारित प्रश्‍नोत्‍तर :

“ जैसे ही मीनू ने अपने कमरे का ताला खोलने के लिए अपने पर्स

से ताली निकाली, सामने से नीलिमा व सुरेंद्र जी आते दिखाई दिए। “

क) मीनू से नीलिमा व सुरेंद्र जी का क्या संबंध था ?

  • मीनू व नीलिमा पक्की सहेली थी व सुरेंद्र जी नीलिमा के पति थे।

ख) नीलिमा व सुरेंद्र जी के यहाँ आने का मु्ख्य कारण क्या है ?

:नीलिमा के पति सुरेंद्र जी के मित्र का ऐक्सीडेंट हो गया था।वह एक बार मीनू से मिलना चाहता था। यही संदेस देने के लिए

वे मीनू के हॉस्टल गए थे।

ग) अमित का ऐक्सीडेंट कैसे हो गया था ? नीलिमा ने अमित

की दशा का वर्णन किस प्रकार किया ?

:अमित की कार का ब्रेक फेल हो गया था, जिससे कार एक पेड़े

से जा टक नीलिमा ने अमित की दशा का वर्णन करते हुए कहा

कि अमित की हालत बहुत नाजुक थी। उसके हाथ-पैरों की हड्‍डियाँ

चकनाचूर हो गई थी। पूरे शरीर में चोट लगी है। वह अभी काफी

समय तक बिस्तर से नहीं उठ पाएगा।

घ) नीलिमा और सुरेंद्र के जाने के बाद मीनू के मन में कैसे विचार

आते रहे ? वह रात उसने कैसे बिताई ?

: नीलिमा और सुरेंद्र के जाने के बाद मीनू अमित के विषय में सोचने

लगी। जिस अमित के लिए उसके मन में घृणा के भाव थे, उसी के

लिए उसके मन में स्‍नेह उत्‍पन्‍न हो गया। वह रात उसके लिए बैचैनी

भरी थी। बैचैनी के कारण उसे रात-भर नींद नहीं आई थी।

प्रात: होते ही वह अमित से मिलने चल दी।



    अंक 21

सारांश: 

१. मीनू अमित के लिए परेशान है।

२. मीनू एकदिन पहले ही अपने घर मीरापुर पहुँच जाती है , जिसे  

देखकर सभी आश्‍चर्यचकित हो जाते हैं।

३. पिताजी मीनू से उसके विवाह की बात करते हैं। मीनू अपनी 

प्रैक्टिस शुरु करने के बाद विवाह करनकी बात करती है।

४. माँ मीनू से उसकी उदासी का कारण पूछती है तो मीनू अमित 

के बारे में बताती है।

५. मीनू बताती है कि अमित नीलिमा के पति सुरेंद्र का मित्र है,  

उसके घर पर ही उसकी मुलाकात अमित  से हुई थी। अमित की

शादी टूट गई यह बात बी वह अपनी माँ से कहती है।

६. रोहित मीनू का परीक्षाफल लेकर आता है। मीनू अपने परिश्रम 

पर गर्व करती है।

७. मेरठ में प्रैक्टिस सुरु करने के लिए मीनू ने अपना रजिस्ट्रेशन 

करा लिया था।

८. माँ ने मीनू के साथ अपनी महरी की छोटी बेटी राजो को भी  

मेरठ भेजती है ,जिससे मीनू का मन  वहाँ लगा रहे।


शब्दार्थ 

१. मस्तक - माथा

२. अबला- निर्बल

३.उज्ज्वल- प्रकासमान

४. घनिष्ठ- परम


             अंक 22

सारांश:

 

१. मेरठ में मीनू के कमरे को व्यवस्थित करने में नीलिमा राजो और उसकी मदद करती है।

२. मीनू अमित से मिलने अस्पताल जाती है।

३.  अमित की माँ मीनू से प्यार से बात करती है।

४. राजो मीनू का बहुत ध्यान रखती है।

५. मीनू अमित के बारे में सोचती रही कि उसने मीनू के कारण  

इतने वर्षों तक विवाह नहीं किया तो क्या उसे एक्सीडेंट के बाद

अमित से विवाह करनी चाहिए। फिर वह सोचती है कि यह

एक्सीडेंट तो विवाह के बाद भी हो सकती थी। यही सोचते-सोचते उसे नींद आ जाती है।  


शब्दार्थ :

१. दुआ- प्रार्थना

२. अपाहिज- जिसका अंग-भंग हो गया हो।


अंक 23

सारांश: 

१. साधारण-सी दिखने वाली मीनू आठ महीने में वकालत पर अपनी

धाक जमा ली थी।

२. मीनू से मिलने उसकी छोटी बहन आशा अपने पति व बेटे के साथ

आती है।

३. आशा माँ बनने के बाद मोटी हो गई है। वह अब मीनू से भी बड़ी  

लग रही है।

४. आशा की गोद में बच्चे को देखकर मीनू का हृदय मातृत्व की भावना

से भर जाता है।

५. मीनू से आशा को पता चलता है कि रोहित ने इंजीनियरिंग पूरी  

कर ली है और तीन हजार रुपए महीने पर दिल्ली में उसकी  

नौकरी लग गई है। 


शब्दार्थ :

१. धाक - रोब

२. अभिभूत - पुलकित

३.सन्‍नाटा- सूनापन।


अंक 24

सारांश: 

१. रोहित की नौकरी लग जाने पर अब उसके लिए रिश्ते आने लगे  

लेकिन दयाराम जी मीनू के विवाह के पहले रोहित की शादी करना नहीं चाहते थे।

२. दिल्ली के एक सज्जन अपनी बेटी का रिश्ता लेकर आए और  

दयाराम जी के मना करने पर भी अपनी बेटी का फोटो छोड़कर

    चले जाते हैं।

३. फोटो दयाराम और उनकी पत्‍नी दोनों को पसंद आ जाता है।

४. मायाराम जी अपने पुत्र अमित के साथ मीनू का विवाह के लिए  

हाथ माँगने दयाराम जी के घर आते हैं और चार वर्ष पूर्व की 

घटना के लिए क्षमा भी माँगते हैं।


शब्दार्थ 

१. स्तब्ध- आश्‍चर्य

२. आत्मीयता- अपनापन

३. पछतावा- पश्‍चाताप

 

अंक 25

सारांश: 

१. मीनू राजो के साथ मीरापूर जाने के लिए बस में चढ़्ती है तो उसे  

पड़ोस की एक महिला मिलती है, जिसे  वह मौसी कहती थी।

२. मौसी के साथ एक महिला भी थी, जिससे बात करके मौसी मीनू 

की कटु आलोचना कर रही थी।

३. उनकी बातों को सुनकर मीनू को लगता है कि समाज  

लड़के-लड़कियों में कितना भेद करता है।

४. घर पहुँच कर मीनू माँ के पूछने पर बताती है कि उसकी प्रैक्टिस 

अच्छी चल रही है। पिछले दो महीने में उसे तीन-चार हजार रुपए  

मिल गए थे ।

५. माँ मीनू को मायाराम और अमित के आने के बारे में बताती है।

६. मीनू अप्र्त्यक्ष रूप में अपनी स्वीकृति दे देती है।

७. मीनू अपने पिताजी से यह भी कहती है कि वह विवाह में  

फ़िजूलखर्ची पसंद नहीं करेगी।


शब्दार्थ :

१.संक्षिप्त- छोटा

२.कुँआरी- बिनब्याही

३. प्रतिध्वनि- गूँज

४. सभ्य- शिष्‍ट।


अंक 26

सारांश: 

१. मीनू के विवाह की तैयारियाँ आरंभ हो गई थी। 

२. वह अपने विवाह में हो रहे फ़िजूलखर्ची के पक्ष में नहीं थी।

               वह उन पैसों से गरीबों की मदद करने के पक्ष में थी।

३. मीनू की मुलाकात राजो के चचेरे भाई मनोहर से होती है,  

जो अपंग है।

४. वह मनोहर की मदद विवाह में हो रहे फ़िजूलखर्ची कम करके

                  पाँच जजार रुपए द्‌वारा पान की दुकान उसके लिए

खुलवाकर करना चाहती है।

५. उसके इस सोच पर माता-पिता उस पर गर्वान्वित होते हैं।

६. पत्‍नी के रूप में मीनू को पाकर अमित स्वयं को भाग्यशाली  

मानता है।



शब्दार्थ 

१. रौनक - शोभा

२. खुशनसीब- भाग्य्वान

३. अपशब्द- निंदा

४. विस्मित-आश्‍चर्यचकित


पंक्‍तियों पर आधारित प्रश्‍नोत्‍तर:-

 

“ मीनू बाहर चौक में बैठी मशीन से सिलाई कर रही थी। तभी उसे किसी परिचित  

का ’ नमस्ते दीदी ’ का स्वर सुनाई पड़ा। “

 

क) परिचित स्वर किसका है ? उसके वहाँ पर आने का क्या कारण है ?

- परिचित स्वर राजो के चचेरे भाई मनोहर का है। उसके वहाँ पर आने

             का कारण मीनू की शादी में उसका सहयोग करना है।

 

ख) परिचित को देखकर मीनू को कैसा लगा और क्यों ?  

- परिचित को देखकर मीनू चकित हो गई। मीनू के चकित  का कारण यह है कि वह  व्यक्‍ति अपाहिज था। वह बैसाखी के सहारे चल रहा था।

 

ग) परिचित के साथ क्या घटना घटी थी ? मीनू ने उससे क्या पूछा ?

  • परिचित अर्थात मनोहर एक दिन जब मशीन पर काम कर रहा था तो उसका पाँव मशीन में

                       आ गया था।   पैर के साथ उसके सीधे हाथ की दो अंगुलियाँ भी कट गई थी । मीनू ने उससे पूछा

कि वह क्या काम कर सकता है ?

घ) मीनू ने उसकी सहायता किस प्रकार करने का निश्‍चय किया ? उसकी बात सुनकर उसके माता-पिता 

को कैसा लगा ?

  • मीनू ने मनोहर के लिए अपने घर के पास ही पाँच हजार रुपयों से पान की दुकान खुलवाकर उसकी

सहायता करने का निश्‍चय किया। इसके लिए उसने अपने विवाह की सजावट पर होने वाले खर्च को

कम करने का सुझाव अपने माता-पिता को दिया। उसकी बात सुनकर उसके माता-पिता अपनी पुत्री

पर गर्व का अनुभव किए।                                                                                                                                                    

12 comments:

  1. Replies
    1. you are aware that they can read your name right?

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    2. Its not me.Someone has created my fake profile

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    3. This page is created by the HOD of hindi Bibhabati maam

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  2. Please post answers of all extracts and all chapters some are missing For some chapters only summary is provided not the answers and for some chapters only answers of 1 Or 2 extracts are provided

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